
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में स्कंदगुप्त विक्रमादित्य पर दो दिन की गोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें मुख्य वक्ता गृह मंत्री अमित शाह हैं. उन्होंने कहा कि स्कंदगुप्त विक्रमादित्य के साथ इतिहास में बहुत अन्याय हुआ है, क्योंकि उन्हें इतनी प्रसिद्धि नहीं मिली, जिनके वह हकदार थे. उन्होंने कहा है ये दो दिन की गोष्ठी स्कंदगुप्त के इतिहास को पुन: जीवित करने का काम करेगी. बता दें, स्कंदगुप्त ने भारतीय संस्कृति, भारतीय कला, भारतीय भाषा और भारतीय शासन काल को बचाने का काम किया था.
जानें- कौन थे सम्राट स्कंदगुप्त
सम्राट स्कंदगुप्त गुप्त राजवंश के आठवें राजा थे. स्कंदगुप्त विक्रमादित्य ने उस दौर में जितने सालों तक शासन किया था, उतने ही सालों तक युद्ध लड़ा था. स्कंदगुप्त ने मध्य एशिया के कबीलाई हुणों को युद्ध में हराया था. बता दें, हूण बड़े ही भयंकर योद्धा थे.
Union Home Minister Amit Shah in Varanasi: Had it not been for Veer Savarkar, the rebellion of 1857 would not have become history, we would have seen it from the point of view of Britishers.Veer Savarkar was the one who named the 1857 rebellion as the first independence struggle. pic.twitter.com/L8d7555U5e
— ANI (@ANI) October 17, 2019align="justify">
स्कंदगुप्त ने उन्हें पराजित किया था. हूण भारत पर आक्रमण कर कश्मीर और गुजरात जीतते हुए पाटलिपुत्र तक पहुंच गए थे, लेकिन स्कंदगुप्त ने उन्हें अपने पराक्रम से न सिर्फ पराजित किया था बल्कि देश से बाहर तक खदेड़ दिया था. वह मूलतः मध्य एशिया की एक जंगली और बर्बर जाति थे. आज पाटलिपुत्र वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है.
कौन थे हूण
हूण बड़े ही भयंकर योद्धा थे. इन्होंने चौथी और पांचवी सदी में दुनिया पर अपना आधिपत्य फैलाया था. हूण वास्तव में चीन के पास रहने वाली एक जाति थी. इन्हें चीनी लोग "ह्यून यू" अथवा "हून यू" कहते थे. बता दें, हूण लोगों ने महाविनाशक आक्रमण भारत पर करना शुरू किया था. भारत को बचाने का काम स्कंदगुप्त ने किया.
बता दें, हूणों ने कई देशों पर प्रचंड आक्रमण किया था. कम ही लोग जानते हैं कि चीन की विशाल दीवार हुणों को आक्रमण से बचाने के लिए बनाई गई थी. यही कारण है जिसकी वजह से चीन बच गया.
हूणों की ओर से लोगों पर बर्बर आक्रमण होता था. उनके राज में विनाश का एक तांडव खेला जाता था. बच्चों को मार देना, महिलाओं को उठाकर ले जाना, सामूहिक नरसंहार करना, पुस्कालय को जला देना, विश्वविद्यालय को नष्ट कर देना, वह सब कुछ नष्ट करना चाहते थे. उनके किए गए अत्याचारों की वजह से देशभर की अनेक संस्कृति तहस नहस हो गई थीं.
कम ही लोग जानते हैं कि हुणों से बचाने के लिए चीन की दीवार बन गई थी. जिसके कारण चीन तो बच गया. लेकिन इससे रोम, यूरोप, इटली और फांस तक हूणों के आतंक से समग्र सभ्यता को नुकसान पहुंचा. कह सकते हैं पूरा यूरोप हुणों के हमलों से खत्म हो गया था. जिसके बाद से हूणों का आक्रमण भारत की ओर हुआ.
जब हूण पाटलिपुत्र पहुंचे तो स्कंदगुप्त विक्रमादित्य कि पिता कुमारगुप्त दुविधा में थे कि इसका सामना कौन करेगा. जिसके बाद स्कंदगुप्त समाने आए और उन्होंने पिताजी को कहा- "मैं जाऊंगा और समस्त हुणों को देश के बाहर खदेड़ दूंगा."
उन्होंने इसके लिए खुद को तैयार किया था. ये लड़ाई 10 साल तक चली. जूनागढ़ से लेकर कश्मीर तक, कश्मीर से लेकर पाकिस्तान के कंधार तक उन्होंने हुणों का खात्मा कर दिया. वो पहले थे जिन्होंने हुणों को हरा दिया था. उन्हीं की वीरता के कारण समग्र भारत से हूण निकाले गए थे