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कांग्रेस के भारी विरोध के बीच लोकसभा में पास हुआ SPG अमेंडमेंट बिल

दोपहर करीब 2 बजे गृह मंत्री अमित शाह ने एसपीजी बिल लोकसभा में पेश किया. जिसके बाद बिल पर विस्तृत चर्चा हुई. सदन के तमाम सदस्यों ने बिल पर अपने विचार व्यक्त किए. चर्चा के अंत में गृह मंत्री ने अपना जवाब पेश किया. जिसके बाद बिल को पारित करने का प्रस्ताव पेश किया जो कि ध्वनिमत से पारित हो गया.

एसपीजी सुरक्षा में पीएम मोदी (फाइल फोटो) एसपीजी सुरक्षा में पीएम मोदी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:26 PM IST

  • लोकसभा में पास हुआ एसपीजी संशोधन बिल
  • गृह मंत्री शाह ने कांग्रेस पर किए तीखे हमले
  • शाह बोले- गांधी परिवार की सुरक्षा बदली गई

दोपहर करीब 2 बजे गृह मंत्री अमित शाह ने एसपीजी बिल लोकसभा में पेश किया. जिसके बाद बिल पर विस्तृत चर्चा हुई. सदन के तमाम सदस्यों ने बिल पर अपने विचार व्यक्त किए. चर्चा के अंत में गृह मंत्री ने अपना जवाब पेश किया. जिसके बाद बिल को पारित करने का प्रस्ताव पेश किया जो कि ध्वनिमत से पारित हो गया. यहां आपको यह भी बता दें कि गृह मंत्री के जवाब से नाराज कांग्रेस के सदस्य सदन की कार्यवाही का बहिष्कार बाहर जा चुके थे.

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अमित शाह बोले- नया संशोधन एक्ट की मूल भावना के अनुकूल

बिल पेश करते वक्त गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एसपीजी का कानून 88 में बना. 91 और 94 में संशोधन हुआ. 99 और 2003 में संशोधन हुआ. आज फिर से मैं एक संशोधन लाया हूं जो मूल भावना के अनुकूल है. इस एक्ट के तहत एसपीजी प्रोटेक्शन सिर्फ पीएम और उनके परिवार के साथ जो उनके साथ अधिकृत पीएम आवास में रहते हैं उनको ही प्राप्त होगा. इसके अतिरिक्त जो पूर्व प्रधानमंत्री है उनको आवंटित आवास पर 5 साल के लिए प्राप्त होगा.  

उन्होंने आगे कहा इसकी नामावली में ही इसकी मूल भावना निहित है. जनता में भ्रांति है कि एसपीजी सिर्फ सुरक्षा का काम करती है. जबकि एसपीजी पीएम की ऑफिस की उनके कम्युनिकेशन की सबकी सुरक्षा करती है. इंदिरा जी की हत्या के बाद जो कमेटी बनी उसने कहा कि एक विशिष्ट दल प्रधानमंत्री की सुरक्षा करे इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा हो. प्रधानमंत्री सरकार के मुखिया होते हैं इसलिए प्रोटेक्शन शब्द का इस्तेमाल किया गया है.

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बिल पर बात करते हुए गृह मंत्री ने आगे कहा कि दुनिया में कई देशों के अंदर उनके राष्ट्राध्यक्ष की सुरक्षा के लिए स्पेशल ग्रुप बने हुए हैं. वो केवल राष्ट्राध्यक्ष और उनके काम की चिंता करते हैं. इस संशोधन के पीछे उद्देश्य इतना है कि एसपीजी और एफिसिएंट बने और एसपीजी के काम में कोई कोताही ना हो इसलिए हम इसको लेकर आए हैं. मेरा अनुरोध है कि सब अपने विचार रखें और बिल को स्वीकार करें.

