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यूपी के सिंघम बनने की राह पर IPS अफसर बबलू कुमार

जालौन में बतौर एसपी बबलू कुमार ने स्थानीय नेतागिरी पर जमकर नकेल कसी थी. वहीं जब पत्रकार जगेंद्र सिंह की कथित हत्या के मामले में शाहजहांपुर जल रहा था, तब बबलू कुमार को ही जिले की जिम्मेवारी सौंपी गई थी.

बबलू कुमार बबलू कुमार
लव रघुवंशी/पीयूष बबेले
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2016,
  • अपडेटेड 4:32 PM IST

मथुरा में जवाहर बाग की घटना में एसपी और इंस्पेक्टर समेत दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया. उसके बाद इस तनावपूर्ण माहौल को संभालने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ऐसे युवा अधिकारी की तलाश थी, जो सही मायने में प्रशासनिक दृष्टि से काम करे.

मामला राजनैतिक तूल पकड़ चुका है, इसलिए तत्काल राज्य के पुलिस महानिदेशक जावेद अहमद और गृह सचिव ने चार अधिकारियों को शॉर्ट लिस्ट किया. लेकिन चारों अधिकारी में 2009 बैच के युवा आईपीएस अधिकारी बबलू कुमार की प्रशासनिक कार्यक्षमता ने सबको आकर्षित किया.

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अखिलेश को पसंद बबलू कुमार की शैली
इससे पहले जालौन में बतौर एसपी बबलू कुमार ने स्थानीय नेतागिरी पर जमकर नकेल कसी थी. वहीं जब पत्रकार जगेंद्र सिंह की कथित हत्या के मामले में शाहजहांपुर जल रहा था, तब बबलू कुमार को ही जिले की जिम्मेवारी सौंपी गई थी. लेकिन पंचायत चुनाव के दौरान उन्होंने एक पार्टी विशेष के नेता की मदद नहीं की तो उनका तबादला कर लखनऊ पुलिस हैडक्वार्टर से जोड़ दिया गया. लेकिन सूत्रों के मुताबिक युवा मुख्यमंत्री अखिलेश को बबलू कुमार की कार्यशैली रास आई और उनके निर्देश पर कुछ दिनों बाद ही उन्हें जालौन का एसपी बना दिया गया.

माफियाओं की निकाली हवा
अब जब यूपी की अखिलेश सरकार मुसीबत में घिरी है तो एक बार फिर इस युवा अधिकारी पर विश्वास जताया गया है. बबलू कुमार को हैलिकॉप्टर के जरिए एयरलिफ्ट कर जालौन से सीधे मथुरा पहुंचाया गया. जालौन से अचानक उनके तबादले को लेकर भी सवाल उठ रहे है, क्योंकि जालौन में उनके रहते हुए भ्रष्ट राजनीतिज्ञ और माफिया खुद को विकलांग महसूस करने लगे थे. यहां सपा नेताओं की गाड़ियों पर लगी फर्जी लाल बत्तियां और हूटर उतरवाने के लिए बबलू को खासी वाहवाही मिल रही थी. इससे पहले बबलू एसटीएफ में भी बतौर एसपी काम कर चुके हैं. लंबे कद काठी और छोटे हेयर स्टाईल वाले बबलू की विशेषता यह है कि अमूमन यूपी की जातियों के आधार पर होने वाली प्रशासनिक पोस्टिंग में वे किसी तरह फिट नहीं बैठते.

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सिर्फ अपने मन की करते हैं बबलू
पुलिस महकमे और सपा के कुछ शीर्ष रणनीतिकार बबलू कुमार की तैनाती के पक्ष में नहीं थे, लेकिन डीजीपी और गृह सचिव ने मौजूदा हालात से निपटने में बबलू कुमार को सबसे सक्षम बताया और मुख्यमंत्री ने भी अपने अनुभव के आधार पर चार अधिकारियों की सूची में से बबलू कुमार को प्राथमिकता दी. बबलू की छवि एक निष्पक्ष और ईमानदार अधिकारी की है और उनकी एक सबसे बड़ी खासियत यह कही जाती है कि वे सुनते सबकी हैं, लेकिन सबकी मानते नहीं हैं.

बहुत बार हुआ बबलू कुमार का तबादला
यानी किसी भी राजनैतिक दबाव में उन्हें काम करने की आदत ही नहीं है, यही वजह है कि उनका तबादला बहुत जल्द होता रहता है. यही वजह है कि इतनी कम उम्र में ही यूपी जैसे बड़े राज्य में उनकी कर्तव्यनिष्ठा को एक पहचान मिली है और संकट की घड़ी में उन पर भरोसा किया जाने लगा है. उसकी सबसे बड़ी वजह है- उनकी कार्यशैली. बबलू कुमार की कार्यशैली प्रशासनिक दायरे में रहकर ठोस तथ्यों के आधार पर काम करने की रही है. इसलिए बबलू कुमार की काबिलियत और कार्यक्षमता को प्रशासनिक तंत्र के साथ-साथ राजनेता भी मानने लगे हैं.

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