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शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट से कठघरे में केजरीवाल सरकार, 'अपनों' को रेवड़ियां बांटने का आरोप

शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के कामकाज को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं. तीन सदस्यीय कमेटी ने 404 फाइलों की जांच के बाद तैयार की गई 101 पन्नों की रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों और आवंटनों को लेकर सवाल खड़े किए हैं.

दिल्ली में नियुक्तियों और घर आवंटनों को लेकर सवालों में केजरीवाल सरकार दिल्ली में नियुक्तियों और घर आवंटनों को लेकर सवालों में केजरीवाल सरकार
साद बिन उमर
  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के कामकाज को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं. तीन सदस्यीय कमेटी ने 404 फाइलों की जांच के बाद तैयार की गई 101 पन्नों की रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार द्वारा की गई नियुक्तियों और आवंटनों को लेकर सवाल खड़े किए हैं.

कमेटी ने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक के सलाहकार पद पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी की नियुक्ति को गलत बताया है. इसके अलावा निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी तथा रोशन शंकर को पर्यटन मंत्रालय में ओएसडी नियुक्त करने पर सवाल उठाया गया है. इसमें कहा गया है कि शंकर को ऐसे पद पर बिठाया गया, जिसका पहले अस्तित्व ही नहीं था और उपराज्यपाल की पूर्वानुमति के बिना उनकी इस पद पर नियुक्ति नहीं हो सकती थी.

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शुंगलू कमेटी ने आप नेताओं को दिल्ली में आवास आवंटन को भी अनुचित करार दिया है. इसमें कहा दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने 206 रोज़ एवेन्यू स्थित बंगले को पार्टी दफ्तर के लिए आवंटित कर दिया. वहीं स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनने से पहले आवास मुहैया करा दिया गया. इसके साथ ही AAP विधायक अखिलेश त्रिपाठी को अनुचित ढंग से टाइप 5 बंगला आवंटित कर दिया.

इस रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली सरकार को जमीन आवंटन से जुड़ी शक्तियां नहीं मिली हुई है. केजरीवाल सरकार को इसकी अनुमति के लिए उपराज्यपाल को फाइल भेजनी चाहिए थी, लेकिन इसके बावजूद उसने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अपने लोगों को मनमाने ढंग से रेवड़ियां बांटीं.

रिपोर्ट के मुताबिक इतना ही नहीं दूसरी बार सत्ता में आने के बाद AAP सरकार ने संविधान और अन्य कानूनों में वर्णित दिल्ली सरकार की विधायी शक्तियों को लेकर भी बिल्कुल अलग नजरिया अपनाया था. इसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 25 फरवरी 2015 के उस बयान का भी हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन से जुड़े मामलों की फाइलें ही उपराज्यपाल की अनुमति के लिए वाया मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी जाएंगी.

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इस रिपोर्ट में दिल्ली में सीसीटीवी लगाने, मोहल्ला क्लीनिक तथा भ्रष्टाचार की शिकायत के लिए फोन नंबर 1030 शुरू करने की प्रक्रिया पर भी शुंगलू कमेटी ने सवाल उठाए हैं. हालांक कमेटी ने ज्यादातर मामलों में फैसला उपराज्यपाल पर छोड़ा है.

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