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रवींद्र जडेजा आए और जीत लिया

वन डे में आइसीसी की रैंकिंग में नंबर वन गेंदबाज बने गुजरात के रवींद्र जडेजा की अब तक की जीवन गाथा खासी दिलचस्प है. जडेजा में कुछ तो खास है.

जी.एस. विवेक
  • अहमदाबाद,नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2013,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

यह बात 7 फरवरी, 2009 की है. कोलंबो के ताज समुद्र के स्वीमिंग पूल लाउंज में एक परेशानहाल लड़का इधर से उधर चक्कर काट रहा था जबकि भारतीय टीम के दूसरे सदस्य चांदनी के उजाले में नहाए खुश दिख रहे थे. टीम हालांकि सीरीज 4-0 से जीत चुकी थी पर एक मैच बाकी था और रवींद्र जडेजा के लिए अभी सब कुछ शुरू होना था. ऐसे में उनकी बेचैनी समझ में आने वाली थी. साथी खिलाडिय़ों सुरेश रैना, प्रवीण कुमार और रोहित शर्मा ने उनकी दिक्कत भांपीः ‘‘इसके जूतों को लेकर कुछ प्रॉब्लम है, तभी थोड़ा परेशान है.’’ उन्हें वैसे भी टीम इंडिया के एक बड़े जूते में पांव डालने थे. 2008 की अंडर-19 विश्वकप विजेता टीम के होनहार खिलाड़ी से उसे भारतीय टीम में एक भरोसेमंद आलराउंडर की कमी को पूरा करने की दिशा में एक लंबी छलांग लगानी थी.

अपने पहले मैच में आठवें नंबर पर उतरकर जडेजा ने नाबाद 60 रन बनाए मगर वे एक ऐसे बल्लेबाज के रूप में प्रभावित करने में नाकाम रहे जो गेंदबाजी भी कर सकता हो. सितंबर 2011 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से नौ महीनों की दूरी के बाद जडेजा एक बार फिर नए ही थे, एक गेंदबाज जो अच्छी बल्लेबाजी भी कर सकता था. और अब गेंदबाज जडेजा ने आइसीसी की वन डे रैंकिंग में अगस्त से अब तक नंबर एक रैंक पर काबिज रहकर भारत को गौरवान्वित किया है. मनिंदर सिंह, कपिल देव और अनिल कुंबले के बाद चोटी पर पहुंचने वाले वे सिर्फ चौथे भारतीय हैं. दिसंबर 2012 के बाद से जडेजा का इकॉनामी रेट आश्चर्यजनक रूप से 3.78 रहा है. उन्होंने 22 मैचों में 38 विकेट लिए हैं, जिनमें से 12 तो इंग्लैंड की पिचों पर लेकर उन्होंने भारत को चैंपियंस ट्रॉफी जिताने में अहम भूमिका निभाई. ऐसे में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के चहेते खिलाडिय़ों में उनका शुमार होना हैरत की बात नहीं.

जडेजा में कुछ तो खास है. रेवड़ी, जड्डू, बापू जैसे उनके कई निकनेम हैं. घोड़े, कबूतर, खरगोश, मछली और कुत्ते पालने का शौक, अपनी मूंछों, राजपूताना वंशावली और दूसरी कीमती चीजों पर इतराने की चाह. इन सब वजहों से जडेजा मैदान के अंदर या बाहर बतौर एक किरदार अपार संभावनाओं वाले शख्स हैं. उनकी कहानी गुदड़ी से लाल बनने तक की दास्तान है. प्रेरित करने वाली मां का जाना, अतिरिक्त पैसों की खातिर बचकाना नासमझियों के चलते आइपीएल में एक साल का प्रतिबंध और तुरंत बाद खिलाडिय़ों की नीलामी में 60 लाख डॉलर की जबरदस्त कीमत पर बिकना, जडेजा की जिंदगी पर एक बेस्टसेलर किताब लिखी जा सकती है.

पैर में गोली लग जाने के कारण पिता अनिरुद्ध सिंह जडेजा सेना में नौकरी के काबिल नहीं रह गए और उन्हें एक निजी सुरक्षा एजेंसी में नौकरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा. फिर भी वे बेटे को सेना की वर्दी में देखने का सपना सजाते रहे. पर जूनियर जडेजा ने गोली चलाने की बजाय बल्ला घुमाकर गोली की तरह गेंद उड़ाना ज्यादा पसंद किया. हालांकि एक सुरक्षाकर्मी की मामूली कमाई या पत्नी लताबेन की नर्स की आमदनी, बेटे की अंग्रेजी बल्लों की जरूरत और दो बेटियों की पढ़ाई के लिए काफी न थी पर मां-बाप ने बेटे की खुशी में ही अपनी खुशी समझी.

जडेजा अपनी मां के ज्यादा करीब थे, जो उनके लिए लंच पैक करने तथा उन्हें मैच खेलने ले जाने के अलावा उनकी सबसे बड़ी फैन भी थीं. 2005 में आफत टूट पड़ी जब रसोई के एक हादसे में बुरी तरह जलने की वजह से मां की मौत हो गई. जडेजा ने क्रिकेट कॅरियर खत्म समझ लिया. पर बड़ी बहन नैना ने नर्स की नौकरी कर मां वाली जिम्मेदारी संभाल ली. तब तक एक उभरते क्रिकेटर के रूप में उनकी ख्याति जामनगर जिले की सीमा पार कर चुकी थी. उनकी गिनती भारत की अंडर-19 टीम के संभावितों में होने लगी थी.

