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400 रुपये से कम में होगा कोरोना का रैपिड टेस्ट! इन दो PSU ने बनाई किट

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल लाइफकेयर और राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (RGCB) ने ऐसे रैपिड टेस्ट किट का विकास किया है, जिनसे 350 से 400 रुपये में ही एक टेस्ट किया जा सकेगा. दोनों ने कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए अलग-अलग रैपिड डायगनोस्टिक एंटीबॉडी किट का विकास किया है.

कोरोना के बहुत कम रेट पर टेस्ट के लिए विकसित हुआ किट (प्रतीकात्मक तस्वीर) कोरोना के बहुत कम रेट पर टेस्ट के लिए विकसित हुआ किट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

  • कोरोना टेस्ट में तेजी लाने का सरकार कर रही प्रयास
  • दो सरकारी संस्थाओं ने विकसित किया है सस्ता किट
  • इनसे 350 से 400 रुपये में हो सकेगा कोरोना का टेस्ट

देश में कोरोना की जांच में तेजी लाने की सरकार पूरी तैयारी कर रही है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल लाइफकेयर और राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (RGCB) ने ऐसे रैपिड टेस्ट किट का विकास किया है, जिनसे 350 से 400 रुपये में ही एक टेस्ट किया जा सकेगा.

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एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड तिरुअनंतपुरम मुख्यालय वाली कंपनी है जो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित होती है. दूसरी तरफ, राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (RGCB) केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत संचालित राष्ट्रीय संस्थान है. दोनों ने कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए अलग-अलग रैपिड डायगनोस्टिक एंटीबॉडी किट का विकास किया है.

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कैसे होता है टेस्ट

एचएलएल ने 'मेकश्योर' नाम से एक किट बनाया है जो मरीज के सीरम, प्लाज्मा या खून लेकर नोवेल कोरोना वायरस (COVID 19) IgM/IgG एंटीबॉडी की पहचान कर सकता है. एचएलएल का यह किट उसके मानेसर, हरियाणा स्थित कारखाने में तैयार किया गया है और इसे एनआईवी पुणे तथा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के द्वारा भारत में इस्तेमाल के लिए मंजूर किया गया है.

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एचएएल ऐसी पहली सार्वजनिक कंपनी है जिसे कोविड-19 के रैपिड एंटीबॉडी किट के निर्माण और आपूर्ति के लिए आईसीएमआर से मंजूरी मिली है. कंपनी की योजना ऐसे 2 लाख किट अगले दस दिन में अस्पतालों और जांच केंद्रों तक पहुंचाने की है.

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किट की है बेहद कमी

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण पर अंकुश के लिए सबसे जरूरी यह है कि इसकी जांच के लिए अस्पतालों को उपयुक्त संख्या में किट मिले, लेकिन इनकी काफी कमी है.

इसी प्रकार आरजीसीबी के किट को भी इस सप्ताह आईसीएमआर की मंजूरी मिल सकती है. इसका विकास आरजीसीबी के कोच्चि कैम्पस में शुरू की गई कंपनी उबियो बायोटेक्नोलॉजी के द्वारा किया गया है. संस्थान की योजना हर दिन करीब 2 लाख किट बनाने की है और एक महीने में 60 लाख किट बना सकती है.

(https://www.businesstoday.in/ से साभार)

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