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शिवसेना ने BJP पर साधा निशाना, कहा- नए साल में दिखेगा नया जुबानी जौहर

2018 की शुरुआत में नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा समेत कर्नाटक की विधानसभाओं के लिए और साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और मिजोरम के लिए मतदान होगा. इसलिए जौहरबाज़ों कि जुबानी तलवारें तब तक म्यान में रहेंगी.

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (फाइल) शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (फाइल)
केशवानंद धर दुबे
  • मुंबई,
  • 16 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

शिवसेना ने एक बार फिर बीजेपी नेताओं पर निशाना साधा है. पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में कहा गया है कि नए साल में नया जुबानी जौहर देखने मिलेगा. फिलहाल गुजरात चुनाव के बाद चंद दिनों का चैन देखने को मिलेगा. 18 दिसंबर को विधानसभा नतीजों के साथ ही गुजरात और हिमाचल की चुनावी आग शांत हो जाएगी.

सामना में लिखा है कि उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों की जुबानी गर्माहट तो पहले ही उत्तर की ठंड में लुप्त हो चुकी है. चंद दिनों का चैन है, क्योंकि नए जुबानी जौहरबाज अब नए साल में ही दिखेंगे.

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2018 की शुरुआत में नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा समेत कर्नाटक की विधानसभाओं के लिए और साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और मिजोरम के लिए मतदान होगा. इसलिए जौहरबाज़ों कि जुबानी तलवारें तब तक म्यान में रहेंगी.

चुनावों में पार्टियों ने किए जुबानी हमले

गुजरात और उत्तर प्रदेश के चुनाव में देश की जनता तमाम पार्टियों को जुबानी हमले करते हुए देख चुकी हैं. अगर जनता ये मानती है कि इस जंग में भाजपाइयों ने हर तरह से जुबानी बाज़ी मारी, तो उसे नतीजों के आधार पर ऐसा मानने का हक है. उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव के दौरान बीजेपी में तो मानो होड़ लगी रही, एक दूसरे से ज्यादा जुबानी जौहर दिखाने की.

राहुल गांधी की औरंगजेब से की तुलना

शिवसेना ने कहा कि कई भाजपाइयों ने राहुल गांधी को बार-वाला कहा, तो कुछ ने उनकी तुलना औरंगजेब और अलाउद्दीन खिलजी से की.

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बीजेपी नेताओं पर साधा निशाना

लेख में आगे कहा गया है कि इससे मन नहीं भरा तो फिर उनके एक मंत्री मौत से लड़ रहे मरीजों के जले पर नमक छिड़कने से बाज़ नहीं आए. वो उनकी बीमारी को उनके पापों की सज़ा करार दे गए. उनका तर्क था कि पाप करने वालों को भगवान कैंसर से पीड़ित करके सजा देते हैं. बीजेपी की असम सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने ऐसा बयान दिया.

इस पर सवाल भी उठा कि ऐसा निर्दयी, निष्ठुर स्वास्थ्य मंत्री कैसे हो सकता है, जिसके मन में मरीजों के लिए दर्द न हो, जिसका मन उनकी तकलीफ देख कर व्यथित न होता हो. वो भला कैसे इस संवेदनशील मंत्रालय का प्रभारी हो सकता है.

मुखपत्र में लिखा गया है कि निर्दोष, असहाय मरीजों के पूरे तबके को आहत करने से इनका मन नहीं भरा. तब गुजरात सरकार के उप मुख्यमंत्री अपने पद की गरिमा को ताक पर रख कर एक नए चेहरे को बदरंग करने के लिए समुदाय विशेष तक को निशाना बनाने से बाज नहीं आए. वे उनकी मांग पर कह गए, "मूर्ख ने दरख्वास्त दी, मूर्ख ने मानी".

सत्ता की चाटुकारिता में हुए अंधे

वहीं बिहार में बीजेपी का एक सांसद सत्ता की चाटुकारिता में इतना अंधा हो गया कि उस अंध भक्ति में मोदी की तरफ उठने वाले हर हाथ को तोड़ने या फिर काट देने की धमकी दे डाली.

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ज्यादा दिन की नहीं है शांति

सामना में लिखा है कि ऐसी जहरीली गंध फैलाने वालों की लिस्ट काफी लंबी है. ये तो हाल फिलहाल का हिसाब है. गत तीन साढ़े तीन सालों का इनका बही खाता खंगाले तो इनकी चुनावी चुनौतियों की सूची काफी लंबी बन जाएगी. बीजेपी के जौहरबाज फिलहाल शांत है पर ये शांति ज्यादा दिनों की नहीं है.

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