एक बार 2010 में ऐसा भी मौका आया जब वे बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी छोडऩे की सोचने लगे. उस साल टी20 विश्वकप के एक मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई ओपनर शेन वाटसन और डेविड वार्नर ने उनके दो ओवर में लगातार छह छक्के कूटे. भारतीय टीम में उनकी जगह खतरे में पडऩे लगी. उन्होंने मध्यक्रम की बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करने का मन बना लिया. 2011 के विश्वकप से पहले टीम से बाहर बैठे जडेजा को सौराष्ट्र के कोच देबू मित्रा ने रास्ता दिखाया. मित्रा याद करते हैं, ‘‘मैंने उससे कहा कि गेंदबाजी ही भारतीय टीम में उसकी वापसी में मदद करेगी.’’ जडेजा ने गेंदबाजी निखारने के लिए अकेले विकेट पर घंटों गेंदबाजी करते हुए कड़ी मेहनत की.

जडेजा के ही शब्दों में, ‘‘मैंने महसूस किया कि मुझे लाइन, लेंथ सही रखते हुए बस ओवर पूरा करना होगा. मुझे पता था कि गेंद को घुमा सकने की काबिलियत मुझमें है. पिच अनुकूल होने या मौका पडऩे पर मैं फ्लाइट में भी परिवर्तन ला सकता हूं. मैं शिद्दत से एक ऐसा गेंदबाज बनना चाहता था जो दस ओवर का अपना कोटा पूरा कर सके. मैं एक आलराउंडर हूं और कभी-कभी भ्रम हो सकता है कि ध्यान आखिर किस पर केंद्रित किया जाए. मगर प्रेक्टिस के वक्त मुझे स्पष्ट पता होता है. मैं अपना समय दो हिस्सों में बांट लेता हूं और एक बार में एक पर ही ध्यान केंद्रित करता हूं. गेंदबाजी करते समय मैं प्रमुख गेंदबाज होता हूँ और बल्लेबाजी करते समय खुद को मुख्य बल्लेबाज समझता हूं.’’

वरीयता क्रम में शीर्ष पर पहुंचने वाले पहले भारतीय गेंदबाज रहे मनिंदर सिंह कहते हैं, ‘‘जडेजा दुनिया के नंबर 1 गेंदबाज? बहुत-से लोग सवाल करते हैं. पर आपको यह भी देखना होगा कि उन्होंने इसे कर दिखाया है. उन्होंने कुछ अनोखा करने का प्रयास नहीं किया है तथा वे अपनी ताकत और कमजोरियों को ठीक-ठीक जानते हैं. टेस्ट मैचों में विश्व स्तरीय गेंदबाज के रूप में वे मुझे संतुष्ट नहीं कर पाए हैं, लेकिन अच्छी स्पिन गेंदबाजी की अपनी काबिलियत के बारे में उन्होंने मुझे गलत भी साबित किया है.’’

जडेजा का सबसे बड़ा इम्तहान जल्द ही होने वाला है. दक्षिण अफ्रीका के संभावित दौरे में या फिर न्यूजीलैंड में. सीमित ओवर क्रिकेट में जडेजा की कई मोर्चों पर उपयोगिता सभी को पता है लेकिन घरेलू क्रिकेट की अपनी साख को अभी उन्हें साबित करना है क्योंकि वे प्रथम श्रेणी मैचों में तीन तिहरे शतक ठोकने वाले एकमात्र भारतीय हैं. उनकी इसी उपलब्धि ने उन्हें इस खास श्रेणी में ला दिया और सर डोनाल्ड ब्रेडमैन की तरह उन्हें ‘‘सर जडेजा’’ का खिताब दिलवाया.

आज वे कई ब्रांडों का विज्ञापन करने वाले हैं और अपनी पसंद तथा विभिन्न तरह की रुचियों के चलते विज्ञापन जगत के अगले बड़े नाम बताए जाते हैं. राजकोट के बाहरी इलाके के 8 एकड़ के अपने विशाल फार्महाउस में वे अमरूद, आम, मूंगफली और कपास उगाते हैं. उन्हें अपने चश्मों और जूतों से प्यार है और कपड़े पहनने के मामले में वे बहुत सतर्क रहते हैं. केसर और गंगा नाम के अपने घोड़ों पर वे किसी गंवई युवक के भदेस वाले आकर्षण के साथ सवारी करते हैं. फिर अपनी काली हायाबूसा या सफेद ए4 ऑडी कार की रफ्तार जांचने के लिए खुद को रेसर ब्वॉय में बदल लेते हैं. फिर भी अपने चश्मों और बाइक्स के साथ वे कोई अनोखा स्टंट नहीं करते. दक्षिण के स्टार रजनीकांत के साथ अपनी तुलना को वे टीम के साथियों का एक मजाक भर बताते हैं. कुछ चीजें सिर्फ रजनीकांत ही कर सकते हैं. बाकी के लिए? सर रवींद्र जडेजा मौजूद हैं ना!

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