मनीष तिवारी ने उठाए सवाल

इसके बाद शुरू हुई चर्चा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि आज हम बहुत ही संवेदनशील बिल पर बात करने के लिए इकट्ठा हुए हैं जो पीएम की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. मेरा कहना है कि इतिहास इस बात का गवाह है कि जब-जब ऐसे नकारात्मक कदम उठाए गए हैं बहुत बड़ा खामियाजा इस देश को भुगतना पड़ा है. सरकार किसी व्यक्ति को सुरक्षा क्यों प्रदान करती है. पुलिस व्यवस्था की गई आवाम की सुरक्षा के लिए. फिर सरकार इंगित करती है कि कुछ लोग ऐसे हैं जिनको सरकार की तरफ से सुरक्षा देने की जरूरत है. थ्रेट असेसटमेंट के हिसाब से विभिन्न श्रेणियों में सुरक्षा प्रदान की जाती है. ये जो थ्रेट असेसमेंट है क्या यह परफेक्ट साइंस है.

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उन्होंने आगे कहा कि सुरक्षा बहुत ही संवेदनशील मामला है लेकिन दुर्भाग्यवश यह एक राजनीतिक पूर्वावलोकन बन चुका है. इसके साथ ही उन्होंने खुद से जुड़ा एक वाक्या भी सुनाया. उन्होंने कहा कि 1984 में जब आतंकवादियों ने मेरे पिता की हत्या की तो हमें सुरक्षा प्रदान की गई. घर बिलकुल छावनी जैसी लगती थी. 1990 में सरकार बदली और रात में ही सारी सुरक्षा गायब. 1991 में वापस सरकार बदली और सुरक्षा वापस. अपने बयान में मनीष तिवारी ने राजीव गांधी हत्याकांड और उसके बाद बनाई गई वर्मा कमीशन की सिफारिशों का भी जिक्र किया.

मनीष तिवारी ने आगे कहा कि अटल सरकार ने प्रावधान दिया था कि जब तक थ्रेट असेसमेंट रहे तब तक सुरक्षा दी जाए. ये जो संशोधन लाया गया है कि उसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों या उनके परिवारों को जो सुरक्षा दी जानी थी उसे हटा दिया गया. यह वही कारण था जिसकी वजह से राजीव गांधी की एसपीजी प्रोटेक्शन हटाया गया था.

गांधी परिवार से सुरक्षा वापस लेने का मुद्दा उठाते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि जून से नवंबर तक उनको लगातार बोला जा रहा था कि आपकी थ्रेट असेस्मेंट बढ़ रही है. आपकी जान को खतरा है. लेकिन अचानक ऐसा क्या बदला की नवंबर 2019 में एक्ट को संशोधित किए बगैर सुरक्षा वापस ले ली गई. यह बताने की जरूरत है कि ऐसी क्या वजह थी सुरक्षा वापस ले ली गई. दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि इतिहास एक बार फिर दोहरा रहा है. मैं सरकार से मांग करना चाहता हूं कि जितने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं या उनका परिवार है वह जब तक जीवित है उसे एसपीजी सुरक्षा प्रदान की जाए. अमेरिका में भी पूर्व राष्ट्रपति को सिक्रेट सर्विस की सुविधा दी जाती है यही सुविधा ग्रेट ब्रिटेन में है और कई देशों में है. मैं निवेदन करता हूं कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सुरक्षा का मुद्दा देखा जाना चाहिए.

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अपने जवाब में गृह मंत्री ने कांग्रेस पर बोले हमले

गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा के बाद अपना जवाब पेश किया. उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण बिल पर कई सदस्यों ने हिस्सा लिया. जहां तक कांग्रेस और उनके साथियों के भाषण को मैंने ध्यान से सुना उससे ऐसा लग रहा है कि यह गांधी परिवार की सुरक्षा हटाने के लिए लाया जा रहा है. जो इनकी चिंता है वह पुराने एक्ट के तहत ही थ्रेट का विचार कर बदलाव किया गया था. यह एक्ट तो अब लाया जा रहा है. ऐसा लग रहा है कि सरकार को गांधी परिवार की सुरक्षा की चिंता ही नहीं है.

अपनी बात आगे बढ़ाते हुए अमित शाह ने कहा कि उनकी सुरक्षा हटाई नहीं गई है व्यवस्था बदली गई है. मैं कहना चाहता हूं कि उनको जेड प्लस विथ एएसएल दिया है एएसएल का मतलब है जाने वाली जगह पर पहले जाकर थ्रेट असेस्मेंट करेगा. वहां एंबुलेंस होगी, डॉक्टर होंगे, सीआरपीएफ के जवान होंगे. मैं पूछना चाहता हूं कि एसपीजी बनती कैसे है, उसमें सीआरपीएफ के ही जवान होते हैं. ग्रुप में विभिन्न सुरक्षा बलों के जवान होते हैं. वह सिर्फ सुरक्षा ही नहीं ऑफिस और कम्युनिकेशन की भी सुरक्षा करते हैं.

