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...ऐसा ना होता तो UP में नहीं, MP में होता ताजमहल

मोहब्बत की निशानी ताजमहल विश्व के सात अजूबों में शामिल है. लेकिन, ताजमहल से जुड़ी एक बात और है जिसे कम लोग ही जानते हैं. ऐसी मान्यता है कि ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में करवाया था. पढ़िए मुमताज और ताज से जुड़ा ऐसा ही एक किस्सा...

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 3:32 PM IST

पिछले कुछ दिनों से ताजमहल लगातार सुर्खियों में है. कुछ दिन पहले जब उत्तर प्रदेश सरकार की पर्यटन गंतव्यों की बुकलेट जारी हुई थी उस वक्त उसमें ताजमहल का जिक्र ना होना सबको अखरा था. अब सोमवार को हिंदू युवा वाहिनी के कुछ कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के बाहर शिव चालीसा की जिसके बाद विवाद गरमाया गया है.

मोहब्बत की निशानी ताजमहल विश्व के सात अजूबों में शामिल है. लेकिन, ताजमहल से जुड़ी एक बात और है जिसे कम लोग ही जानते हैं. ऐसी मान्यता है कि ताजमहल का निर्माण शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में करवाया था. पढ़िए मुमताज और ताज से जुड़ा ऐसा ही एक किस्सा...

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बुरहानपुर में हुई थी मुमताज की मौत

मुमताज ने बुरहानपुर के शाही महल में 17 जून 1631 को अंतिम सांस ली थी. मुमताज की मृत्यु अपनी चौदहवीं संतान के जन्म के दौरान हुई थी.

शाहजहां बनवाना चाहते थे यादगार इमारत

बताया जाता है कि शाहजहां मुमताज से बेइंतहां मोहब्बत करते थे इसीलिए उनकी याद में एक भव्य इमारत बनवाना चाहते थे. लेकिन, ऐसा बुरहानपुर में संभव नहीं था इसलिए मुमताज के शव को मडपैक थैरेपी अर्थात मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाकर छह महीने 9 दिन तक बुरहानपुर में रखा गया था. और बाद में आगरा ले जाया गया.

ये थी सबसे बड़ी समस्या

इतिहास के जानकारों के मुताबिक ताज के निर्माण के लिए पहले बुरहानपुर में ताप्ती के किनारे एक स्थान चुना गया था. लेकिन मिट्टी में दीमक होने के चलते यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी क्योंकि ताजमहल की नींव में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी को दीमक से खतरा था. इसी वजह से यमुना किनारे ताज निर्माण कराया गया.

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लकड़ी की है ताज की नींव

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आगरा में ताजमहल के बेस के लिए जमीन में 50 फीट तक खुदाई कराई गई. खुदाई के बाद शीशम और सागौन की लकड़ियों के पिलर तैयार किए गए. आगरा में इसी तरह 110 पिलरों पर ताजमहल की आधारशिला रखी है. शीशम-सागौन के बेस पर सैकड़ों सालों बाद भी ताजमहल आज भी खड़ा है.

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