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NDA से अलग होगी शिवसेना, उद्धव ने खाई 2019 में अकेले चुनाव लड़ने की कसम

शिवसेना ने आज पार्टी कार्यकारणी मिटिंग में प्रस्ताव पास करके बीजेपी से अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि प्रस्ताव पास किया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सभी लोकसभा और सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.

बेटे आदित्य के साथ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे बेटे आदित्य के साथ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे
कमलेश सुतार
  • मुंबई,
  • 23 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

बीजेपी के सबसे बड़ी पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने उसके साथ आगे की सियासी राह पर नहीं चलने का फैसला किया है. बीजेपी-शिवसेना दोस्ती में टूट गई है.  शिवसेना 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ चुनाव नहीं लड़ने का बकायादा ऐलान किया है. इतना ही नहीं 2019 में ही महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा शिवसेना अकेले चुनाव लड़ेगी.

शिवसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं वचन देता हूं कि अपने दम पर देश के सभी राज्यों में चुनाव लड़ेंगे. चाहे जीतें या हारे, लेकिन चुनाव अपने दम पर ही लड़ेंगे. शिवसेना ने आज पार्टी कार्यकारणी मिटिंग में प्रस्ताव पास करके बीजेपी से अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

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शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि प्रस्ताव पास किया गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सभी लोकसभा और सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने कहा कि हम अकेले दम पर लड़ेंगे तो 25 लोकसभा सीटें और 150 विधानसभा सीटें जीतने का दावा किया है. जबकि महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा और 288 विधानसभा सीटें है.  जबकि शिवसेना के पास मौजूदा समय में 63 विधायक हैं और 18 लोकसभा सदस्य हैं.

शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में उद्धव ठाकरे ने कहा कि पांच साल पहले लोग  सोचते थे कि मैं पार्टी का नेतृत्व कैसे करूंगा. मुझे नेतृत्व करने में कभी कोई परेशानी नहीं आई, क्योंकि मेरे पास मजबूत और मेहनती सेना थी, जो पार्टी के सब कुछ बलिदान करने को तैयार रहते हैं.

उन्होंने कहा कि आदित्य ठाकरे को आप लोगों ने अब नेता बना दिया है. पार्टी बनाई जाने के बाद मुझे पहली बैठक याद दिलाती है कि विरासत को आगे रखना महत्वपूर्ण था. उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे कोई परवाह नहीं कि इसे कोई राजवंश राजनीति कहता है. राजवंश और विरासत के बीच अंतर है.

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उद्धव ने कहा कि कार्यकराणी में पारित किए गए सभी प्रस्ताव सिर्फ औपचारिकता नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल अगर आज जीवित होते तो फिर पाकिस्तान ही अस्तित्व में नहीं होता.

2014 में केंद्र की सत्ता पर नरेंद्र मोदी के विराजमान होने के बाद से ही शिवसेना सख्त तेवर अपनाए हुए हैं. सत्ता में सहयोगी रहते हुए भी शिवसेना ने मोदी के नेतृत्व सरकार पर जमकर हमले किए हैं. शिवसेना ने नरेंद्र मोदी पर निजी हमले करने से लेकर सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना करती रही है.

मोदी के नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक शिवसेना ने कड़ा विरोध किया है. इतना ही नहीं मोदी द्वारा तीन तलाक विरोधी लाए बिल की भी शिवसेना ने मुखालफत किया है. इतना ही नहीं सपा और बसपा द्वारा EVM को लेकर उठाए सवाल पर भी सिवसेना बीजेपी से अलग खड़ी नजर आई.

बता दें कि शिवसेना बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी रही है. जब बीजेपी के संग कोई साथ चलने को तैयार नहीं था. तबसे शिवसेना बीजेपी के साथ है. अब इस दोस्ती में दरार पड़ती हुई नजर आ रही है और दोनों की राह जुदा हो रही है.

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