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सोनिया बोलीं- ऐसा भारत बनाना है, जो सत्ता के भय और मनमानी से मुक्त हो

उन्होंने ये भी कहा कि पिछले चार साल में कांग्रेस को बर्बाद करने के लिए अहंकारी और सत्ता के नशे में मदमस्त सरकार ने कोई कसर बाकी नहीं रखी.

सोनिया गांधी (फाइल फोटो) सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
जावेद अख़्तर/कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:30 PM IST

शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस पार्टी का 84वां महाधिवेशन आयोजित किया गया, जो राहुल गांधी के भाषण के साथ शुरू हुआ. इसके बाद सोनिया गांधी ने सभा में मौजूद कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. दोनों ने अपने भाषण में मोदी सरकार और बीजेपी की जमकर आलोचना की. 70 के दशक में इंदिरा के चिकमंगलूर उपचुनाव में जीत को याद करते हुए सोनिया ने कहा कि यह समय लगभग 77 की हार जैसा है. कर्नाटक के आगामी चुनाव में भारी जीत के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता देश को बड़ा संदेश दें.

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राहुल ने चुनौतीपूर्ण वक्त में संभाली जिम्मेदारी

अपने भाषण की शुरुआत में सोनिया गांधी ने कहा, 'राहुल ने बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय में ये जिम्मेदारी संभाली है. हम सभी को उनके नेतृत्व में मिल-जुलकर काम करना चाहिए. ये समय अपने निजी अहम और आकांक्षाओं के बार में सोचने का नहीं है. इस वक्त यह देखना है कि हम सभी पार्टी के लिए क्या कर सकते हैं'

इसके आगे उन्होंने कहा, 'आज केवल एक ही बात मायने रखती है कि जिस महान पार्टी से हमारा इतना पुराना नाता है, उसे किस तरह से और मजबूत किया जाए. जिससे मौजूद चुनौतियों का सामना किया जा सके और पार्टी को जीत मिल सके.'

मोदी सरकार पर निशाना

सोनिया गांधी ने मौजूदा केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा, 'आज देखकर बहुत दुख होता है कि मनरेगा जैसी हमारी योजनाओं को मोदी सरकार कमजोर कर रही है और नजरअंदाज कर रही है. पिछले चार साल में कांग्रेस को बर्बाद करने के लिए अहंकारी और सत्ता के नशे में मदमस्त सरकार ने कोई कसर बाकी नहीं रखी. साम, दाम, दंड, भेद का खुला खेल चल रहा है. लेकिन कांग्रेस न कभी झुकी है और न झुकेगी.'

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सोनिया गांधी ने आगे कहा कि मोदी सरकार के तानाशाही तौर तरीकों, संसद का अनादर, विभाजनकारी विचारधारा, विपक्ष के खिलाफ फर्जी मुकदमे लगाना और मीडिया को सताना जैसे षडयंत्र का पर्दाफाश करने में कांग्रेस आगे रहकर संघर्ष कर रही है.

कुर्सी के लिए ड्रामेबाजी

सोनिया गांधी ने पीएम मोदी के वादों और नारों को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी और उनके करीबियों के झूठे, फर्जी दावों और भ्रष्टाचार का हम सबूतों के साथ खुलासा कर रहे हैं. लोग अब समझ रहे हैं कि 2014 के 'सबका साथ, सबका विकास' और 'मैं ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा' जैसे उनके वादे सिर्फ और सिर्फ ड्रामेबाजी और वोट हथियाने की चाल थी. कुर्सी हथियाने की चाल थी'

कांग्रेस ने ही राष्ट्र निर्माण में सबसे ज्यादा योगदान दिया है. आज हमारे जो चुनौतियां हैं, वो मामूली नहीं है. हमें उसका डटकर सामना करना है. हमें ऐसा भारत बनाना है, जो सत्ता के भय और मनमानी से मुक्त हो. ऐसा भारत जिसमें हर व्यक्ति के जीवन की गरिमा बनी रहे. पक्षपात मुक्त भारत, प्रतिशोध मुक्त भारत, अहंकार मुक्त भारत. इसके लिए हर कांग्रेसजन को बलिदान देने के लिए तैयार रहना चाहिए.

कांग्रेस की जीत, देश की जीत

सोनिया गांधी ने कहा, 'कांग्रेस सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं है, बल्कि कहीं आगे की सोच है. ये हमारे राष्ट्रीय जीवन का 133 वर्षों से इसलिए अभिन्न अंग है, क्योंकि इसमें लोगों को भारतीय संस्कृति की तस्वीर दिखाई देती है. पार्टी की जीत देश की जीत होगी और हम सबकी जीत होगी.'

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इंदिरा गांधी को किया याद

इस दौरान सोनिया गांधी ने अपनी सास और देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी जिक्र किया. उन्होंने इंदिरा गांधी के चिकमंगलूर चुनाव का उदाहरण दिया. सोनिया ने कहा, 'चालीस साल पहले चिकमंगलूर में इंदिरा जी की शानदार जीत ने देश की राजनीति को बदलकर रख दिया और कांग्रेस फिर शक्तिशाली बनकर उभरी. मुझे विश्वास है कि अगले कुछ महीने में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक बार फिर ऐसा शानदार प्रदर्शन हो, जिससे देश की राजनीति को एक नई दिशा मिले.'

सोनिया गांधी ने गुजरात चुनाव और उपचुनावों का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, 'गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हमारे हाल के परिश्रम से पता चलता है कि जो देश की राजनीति से हमारे अस्तित्व को मिटाना चाहते थे, उन्हें ये एहसास नहीं था कि लोगों के दिलों में कांग्रेस पार्टी के लिए इतना गहरा सद्भाव है.'

मुझे मिला कार्यकर्ताओं का साथ

सोनिया गांधी ने आगे कहा कि मुझे दो दशकों तक पार्टी अध्यक्ष रहने का गौरव मिला और तमाम कार्यकर्ताओं ने मेरा साथ दिया. उन्होंने कहा कि राजनीति में मेरे प्रवेश का कारण आप सभी जानते हैं. परिस्थितियों ने मुझे सार्वजनिक जीवन में आने के लिए प्रेरित किया. यह एक ऐसी दुनिया थी, जिसमें मैं कभी नहीं आना चाहती थी, लेकिन मुझे एहसास हुआ कि पार्टी कमजोर होती जा रही है, तब मैंने कांग्रेस के नेतृत्व को संभाला.

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गठबंधन से बनाई सरकार

इस दौरान सोनिया गांधी ने गठबंधन की राजनीति का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि 1998 में पंचमणि के चिंतन शिवर में हुई चर्चा के दौरान आम राय बनी थी कि कांग्रेस को दूसरे दलों से गठबंधन नहीं करना चाहिए. लेकिन इसके बाद बदलते माहौल के साथ 2003 के शिमला शिविर में हमने तमाम विचारधाराओं के साथ मिलकर काम किया और 2004 में गठबंधन दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई, जो लोगों को असंभव लग रहा था. सोनिया ने बताया कि इसके बाद 2009 में हमें और भी बड़ा जनादेश मिला और यूपीए के दौरान पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था तेजी गति से आगे बढ़ी.

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