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राम मंदिर पर सुलह का नया फॉर्मूला, 28 को लखनऊ में बड़ी बैठक

बैठक से निकलकर आया कि विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाया जाए और दूसरी जगह पर मस्जिद का निर्माण किया जाए. साथ ही अयोध्या में ही मुस्लिमों के लिए एक यूनिवर्सिटी खोलने की बात भी कही गई है.

लखनऊ में श्रीश्री और नदवी की मुलाकात लखनऊ में श्रीश्री और नदवी की मुलाकात
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 01 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व सदस्य सलमान नदवी और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के बीच गुरुवार को लखनऊ में एक बैठक हुई. इस बातचीत में अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर एक नया फॉर्मूला बनाने में सहमति बनी है.

इस बैठक में सुलह के कई बिंदुओं पर दोनों पक्ष राजी दिखे. बैठक से निकलकर आया कि विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाया जाए और दूसरी जगह पर मस्जिद का निर्माण किया जाए. साथ ही अयोध्या में ही मुस्लिमों के लिए एक यूनिवर्सिटी खोलने की बात भी कही गई है.

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इस अलावा 6 दिसंबर 1992 को हुई बाबरी विध्वंस की घटना से सबक लेते हुए कड़े कानूनी बनाने पर भी चर्चा की गई है ताकि आगे किसी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा सके. इस बाबत अब 28 मार्च को एक बैठक होना तय हुआ है.

आगामी बैठक में देश-विदेश से मौलाना, महंत, शि़क्षाविद् और नामचीन हस्तियों को बुलाया जाएगा. लखनऊ में इस बैठक के लिए जगह ढूढने का काम भी शुरू कर दिया गया है. साथ ही आज की बैठक में सलमान नदवी के ह्यूमन वेलफेयर बोर्ड के गठन पर भी चर्चा हुई और जल्द ही बोर्ड का गठन किया जाएगा.

नदवी से खफा मुस्लिम बोर्ड

सलमान नदवी इससे पहले भी राम मंदिर पर सुलह का फॉर्मूला सुझा चुके हैं. इसके लिए उन्हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया गया था. फरवरी के पहले हफ्ते में हैदराबाद में बोर्ड की तीन दिवसीय बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया था. नदवी बोर्ड के एग्जीक्यूटिव सदस्य थे.

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समझौते की कोशिश में श्री श्री

हिन्दुओं की ओर से 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद पर लगातार सुलह कराने की कोशिश कर रहे हैं. उनका मानना है कि विवाद को कोर्ट के बजाए आपसी रजामंदी के साथ सुलझा लिया जाए. इसके लिए वो पहले भी मुस्लिम बोर्ड, सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्यों सहित मुस्लिम नेताओं के साथ कई बैठक कर चुके हैं.

मार्च में मामले की सुनवाई

बीते 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते के अंदर मामले से जुड़े कागजात लाने को कहा था. मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर निर्देश दिया कि वह इस मामले की सुनवाई एक जमीनी विवाद के तौर पर ही करेंगे, किसी भी धार्मिक भावना और राजनीतिक दबाव में सुनवाई को नहीं सुना जाएगा.

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