
भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में आजकल आवारा कुत्तों के नसबंदी का शिविर चल रहा है. आबादी कंट्रोल करने के लिए कुत्तों के नसबंदी का शिविर पहली बार बोधगया में लगाया गया है. दरअसल अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध पर्यटन स्थली पिछले कुछ महीने से अवारा कुत्तों के आतंक से पीडित है. जिसकी वजह से बौद्ध पर्यटकों को काफी परेशानी हो रही थी.
स्थानीय प्रशासन ने इस समस्या के निजाद के लिए कोई कदम नहीं उठाया तब सिक्किम सरकार ने कुत्तों की आबादी को सीमित करने के लिए उनकी नसबंदी करने का बीड़ा उठाया. सिक्किम सरकार के एंटी रेबीज एमल हेल्थ डिवीजन ने लगभग 500 कुत्तों की नसबंदी का टारगेट है.
भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया में सिक्किम एंटी रेबीज एनिमल हेल्थ डिवीज़न, सिक्किम सरकार के द्वारा पशुओं के नसबन्दी के लिए सिक्किम के कुछ पशु चिकित्सक तथा विदेशों के भी पशु चिकित्सक पशुओं का नसबन्दी कर रहे हैं. बोधगया के सड़कों पर घूम रहे आवारा कुतों से तथा इनकी बढ़ती जनसंख्या से भविष्य में उत्प्न्न होने वाली परेशानियों से मुक्ति के लिए तेरगर बौद्ध मठ के समीप लावारिस कुतों के लिए नसबन्दी का ऑपरेशन शिविर लगायी गयी है.
कुतों को पकड़ने के लिए अलग टीम है तो वंही ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों की अलग टीम है. कुतों को पकड़ने के बाद उसे यहां लाकर बेहोश करते हैं फिर बनाये गए ऑपरेशन थियेटर में स्लाइन लगा कर नसबन्दी का ऑपरेशन किया जाता है. फिर उसे वार्ड में शिफ्ट किया जाता है. ठीक होने के बाद इसे वहीं छोड़ा जाता है जहां से इसे पकड़ कर लाते हैं.
शिविर में ऑपरेशन कर रही सिक्किम की महिला सर्जन डिकी ने बताया कि जब बोधगया में पर्यटन का मौसम आता है तो खाने के लिए दूर-दूर के गांव से कुत्ते यहां आ जाते हैं. जिसमें कुछ खतरनाक भी होते हैं. जिससे परेशानी बढ़ जाती है. ज्यादातर कुत्ते मॉल न्युट्रिशन होते हैं. वह बताती हैं कि अगर इनकी नसबन्दी नहीं होगी तो लोगों के लिए जान का खतरा हो जाएगा.