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सूखे की समस्या को लेकर शिवसेना ने एक बार फिर महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर लिया है. पार्टी के मुख पत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि सरकार बीयर फैक्ट्रियों को दिया जाने वाला पानी सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को क्यों नहीं दिया जा सकता.
शिवसेना ने कहा कि सरकार का ध्यान बीयर फैक्ट्रियों पर ज्यादा है. मराठवाड़ा में पानी की भारी समस्या है. यहां 10 बीयर फैक्ट्रियां हैं, जिनमें 20 फीसदी पानी की कटौती का फरमान लागू किया गया है. यहां सरकार लोगों को पानी उपलब्ध करा पाने में असहाय नजर आ रही है.
मंत्री के बयान पर किया पलटवार
'सामना' में राज्य के राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे के लातूर दौरे के लिए हेलीपैड बनाने में पानी की बर्बादी पर भी सवाल उठाए गए हैं. लेख में कहा गया है कि अगर मंत्री कह रहे हैं कि हेलीपैड बनाने के लिए जिस पानी का इस्तेमाल हुआ है वह पीने के योग्य पानी था तो आईपीएल मैचों में स्टेडियम मेंटीनेंस में भी ऐसे ही पानी का इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन फिर भी सरकार ने मैचों को राज्य से बाहर शिफ्ट कर दिया.
छत्तीसगढ़ में भी है सूखा
जो मैच राज्य से बाहर शिफ्ट किए गए हैं उनमें से कुछ को छत्तीसगढ़ में रखा गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में भी सूखे की समस्या काफी ज्यादा है, लेकिन हाई कोर्ट का ध्यान इस ओर क्यों नहीं जाता और यहां मैच कराने पर रोक क्यों नहीं लगी.
'पानी की जगह बीयर पीने की संस्कृति नहीं है'
शिवसेना ने कहा, 'हमारी संस्कृति पानी की जगह बीयर पीने की नहीं है. कुछ मंत्री कह रहे हैं कि मराठवाड़ा में इंडस्ट्री को बचाना जरूरी है वरना बेरोजगारी बढ़ेगी, लेकिन यह सिर्फ उनका नजरिया है. लोगों का मानना है कि पहले जनता को बचाना चाहिए. यही वर्तमान की प्रमुख जरूरत है.'