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उम्मीदों का शहर है स्‍टीलनगरी जमशेदपुर

अगर जड़ें मजबूत हों तो बड़े झटके भी झेलना मुश्किल नहीं. झारखंड के जमशेदपुर शहर के बारे में भी ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है.

विजय देव झा
  • रांची,
  • 15 जनवरी 2012,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

अगर जड़ें मजबूत हों तो बड़े झटके भी झेलना मुश्किल नहीं. झारखंड के जमशेदपुर शहर के बारे में भी ऐसा ही कुछ कहा जा सकता है. डेढ़ साल पहले ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे के बाद रेलवे ने टाटा नगर-हावड़ा रेल खंड पर यात्री गाड़ियों की रात के समय आवाजाही बंद कर दी  थी, जिससे जमशेदपुर को लगभग 450 करोड़ रु. का नुकसान उठाना पड़ा. आम आदमी से लेकर राजनैतिक दलों तक में इस मुद्दे को लेकर गुस्सा था. बहरहाल, बुधवार 11 जनवरी को एक आदेश जारी कर रात में भी रेल सेवा को फिर से शुरू कर दिया गया है. लेकिन इस तरह के बड़े झटकों के बावजूद इंडिया सिटी कंपिटीटिवनेस रिपोर्ट-2011 के 50 शहरों के सर्वे में इसने अपने प्रदर्शन से जबरदस्त छलांग लगाई है. पिछली बार यह 49वें पायदान पर था. इस बार यह 42वें पायदान पर आ गया है.

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टाटा स्टील, टेल्को, टीवाइओ और टिनप्लेट कंपनी इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों की इकाइयां यहां पर काम कर रही हैं. एक्सएलआरआइ में बिहेवियरल स्टडीज के प्रोफेसर मधुकर शुक्ल कहते हैं, ''यह मिनी इंडिया है. यहां पिछली एक शताब्दी से अधिक समय से देश के कोने-कोने से आए लोग रह रहे हैं. यहां पर कम्युनिटी लाइफ की जबरदस्त फीलिंग है जो इसकी ताकत है.''

बी श्रेणी में शामिल जमशेदपुर के बारे में, पांच शहरों में जीवन की गुणवत्ता पर 2010 की एसी नेल्सन रिपोर्ट में भी माना गया है कि जल और बिजली के मामले में यह कई और शहरों से बेहतर है. यह भी कि यह पुणे तथा चंडीगढ़ के साथ मुकाबले में है. यहां बिजली शायद ही कभी गुल होती है. बेहतर सेवा के बल पर यह नए निवेश और उद्यम को आकर्षित कर रहा है.

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यह सब जुस्को कमांड एरिया की कहानी है. नगरपालिका के तहत आने वाले जुगसलाई, मानगो, परसुडीह और आदित्यपुर जैसे इलाकों में पेयजल, अच्छी सड़क और जरूरी सुविधाओं का अभाव है. भाजपा के विधायक रघुबर दास कहते हैं, ''जुस्को के एरिया से बाहर विकास उम्मीद के अनुरूप नहीं है. शहर का औद्योगिक विकास हुआ है लेकिन नागरिक सुविधाओं के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है. सरकार और कॉर्पोरेट जगत, दोनों को शहर के विकास के बारे में सोचना होगा. जमशेदपुर को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग की हालत खराब है.''

आदित्यपुर जमशेदपुर का सबसे बड़ा औद्योगिक इलाका है जहां 11 बड़ी और 64 छोटी समेत तकरीबन 800 औद्योगिक इकाइयां है. इनमें तकरीबन 20 ऐसी हैं जिनके उत्पादों की बिक्री यूरोप से लेकर अमेरिका तक है. यहां जन-सुविधाओं की घोर कमी दिखती है. पूर्वी जमशेदपुर में व्याप्त जल समस्या को खत्म करने के रघुबर दास के प्रयास को सफलता मिली है. करीब एक लाख की आबादी को जलापूर्ति के लिए पूर्वी जमशेदपुर में एक विशाल जल मीनार का निर्माण किया गया है.

जमशेदपुर में रियल एस्टेट व्यवसाय अपने शबाब पर है. 200 से अधिक डेवलपर शहर के विस्तार में जुटे हैं. व्यावसायिक इलाकों में जमीन की कीमत 4,000 रु. से लेकर 20,000 रु. प्रति वर्ग फुट तक है जबकि साक्ची जैसे इलाकों में चार कमरे का फ्लैट खरीदने पर कीमत 1,850 रु. प्रति वर्ग फुट के हिसाब से देनी होगी.

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रीटेल में बिग बाजार, रिलायंस फ्रेश और मार्ट सहित सिटी बाजार तक आ चुके हैं. टाटा स्टील भी 5.4 एकड़ में सेंटेनरी मॉल लाने की योजना पर काम कर रही है. बेल्डीह क्लब, ट्यूब मेकर्स क्लब और गोलमुरी क्लब की वजह से जमशेदपुर की नाइट लाइफ में एक बड़ा परिवर्तन आया है. औद्योगिक शहर होने के कारण होटल उद्योग में निवेश मुनाफे का धंधा साबित हो रहा है. अशोक इन, गंगा रीजेंसी, देवदूत पैलेस, बी.एस. प्लाजा आदि अच्छे होटलों में शुमार किए जाते हैं.

शिक्षा के लिए बेहतर जगह माने जाने वाले जमशेदपुर का एक्सएलआरआइ स्कूल ऑफ बिजनेस ऐंड ह्यूमन रिसोर्सेज प्रबंधन शिक्षा के मामले में बड़ा नाम है. लेकिन उच्च शिक्षा के लिए बेहतर कॉलेज और संस्थान की कमी काफी दिनों से महसूस की जा रही है.

जमशेदपुर में यातायात के बेहतर प्रबंधन के लिए ध्यान देना होगा. सोनारी, साक्ची और जमशेदपुर रेलवे स्टेशन सहित जमशेदपुर के अंदर कम-से-कम तीन फ्लाइओवर की जरूरत है. लंबे अरसे से जमशेदपुर में नियमित विमान सेवा की मांग उठती रही है. टाटा स्टील का सोनारी में अपना एयरपोर्ट है.

यह कहना गलत नहीं होगा कि खरकई और स्वर्णरेखा नदी के संगम पर बसा जमशेदपुर शहर असीम संभावनाओं का शहर है.

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