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J-K: शोपियां फायरिंग मामले की सुनवाई टालने की सुप्रीम कोर्ट से अपील

इससे पहले केंद्र सरकार ने सेना के मेजर आदित्य के समर्थन में अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में केंद्र सरकार ने कहा है कि जम्मू- कश्मीर सरकार के पास ये अधिकार नहीं है कि वो बिना केंद्र सरकार की अनुमति के सेना के अफसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सके.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
संजय शर्मा/केशवानंद धर दुबे/मोनिका गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 24 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

शोपियां फायरिंग केस में जवाब दाखिल करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक हफ्ते का समय मांगा है. जम्मू- कश्मीर सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक पत्र दिया गया है. पत्र में उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार को इस संवेदनशील मामले में जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाए. साथ ही, मामले की सुनवाई भी एक हफ्ते के लिए टाल दी जाए.

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इससे पहले केंद्र सरकार ने सेना के मेजर आदित्य के समर्थन में अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में केंद्र सरकार ने कहा है कि जम्मू- कश्मीर सरकार के पास ये अधिकार नहीं है कि वो बिना केंद्र सरकार की अनुमति के सेना के अफसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सके.

केंद्र सरकार ने कहा कि इस विषय पर गहन विचार किया गया. ये पाया कि केंद्र सरकार की इजाजत के बिना राज्य सरकार इस मामले में कोई भी आपराधिक कार्रवाई सेना के अफसर के खिलाफ नहीं कर सकती.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल 27 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में पत्थरबाजों पर सेना की फायरिंग में दो पत्थारबाजों की मौत हो गई थी. इस मामले को लेकर वहां काफी विरोध-प्रदर्शन हुए थे. इस फायरिंग का आदेश देने को लेकर मेजर आदित्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया. राज्य सरकार की इस कार्रवाई को लेकर देशभर में विरोध हुआ था.

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इसके बाद मेजर आदित्य के पिता ने खुद मोर्चा संभाला और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका में उनकी तरफ से कहा गया कि पुलिस ने इस मामले में उनके सैन्य अधिकारी बेटे को आरोपी बना कर मनमाने तरीके से काम किया है. ये जानते हुए भी कि वो घटना स्थल पर मौजूद नहीं था और सेना शांतिपूर्वक काम कर रही थी, जबकि हिंसक भीड़ की वजह से वो सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए कानूनी तौर पर कार्रवाई करने के लिए भीड़ ने मजबूर किया. सेना का ये काफ़िला केंद्र सरकार के निर्देश पर जा रहा था और अपने कर्तव्य का पालन कर रहे थे.

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