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आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने सोमवार को कहा कि वह अयोध्या विवाद में अपनी इच्छा से एक मध्यस्थ के तौर पर शामिल हैं और वह सभी हितधारकों से मिलने के लिए 16 नवंबर को अयोध्या की यात्रा करेंगे.
दरअसल, कांग्रेस ने पिछले महीने श्री श्री रविशंकर को सरकार का एक एजेंट करार दिया था, जो अयोध्या विवाद में इसके हितों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय ने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है कि एक समझौता संभव है लेकिन उन्होंने पूछा कि किसने 'आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन' प्रमुख जैसे लोगों को इस काम के लिए नियुक्त किया.
बिना ऐजेंडे के अयोध्या जाएंगे श्री श्री रविशंकर
श्री श्री रविशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एक शिष्टाचार मुलाकात करेंगे. उन्होंने कहा कि यह मेरी अपनी इच्छा थी कि मैं अयोध्या विवाद में एक मध्यस्थ के तौर पर शामिल होऊं. उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि वह अयोध्या की यात्रा करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे में मेरा कोई एजेंडा नहीं है और यात्रा के दौरान मैं हर किसी की सुनुंगा. उन्होंने अयोध्या विवाद में मध्यस्थता की इसलिए पेशकश की थी कि इसका अदालत से बाहर कोई हल निकल सके.
बच्चों को देर तक ना देखने दें टीवी
श्री श्री रविशंकर ने जेएनयू में 13वें नेहरू मेमोरियल लेक्चर में हिस्सा लिया और वहां मौजूद लोगों के कई सवालों का जवाब दिया. रेयान स्कूल के एक छात्र की हत्या से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने माता पिता को अपने बच्चों को खतरनाक वीडियो गेम नहीं खेलने देना चाहिए और उन्हें लंबे समय तक टीवी नहीं देखने देना चाहिए. उन्होंने कहा कि बच्चे आभासी और वास्तविक दुनिया में अंतर नहीं कर सकते. मैं माता पिता को सलाह देता हूं कि वे अपने बच्चों को ऐसा नहीं करने दें.
श्री श्री बोले जेएनयू को भी इनर पीस की जरूरत
जेएनयू के कन्वेन्शन सेंटर में श्री श्री रविशंकर ने 'इनर पीस, आउटर डाइनामिजम' विषय को संबोधित किया. दरअसल जेएनयू ने आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से एक वेलनेस सेंटर की शुरुआत की गई है. कार्यक्रम का आयोजन वेलनेस सेंटर की तरफ से किया गया था. अपने संबोधन की शुरुआत में ही श्री श्री रविशंकर ने जेएनयू का जिक्र करते हुए कहा कि जेएनयू में कितना 'इनर पीस' है ये तो नहीं मालूम लेकिन जेएनयू में डाइनामिजम यानी गतिशीलता जरूर है और यही युवाओं की पहचान है. लेकिन डाइनामिजम का मतलब आंदोलन नहीं है.
ऐसे वेलनेस सेंटर की जरूरत लगभग सभी यूनिवर्सिटी को है. क्योंकि छात्रों पर पढ़ाई का तनाव होता है, परीक्षा का प्रेशर होता है, कई बार दिल टूटने पर छात्र इमोशनल ब्रेकडाउन का शिकार होते हैं. इतना ही नहीं नए कॉलेज, कैंपस, सहपाठियों के बीच सामंजस्य बिठाना भी छात्रों के लिए मुश्किल होता है. इसीलिए वेलनेस सेंटर उनके लिए मददगार साबित हो सकते हैं.