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श्रीलंका ने कोलंबो में पनडुब्बी खड़ा करने के चीन की गुजारिश को ठुकरा दिया है. चीनी पनडुब्बी को खड़ा करने की इजाजत को लेकर 2014 में भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था.
एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने बताया, उन्होंने (चीन) 14 मई और 15 मई को पनडुब्बी खड़ा करने की इजाजत मांगी थी. हमने इनकार कर दिया था. सरकारी सूत्रों ने कहा कि भविष्य में भी ऐसी गुजारिशों को ठुकरा दिया जाएगा.
श्रीलंका की ओर से इनकार किए जाने का यह कदम उस वक्त उठाया गया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका के दौरे पर है. यहां वह शुक्रवार को बैसाख दिवस समारोह में शामिल होंगे.
बता दें कि चीन ने हालिया वर्षों में श्रीलंका में हवाईअड्डें, सड़कें, रेलवे और बंदरगाह के निर्माण के लिए काफी निवेश किया है. चीन के इस कदम के पीछे का मकसद भारत के लिए (आर्थिक) अस्थिरता पैदा करना है, जो पारंपरिक रूप से श्रीलंका का आर्थिक साझेदार रहा है. भारत अपने इस पड़ोसी देश में बढ़ते चीनी प्रभाव को लेकर श्रीलंका को अपनी चिंताओं से अवगत कराता रहा है.
यहां गौर करने वाली बात यह है कि कोलंबो में 70 प्रतिशत जहाजों की आवाजाही भारत से होती है. वहीं श्रीलंका घाटे में चल रहे अपने हमबनटोटा बंदरगाह को चीन को 99 साल के लिए किराए पर देने की योजना पर अंतिम फैसला लेने जा रहा है, हालांकि ट्रेड यूनियनों के विरोध की वजह से डील में देरी हो रही है.