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सृजन घोटाले की जांच की आंच सिर्फ छोटी मछलियों तक ही सीमित: राजद

सृजन महाघोटाले की सीबीआई जांच पर सवाल उठाते हुए आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इस पूरे घोटाले में सीधे तौर से शामिल हैं और इन दोनों के सत्ता में आसीन रहते हुए इस महा घोटाले की निष्पक्ष जांच कभी संभव नहीं है.

सृजन घोटाला सृजन घोटाला
अंकुर कुमार/रोहित कुमार सिंह
  • पटना ,
  • 30 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:27 AM IST

राष्ट्रीय जनता दल ने आरोप लगाया है कि 1000 करोड़ से भी ज्यादा के सृजन महाघोटाले की सीबीआई जांच में अब तक केवल छोटी मछलियों पर ही कार्रवाई की जा रही है और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो रही है. राजद का मानना है कि इस महाघोटाले के तार सत्ता पक्ष के बड़े-बड़े नेताओं से जुड़े हैं, ले‍किन उसके बावजूद भी सीबीआई इन नेताओं के खिलाफ कोई भी कड़ा कदम नहीं उठा रही है.

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सृजन महाघोटाले की सीबीआई जांच पर सवाल उठाते हुए आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी इस पूरे घोटाले में सीधे तौर से शामिल हैं और इन दोनों के सत्ता में आसीन रहते हुए इस महा घोटाले की निष्पक्ष जांच कभी संभव नहीं है.

राजद की तरफ से कहा गया कि बिहार सरकार के संज्ञान में रहने के बावजूद भी इस पूरे घोटाले पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया बल्कि लूट की छूट देकर सरकारी खजाने को लुटाया गया है. राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार वालों के खिलाफ सीबीआई तत्परता से जांच कर रही है, इसको लेकर शक्ति सिंह यादव ने कहा कि विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ जांच में सीबीआई हमेशा तत्परता दिखाती है, लेकिन भाजपा शासित प्रदेश में गड़बड़ियों की जांच में सीबीआई शिथिलता दिखाती है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण मध्यप्रदेश का व्यापम घोटाला है.

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राजद ने कहा अगर सीबीआई का इस्तेमाल अपने लोगों और गठबंधन के साथियों को बचाने के लिए किया जाएगा तो इस संस्था की साख पर बट्टा लगना तय है. शक्ति सिंह यादव ने कहा कि भागलपुर के सृजन महाघोटाले की जांच को दबाया गया है और हर प्रकार के ध्यानाकर्षण को नकारते हुए सृजन मामले से अकूत संपत्ति धन संग्रह करने की छूट दी गई.

राजद ने मांग की है कि सीबीआई इस पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच करे और साजिशकर्ताओं को भी जल्द नामजद अभियुक्त बनाकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करें.

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