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फुरसतः बास्केट बॉल की दीवानगी..

अपनी यात्रा के दौरान, एनबीए कमिशनर एडम सिल्वर ने निकट भविष्य में यहां लीग स्थापित करने की अपनी मंशा भी जताई. एनबीए ने भारत में कई आकर्षक कामयाबियां हासिल की हैं.

मुंबई में 5 अक्तूबर को सैक्रामेंटो किंग्स के खिलाफ डंक करते इंडियाना पेसर्स के एमिदा ब्रिमा मुंबई में 5 अक्तूबर को सैक्रामेंटो किंग्स के खिलाफ डंक करते इंडियाना पेसर्स के एमिदा ब्रिमा
भाव्या डोरे
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  • 31 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 3:26 PM IST

बास्केटबॉल की किंवदंती बन चुके 6'9'' के अमेरिकी खिलाड़ी लैरी बर्ड को जब अक्तूबर की शुरुआत में एनबीए इंडिया गेम्स के दौरान मुंबई में जमा दर्शकों से रू-ब-रू कराया गया तो तालियों की गडग़ड़ाहट में प्रियंका चोपड़ा की अगवानी भी फीकी पड़ गई. यह मुंबई के नेशनल स्पोटर्स क्लब ऑफ इंडिया में इंडियाना पेसर्स और सैक्रामेंटो किंग्स के बीच दो प्री-सीजन गेम्स में बास्केटबॉल प्रेमियों के उत्साह का एक संकेत भर था. वहां कई अन्य खिलाड़ी भी थे जिनका भरपूर स्वागत हुआ—पेसर्स के सेंटर, मायल्स टर्नर का नाम भीड़ में खूब गूंजा और इस खेल के लिए 4,500 रु. और 85,000 रु. (विभिन्न सुविधाओं सहित) के बीच की कीमत वाले सारे टिकट बिक चुके थे.

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नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (एनबीए) के ग्लोबल बिजनेस वाइस-प्रेसिडेंट डायने गोटुआ कहते हैं, ''इस खेल का यहां आगाज हमारे उस संकल्प की एक बड़ी उपलब्धि है कि हम यहां इस खेल को उससे भी ज्यादा तेजी से बढ़ाना चाहते हैं जितना अब तक यह बढ़ा है. क्रिकेट बेशक नंबर वन है, इसलिए हम क्रिकेट के साथ मुकाबला भी नहीं करना चाहते लेकिन नंबर दो का रुतबा तो हमें ही हासिल करना है.'' अपनी यात्रा के दौरान, एनबीए कमिशनर एडम सिल्वर ने निकट भविष्य में यहां लीग स्थापित करने की अपनी मंशा भी जताई.

एनबीए ने भारत में कई आकर्षक कामयाबियां हासिल की हैं. मसलन, एनबीए इंडिया के फेसबुक पेज के 31 लाख से अधिक लाइक हो गए हैं, 30 एनबीए स्कूल हैं, एक एलीट ट्रेनिंग एकेडमी है और लाइव गेम्स के लिए खेल के दो सीजन की लाइव हिंदी कमेंटरी हुई है. बास्केटबॉल को भारत में लंबे समय से खेला जाता रहा है, विशेषकर शहरी इलाकों में और एसोसिएशन के साथ मुंबई के जुड़ाव की एक कहानी है. एनबीए ने खेल को बढ़ावा देने के इरादे से 2011 में यहां एक ऑफिस खोला, उसके बाद बास्केटबॉल की चर्चा तेज हुई है.

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मिजोरम सुपर लीग ने पांच दौर पूरे कर लिए हैं. खेल के इस छोटे और फास्ट वर्जन 3&3 प्रो बास्केटबॉल लीग (3बीएल) में दोनों तरफ तीन खिलाड़ी होते हैं. इसे एफआइबीए की मान्यता प्राप्त है. इसे पिछले साल लॉन्च किया गया और इस साल उसके दूसरे दौर का आयोजन हुआ है. रेड बुल रैन ने जून में भारत में अपना पहला थ्री-ऑन-थ्री टूर्नामेंट आयोजित किया और स्ट्रीट बॉल लीग अक्तूबर में शुरू हुई, जिसमें सेलिब्रिटीज के स्वामित्व वाली टीमें शामिल हैं. भारत अगले साल मार्च में थ्री-ऑन-थ्री ओलंपिक क्वालीफायर की मेजबानी भी करेगा.

