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शिवसेना ने सामना में लिखा- बीजेपी का मुखौटा फाड़ रही सोशल मीडिया की बदली हवा

लेख में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री का अपमान न हो और संयम का पालन भी होना चाहिए, लेकिन मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री के रूप में खिल्ली उड़ाते वक्त संयम और सौजन्य की ऐसी तैसी करने वालों की ही हालत अब वैसी ही हो गई हैं.

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल) शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल)
नंदलाल शर्मा
  • मुंबई,
  • 16 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 7:19 AM IST

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए मोदी सरकार को सोशल मीडिया के बहाने आड़े हाथों लिया है. सामना लिखता है कि

अब बीजेपी सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए नया कानून ला रही हैं, जिसपे कटाक्ष करते हुए शिवसेना ने लिखा है कि कि अब बीजेपी पठानी कानून ला रही है.

'खोदा तुम्हारे लिए और गिरे हम'

सामना के संपादकीय में कहा गया है कि 'खोदा तुम्हारे लिए और गिरे हम' यह अवस्था बीजेपी ने सोशल मीडिया पे खुद की कर ली है. संपादकीय में कहा गया है कि बीजेपी ने विरोधियों की बदनामी, अवमानना और दुष्प्रचार के लिये सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया, लेकिन उसी सोशल मीडिया पर बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश होते ही तुरंत सोशल मीडिया में सत्य उजागर करने वाले युवकों का गर्दन दबोचने का प्रयास कर रहे हैं.

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पवार ने किया युवक को प्रताड़ित करने का खुलासा

इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय और पुलिस विभाग का सीधे सीधे दुरुपयोग हो रहा है. सामाजिक माध्यम से सरकार विरोधी मत व्यक्त करने वाले युवकों का सरकार पुलिस के जरिए दमन हो रहा है. संपादकीय में कहा गया है कि ऐसे ही एक मामले में पुलिस थाने में बुलाकर युवक को प्रताड़ित करने का खुलासा शरद पवार ने किया है.

राजनीतिक विरोधियों की निकृष्ट भाषा में उड़ाई खिल्ली

लेख के मुताबिक बीजेपी ने सोशल मीडिया के सहारे ही राष्ट्र व महाराष्ट्र में सत्ता हासिल की. उस समय बीजेपी ने सोशल मीडिया पर ऐसा प्रचार किया मानो गरीबों के घर-घर की मिट्टी को सोना बनाने वाले हैं. राजनीतिक विरोधियों की निकृष्ट भाषा में खिल्ली उड़ाते हुए उन्हें चोर, डकैत, निकम्मा और गुनाहगार ठहराने के लिए सोशल मीडिया में जो प्रयत्न किया वो अभिव्यक्ति की आजादी का आतंकवाद था, उस आतंकवाद का इस्तेमाल कर मोदी और समस्त बीजेपी के लोगों ने काम फतह किया.  

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'सोशल मीडिया पर कीचड़ उछालने का काम CM कार्यालय से'

आगे कहा गया है कि सरकार के संबंध में बीजेपी के बारे में विचार व्यक्त करने की आजादी हमारे देश में नहीं है तो प्रधानमंत्री मोदी को इसकी सार्वजनिक घोषणा करनी चाहिए. राजनैतिक विरोधियों पर सोशल मीडिया के जरिए कीचड़ उछालने का काम मुख्यमंत्री कार्यालय से किया जा रहा है. मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेष कार्य अधिकारी के रूप में कार्यरत व्यक्ति द्वारा यह काम कराया जाता है. इसमें गंभीर बात यह है कि इस व्यक्ति को सरकारी वेतन मिलता है.

लेख में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री का अपमान न हो और संयम का पालन भी होना चाहिए, लेकिन मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री के रूप में खिल्ली उड़ाते वक्त संयम और सौजन्य की ऐसी तैसी करने वालों की ही हालत अब वैसी ही हो गई हैं.

फट रहा है बीजेपी का मुखौटा

सोशल मीडिया का भ्रष्ट दुरुपयोग पहले बीजेपी ने शुरू किया, लेकिन यह भस्मासुर उन्हीं पर पलटते ही सोशल मीडिया पर विश्वास न करे ऐसा कहने की नौबत बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की आ गई. सोशल मीडिया की बदली हवा बीजेपी का मुखौटा कैसे फाड़ रही है यह दिखाई देता है.

शरद पवार का स्वागत

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एनसीपी प्रमुख शरद पवार का स्वागत और समर्थन करते हुए लेख कहता है कि अभिव्यक्ति की आजादी वाले युवकों अपने विचार व्यक्त करते समय एक पैर कारागृह में रखकर ही सोशल मीडिया में बोलते रहो. शरद पवार ने इस पर आवाज उठाई है उनका स्वागत है.

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