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शिवसेना की सलाह, 'AAP का श्राद्ध करो, कांग्रेस का पिंडदान'

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में मंगलवार को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर तीखे हमले किए. लेख में पाठकों को AAP का श्राद्ध करने और कांग्रेस का पिंडदान करने की सलाह देते हुए दोनों ही पार्टियों की खिल्ली उड़ाई गई है. संपादकीय में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी दो गुटों में बंटी है और अन्ना से अलग होने का खामियाजा भुगत रही है.

उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 08 अप्रैल 2014,
  • अपडेटेड 3:27 PM IST

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में मंगलवार को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर तीखे हमले किए. लेख में पाठकों को AAP का श्राद्ध करने और कांग्रेस का पिंडदान करने की सलाह देते हुए दोनों ही पार्टियों की खिल्ली उड़ाई गई है. संपादकीय में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी दो गुटों में बंटी है और अन्ना से अलग होने का खामियाजा भुगत रही है.

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'सामना' ने हमेशा की तरह भाषाई शालीनता का ख्याल नहीं रखा है. पत्र में AAP पर निशाना साधते हुए लिखा गया है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस वक्त एक ऐसा गधा है, जो बदबू मार रहा है और हर कोई उसकी बदबू से नाक सिकोड़ उससे दूर रहना चाहता है. ऐसा क्‍यों है, सच सबके सामने आना चाहिए. संपादकीय में आगे कहा गया है, 'पार्टी में अब दो गुट बन गए हैं. एक गुट कुमार विश्वास का है, जो केजरीवाल को पार्टी का संयोजक नहीं मानती और दूसरा गुट केजरीवाल का है जो कुछ नहीं कर सकता.'

अश्विनी ने तो धर्म का पालन किया
आम आदमी पार्टी से बेदखल किए गए नेता अश्विनी उपाध्‍याय का पक्ष लेते हुए लिखा गया है कि उन्‍होंने तो अपने धर्म का पालन किया, लेकिन पार्टी ने उन्‍हें बाहर का रास्‍ता दिखा दिया. सामना में कहा गया है, 'आम आदमी पार्टी अब ऐसी हालत में है कि या तो उसके लोकसभा उम्मीदवार भाग रहे हैं या फिर टिकट बेचने के आरोप लग रहे हैं. आलम यह है कि पार्टी भी दो गुटों में बंटी है जिसमें केजरीवाल को कोई देखना नहीं चाहता, लेकिन केजरीवाल ने पार्टी के संस्थापक अश्विनी उपाध्‍याय को ही पार्टी से बाहर फेंक दिया है. अश्विनी ने केवल धर्म, आतंक और अलगाववादी बातें करने वाले लोगों को बाहर करने की मांग क्‍या रखी वो खुद बाहर हो गए.'

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खुद को शहंशाह समझते हैं केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए संपादकीय में कहा गया है, 'ये वो शख्स हैं जिसने अपने गुरु की ही नहीं सुनी तो जनता की क्या सुनता. अन्ना हजारे ने इसे पृष्ठभूमि दी, लेकिन इसने अन्ना के विचारशील ईंट की बेस को ही हटा लिया और खुद को शहंशाह समझकर जहर उगलने लगा.'

लेख में आगे लिखा गया है कि अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल को कई बार समझाया कि राजनीति कीचड़ है इसे देह पर मत मलो, कीचड़ में मत उतरो. लेकिन केजरीवाल ने यह कहकर बात घुमा दी थी कि वो कीचड़ साफ करने के लिए कीचड़ में उतर रहा है. लेकिन दिल्ली में सरकार गिरने और पोल-पट्टी खुल जाने के बाद कीचड़ में उतरने और उसकी सफाई करने का सारा ढोंग सबके सामने आ गया है और जो चुनावी हड्डी केजरीवाल ने फेंकी थी वो अब उनके ही गले में अटकी हुई है.

AAP के हनुमान हैं कुमार विश्‍वास
सामना ने संपादकीय में केजरीवाल और कुमार विश्वास की खिल्ली उड़ाते हुए कहा है कि केजरीवाल वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ उतरे हैं और उनके 'हनुमान' कुमार विश्वास अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ. लेकिन ये दोनों अभी भी जनता को क्रांति के नाम पर ठग रहे हैं और जहर उगल रहे हैं. आलम यह है कि जब जनता की सेवा का मौका मिला तो जनलोकपाल का डमरू बजाते रहे और भाग गए, लेकिन ये नहीं देखा कि जनता कितनी तकलीफ में है. भुखमरी है. गरीबी है. महंगाई ने कमर तोड़ दी है. वे सिर्फ जनलोकपाल के डमरू से खेलते रहे, जो अब टूट गया है.

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सोनिया गांधी पर साधा निशाना
सामना ने अरविंद केजरीवाल के बहाने कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी पर भी निशाना साधा है. संपादकीय में लिखा गया है कि जब सोनिया को मुस्लिम वोट बैंक की याद आई तो वह बुखारी के पास झोली फैलाकर खड़ी हो गई, लेकिन केजरीवाल इस पर मौन रहे. इससे साफ हो गया कि केजरीवाल का जनलोकपाल का विचार भी ढीला ही था.

और अंत में...
संपादीय के अंत में लिखा गया है, 'सिर्फ दूसरों पर जहर उगलने से कुछ सिद्ध नहीं होता. राजनीति में 'बाप दिखाओ वरना श्राद्ध करो' की बारी आती है. जनता यही बाप है इसलिए वह कई बार धूल को भी मस्‍तक लगाती है और फूलों को कुचल देती है. इसी न्‍याय से जनता AAP का श्राद्ध करती दिखाई दे रही है. चलो, पहले AAP का श्राद्ध करें फिर कांग्रेस का पिंडदान. जनता की तो यही भूमिका दिखाई देती है.'

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