3बीएल में और उत्तर अमेरिका और जापान में खेल चुके इंदरबीर गिल कहते हैं, ''मैं पिछले चार-पांच साल से हर साल भारत आ रहा हूं और मैं इसे साल-दर-साल ज्यादा लोकप्रिय होता और खिलाडिय़ों को लगातार बेहतर होता देख रहा हूं. अब एनबीए गेम्स की शुरुआत हुई है, तो यह इस खेल को नई ऊंचाई पर ले जाने में मदद करेगा.'' असल में, बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया ढीलाढाला संस्थान है और उसमें आपसी झगड़े भी बहुत हैं. राष्ट्रीय टीम भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कहीं खड़े होने के काबिल नहीं है, फिर भी यह खेल भारत में बढ़ रहा है.

 थ्रीन-ऑन-थ्री के भारत के सबसे टॉप रैंकिंग वाले खिलाड़ी ध्रुव बर्मन कहते हैं, ''प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस मौकों की कमी है.'' पिछले साल तक, बर्मन ने कभी भी नहीं सोचा था कि वे भारत में बास्केटबॉल में करियर बना सकते हैं. अब वे दो लीग में खेल चुके हैं और उनकी नजरें ओलंपिक क्वालीफायर पर जमी हैं. वे कहते हैं, ''हमें आखिरकार पैसे मिलने ही लगे हैं. मुझे यात्रा करने और खेलने का मौका मिल रहा है. मैं अपने सपने को जीने लगा हूं.''

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 3बीएल के लीग कमिशनर रोहित बख्शी का मानना है कि खेल के 10-मिनट के और आधे-कोर्ट वाले इस संस्करण से नए और युवा दर्शकों में लोकप्रिय बनाने में मदद मिली है, जिनके पास 40-मिनट के पारंपरिक खेल के लिए धैर्य नहीं है. उन्होंने कहा, ''फाइव ऑन फाइव टेस्ट मैच की तरह है जबकि थ्री-ऑन-थ्री आइपीएल की तरह.'' पिछले साल, 150 लोग 3बीएल ट्रायल के लिए पहुंचे थे, इस साल 1,500. उन्होंने एक महिला लीग भी शुरू की है जिसमें छह टीमें हैं. लेकिन एनबीए के प्रयासों के अलावा, युवा खिलाडिय़ों के लिए कुछ अन्य पहल भी की गई हैं. मसलन, हैदराबाद में ट्रूगेम एक्सपीरिएंस और श्रीनिधि स्पोटर्स एकेडमी द्वारा संचालित स्कूलों की एक नई लीग शुरू हुई है, जिसे तेलंगाना बास्केटबॉल एसोसिएशन का समर्थन प्राप्त है. इस नवंबर में लीग का दूसरी बार आयोजन होगा.

ट्रूगेम के संस्थापक और सीईओ हिमांशु चारण कहते हैं, ''ऐसे आयोजनों की जरूरत है, जिनसे राज्यों से प्रतिभाएं निकाल सकें. माता-पिता के पास भी अब खर्चने को अधिक पैसे हैं और सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देने वाली पुरानी प्रवृत्ति धीरे-धीरे बदल रही है.'' उनका मानना है कि भारतीय खेल उद्योग के परिपक्व होने से बास्केटबॉल को भी लाभ हो रहा है.

चीन में बास्केटबॉल क्रांति को स्थानीय खिलाडिय़ों ने शीर्ष पर पहुंचा दिया और याओ मिंग जैसे खिलाड़ी स्टार बन गए. इसके विपरीत भारत में अभी कोई स्टार नहीं है. गोटुआ कहते हैं, ''भारत में लोकप्रिय बनाने का एक तरीका तो यह है कि आप कोई एनबीए स्टार लेकर आएं लेकिन आपको स्थानीय प्रतिभाओं की भी आवश्यकता होगी.''

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