
देश में घटते रोजगार पर बहस के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई तकनीक से रोजगार बढ़ने का दावा कर रहे हैं. तो वहीं लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा है कि तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की वजह से नौकरियों में कमी एक अहम चुनौती है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसका निदान ढूंढना चाहिए.
तकनीके से घट रही नौकरियां
सुमित्रा महाजन ने मंगलवार को यह बात जेनेवा में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) के 139वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, 'तकनीक और इनोवेशन हमें सूचना, बेहतर जीवनशैली, संपर्क, संचार, सोशल नेटवर्किंग और मनोरंजन तक आसान पहुंच मुहैया कराते हैं, लेकिन इससे नौकरियों में कमी भी आती है, अकेलापन बढ़ता है, लत लगती है और मनोवैज्ञानिक विकार देखने को मिलते हैं.'
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में महाजन के हवाले से कहा गया है कि समूची मानवता नवोन्मेष की अगुवाई वाली प्रौद्योगिकीय एवं डिजिटल क्रांति के केंद्र में है जो पृथ्वी पर जीवन के हर पहलू को आकार दे रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल साधनों तक पहुंच में बड़े फर्क से वैश्विक शांति को खतरा पैदा हो सकता है.
पीएम मोदी ने कहा था बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
आपको बता दें कि 11 अक्टूबर को फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन सेंटर के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए भारत ने कई महत्वपूर्ण पहल किए हैं. उन्होंने कहा था कि कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन, बिग डाटा और ऐसी तमाम नई तकनीकों में भारत के विकास को नई ऊंचाई पर ले जाने, रोजगार के लाखों नए अवसर बनाने और देश के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता है.
पीएम ने यह भी कहा था कि कुछ लोग चिंता करते हैं कि तीकनीक का यह उत्थान, रोजगार कम कर देगा. लेकिन सच्चाई ये है कि मानव जीवन की जिन वास्तविकताओं को हमने आज तक छुआ तक नहीं है, उसके द्वार अब इंडस्ट्री 4.0 द्वारा खुलेंगे. ये रोजगार के तरीके को काफी हद तक बदल देगा.
जिनेवा में भारतीय संसदीय शिष्टमंडल की अगुवाई कर रहीं महाजन ने कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी, महिला हितैषी साधनों, गरीब हितैषी शोध, कृत्रिम बुद्धिमता के प्रभाव और नौकरियों में कमी कुछ अहम चुनौतियां हैं जिन पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को निश्चित तौर पर चर्चा करनी चाहिए और इनका निदान करना चाहिए.