कांग्रेस पर हमला बोलते हुए गृह मंत्री ने कहा कि मैं रिकॉर्ड पर कहता हूं कि अभी तक जितने बदल हुए एक परिवार के लिए हुए यह पहला बदलाव है जो पीएम की सुरक्षा के लिए लाया जा रहा है. चंद्रशेखर जी की सुरक्षा ली गई कोई नहीं बोला, आईके गुजराल की सुरक्षा ली गई कोई नहीं बोला, डॉ. मनमोहन सिंह की सुरक्षा बदली गई कोई नहीं बोला चिंता व्यक्त नहीं की. ये जो दो मापदंड है यह पूरे देश को समझना चाहिए. यह सिर्फ एक परिवार की चिंता है. एसपीजी को स्टेटस सिंबल बना लिया गया है. इसी से किसी की सुरक्षा जाने वाली है तो वह नरेन्द्र मोदी जी की जाने वाली है जब वे पीएम नहीं रहेंगे 6वें साल सुरक्षा चली जाएगी.

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गृह मंत्री ने आगे कहा कि यह केवल एक परिवार की सुरक्षा की मांग है. आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनकी सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था कर दी गई है. वर्मा कमेटी की बात हुई तो हमने एडवांस में सुरक्षा दी फिर एसपीजी हटाई. सबको सुरक्षा की व्यवस्था दी गई है. लेकिन सबको प्रधानमंत्री की सुरक्षा नहीं दे सकते. थ्रेट असेस्मेंट दो बार किया गया, उसके बाद निर्णय लिया गया. पहले थ्रेट असेस्मेंट था इसका मतलब यह नहीं है कि अभी भी थ्रेट असेस्मेंट होगा.

अपने जवाब में उन्होंने आगे कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों को सीआरपीएफ का जेड प्लस नहीं है. वह थ्रेट असेस्मेंट के आधार पर दिया है. पॉलिटिकल वेंडेटा के हिसाब से ऐसा नहीं किया गया है. एसपीजी हर फोर्स के प्रोरेटा से बनती है. यह वीवीआईपी कल्चर की बात है. बंगाल के अंदर बीजेपी के कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की जरूरत है इसलिए दी गई है. वहां सीपीआई और कांग्रेस के नेताओं को भी दी है. मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि सुरक्षा के निर्णय मोदी सरकार कभी भी वेंडेटा के आधार पर नहीं ले सकती. वह प्योरली प्रोफेशनल तरीके से ली गई है. उनकी सुरक्षा की पूरी व्यव्सथा भी की गई है. लगभग 600 बार कोई सूचना दिए अपने कार्यक्रम में चले गए.  

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20 साल में एक बार भी पीएम मोदी ने नहीं हुआ सुरक्षा फॉउल

कुछ लोग 100-100 किलोमीटर की स्पीड में महंगी बाइक लेकर घुमते हैं. सुरक्षा की गाड़ियां पीछे-पीछे दौड़ती हैं. मैं कहां तक बताउंगा. मैं उदाहरण देना चाहता हूं कि 20 साल से उनके पास सुरक्षा कवर है लेकिन एक बार भी सुरक्षा फॉउल नहीं आया. उन्होंने अपने जीवन में कड़े मापदंड बनाए हैं. दूसरी ओर एसपीजी सुरक्षा को स्टेटस सिंबल बनाते हैं तो मैं कहूंगा कि सबको हमारे प्रधानमंत्री से सीखना चाहिए. रिवर फ्रंट पर पीएम मोदी ने वहां टूरिज्म बढ़ाने के लिए सुरक्षा से आगे बढ़कर कदम उठाने का फैसला लिया था. उनका वहां कोई तेज रफ्तार में ठंडी हवा खाने का शौक नहीं था. तीनों सदस्यों को जेड प्लस विद एएसएफएल दिया गया है लेकिन अगर यह कहना है कि प्रधानमंत्री वाली सुरक्षा ही चाहिए तो वह सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री के लिए है.

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