
साल 2002 के गोधरा कांड के बाद गुलबर्ग सोसाइटी में हुए दंगों के मामले में एक स्पेशल एसआईटी कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगा. इस मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे.
SC ने दिया था 31 मई को फैसला सुनाने का निर्देश
स्पेशल एसआईटी कोर्ट के जस्टिस पी. बी. देसाई 22 सितंबर 2015 को ट्रायल खत्म होने के बाद ये फैसला सुनाएंगे. मामले की निगरानी कर रही सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी कोर्ट को 31 मई को अपना फैसला सुनाने का निर्देश दिया था.
एसआईटी ने 66 आरोपियों को किया नामजद
इस मामले में एसआईटी ने 66 आरोपियों को नामजद किया था, जिनमें से 9 आरोपी पिछले 14 साल से जेल में हैं, जबकि बाकी आरोपी जमानत पर हैं. एक आरोपी बिपिन पटेल असरवा सीट से बीजेपी का निगम पार्षद है. 2002 में दंगों के वक्त भी बिपिन पटेल निगम पार्षद था. पिछले साल उसने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की.
कोर्ट ने खारिज की थी दो आरोपियों की अर्जी
पिछले हफ्ते कोर्ट ने नारायण टांक और बाबू राठौड़ नाम के दो आरोपियों की ओर से दायर वह अर्जी खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए नार्को एनालिसिस और ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराने की गुहार लगाई थी. कोर्ट ने कहा कि अब जब फैसला आने वाला है तो इसकी जरूरत नहीं है.
जानिए, गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामले में कब क्या हुआ?
-गोधरा कांड के एक दिन बाद यानी 28 फरवरी, 2002 को 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी पर हमला हुआ. गुलबर्ग सोसायटी में सभी मुस्लिम रहते थे, सिर्फ एक पारसी परिवार रहता था. यहां पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी रहते थे.
-20,000 से ज्यादा लोगों की हिंसक भीड ने पूरी सोसायटी पर हमला किया. ज्यादातर लोगों को जिंदा जला दिया. 39 लोगों के शव बरामद हुए और अन्य को गुमशुदा बताया गया, लेकिन 7 साल बाद भी उनके बारे में कोई जानकारी न मिलने पर उन्हें मृत मान लिया गया. अब कुल मौतों का आंकडा 69 है. मरनेवालों में एहसान जाफरी भी थे.
-8 जून, 2006 को ज़किया जाफरी और एहसान जाफरी की पत्नियों ने पुलिस को एक फरियाद दी, जिसमें कहा कि इस हत्याकांड के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और कई मंत्रियों और पुलिस अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया गया. पुलिस ने ये फरियाद लेने से मना कर दिया.
-7 नवंबर, 2007 को गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस फरियाद को एफआईआर मानकर जांच करवाने से इनकार कर दिया.
-26 मार्च, 2008 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के 10 बडे केसों की जांच के लिए आर के राघवन की अध्यक्षता में एक एसआईटी बनाई. इनमें गुलबर्ग का मामला भी था.
-मार्च 2009 में ज़किया की फरियाद की जांच करने का जिम्मा भी सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को सौंपा.
-सितंबर 2009 को ट्रायल कोर्ट में गुलबर्ग हत्याकांड की सुनवाई शुरू हुई.
27 मार्च 2010 को नरेंद्र मोदी को एसआईटी ने ज़किया की फरियाद के संदर्भ में समन जारी किया औऱ कई घंटों तक पूछताछ हुई.
-14 मई 2010 को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की.
- जुलाई 2011 में एमीकस क्यूरी राजु रामचन्द्रन ने इस रिपोर्ट पर अपनी नोट सुप्रीम कोर्ट में रखी.
-11 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला ट्रायल कोर्ट पर छोड़ा.
-8 फरवरी 2012 को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश की.
-10 अप्रैल 2012 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने एसआईटी की रिपोर्ट को माना कि मोदी और अन्य 62 लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं.
-इस मामले में 66 आरोपी हैं, जिसमें प्रमुख आरोपी बीजेपी के असारवा के काउंसलर बिपिन पटेल भी हैं.
-इस मामले के 4 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई.
-आरोपियों में से 9 अब भी जेल में हैं, जबकि अन्य सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं.
-इस मामले में 338 से ज्यादा गवाहों की गवाही हुई है.
-सितंबर 2015 में इस मामले का ट्रायल खत्म हो गया और अब फैसला आना है.