Advertisement

यूपी के सबसे खतरनाक माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्‍ला के शूटआउट का सच

हम यहां आपको यूपी के सबसे खतरनाक माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्‍ला के शूटआउट का सच बताने जा रहे हैं. श्रीप्रकाश शुक्‍ला यूपी में 90 के दशक का डॉन था. अखबारों के पन्ने हर रोज उसी की सुर्खियों से रंगे होते.

aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 30 जून 2014,
  • अपडेटेड 7:23 AM IST

हम यहां आपको यूपी के सबसे खतरनाक माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्‍ला के शूटआउट का सच बताने जा रहे हैं. श्रीप्रकाश शुक्‍ला यूपी में 90 के दशक का डॉन था. अखबारों के पन्ने हर रोज उसी की सुर्खियों से रंगे होते. यूपी पुलिस हैरान-परेशान थी. नाम पता था लेकिन उसकी कोई तस्‍वीर पुलिस के पास नहीं थी. बिजनेसमैन से उगाही, किडनैपिंग, कत्ल, डकैती, पूरब से लेकर पश्चिम तक रेलवे के ठेके पर एकछत्र राज. बस यही उसका पेशा था. और इसके बीच जो भी आया उसने उसे मारने में जरा भी देरी नहीं की. लिहाजा लोग तो लोग पुलिस तक उससे डरती थी. आखिरकार, यूपी पुलिस के एसटीएफ ने एक मुठभेड़ में मार गिराया.

Advertisement

पहला एनकाउंटर
श्रीप्रकाश के साथ पुलिस का पहला एनकाउंटर 9 सितंबर 1997 को हुआ. पुलिस को खबर मिली कि श्रीप्रकाश अपने तीन साथियों के साथ सैलून में बाल कटवाने लखनऊ के जनपथ मार्केट में आने वाला था. पुलिस ने चारों तरफ घेराबंदी कर दी. लेकिन यह ऑपरेशन ना सिर्फ फेल हो गया बल्कि पुलिस का एक जवान भी शहीद हो गया. इस एनकाउंटर के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला की दहशत पूरे यूपी में और ज्यादा बढ़ गई.

एसटीएफ का गठन
लखनऊ स्थित सचिवालय में यूपी के मुख्‍यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की एक बैठक हुई. इसमें अपराधियों से निपटने के लिए स्‍पेशल फोर्स बनाने की योजना तैयार हुई. 4 मई 1998 को यूपी पुलिस के तत्‍कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने राज्य पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को छांट कर स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाई. इस फोर्स का पहला टास्क था- श्रीप्रकाश शुक्ला, जिंदा या मुर्दा.

Advertisement

सादी वर्दी में तैनात एके 47 से लैस एसटीएफ के जवानों ने लखनऊ से गाजियाबाद, गाजियाबाद से बिहार, कलकत्ता, जयपुर तक छापेमारी तब जाकर श्रीप्रकाश शुक्‍ला की तस्‍वीर पुलिस के हाथ लगी. इधर, एसटीएफ श्रीप्रकाश की खाक छान रही थी और उधर श्रीप्रकाश शुक्ला अपने करियर की सबसे बड़ी वारदात को अंजाम देने यूपी से निकल कर पटना पहुंच चुका था.

पटना में मंत्री का मर्डर
श्रीप्रकाश शुक्‍ला ने 13 जून 1998 को पटना स्थित इंदिरा गांधी हॉस्पिटल के बाहर बिहार सरकार के तत्‍कालीन मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की गोली मारकर हत्‍या कर दी. मंत्री की हत्‍या उस वक्‍त की गई जब उनके साथ सिक्‍योरिटी गार्ड मौजूद थे. वो अपनी लाल बत्ती की कार से उतरे ही थे कि एके 47 से लैस 4 बदमाशों ने उनपर फायरिंग शुरु कर दी और वहां से फरार हो गए.

इस कत्ल के साथ ही श्रीप्रकाश ने साफ कर दिया था कि अब पूरब से पश्चिम तक रेलवे के ठेकों पर उसी का एक छत्र राज है. बिहार के मंत्री के कत्ल का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि तभी यूपी पुलिस को एक ऐसी खबर मिली जिससे पुलिस के हाथ-पांव फूल गए. श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्‍कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुपारी ले ली थी. 6 करोड़ रुपये में सीएम की सुपारी लेने की खबर एसटीएफ के लिए बम गिरने जैसी थी.

Advertisement

एसटीएफ हरकत में आई और उसने तय भी कर लिया कि अब किसी भी हालत में श्रीप्रकाश शुक्‍ला का पकड़ा जाना जरूरी है. एसटीएफ को पता चला कि श्रीप्रकाश दिल्‍ली में अपनी किसी गर्लफ्रेंड से मोबाइल पर बातें करता है. एसटीएफ ने उसके मोबाइल को सर्विलांस पर ले लिया. लेकिन श्रीप्रकाश को शक हो गया. उसने मोबाइल की जगह पीसीओ से बात करना शुरू कर दिया. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि पुलिस ने उसकी गर्लफ्रेंड के नंबर को भी सर्विलांस पर रखा है.

सर्विलांस से पता चला कि जिस पीसीओ से श्रीप्रकाश कॉल कर रहा है वो गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में है. खबर मिलते ही यूपी एसटीएफ की टीम फौरन दिल्ली के लिए रवाना हो जाती है. एसटीएफ किसी भी कीमत पर ये मौका गंवाना नहीं चाहती थी.

एनकाउंटर के दिन
23 सितंबर 1998 को एसटीएफ के प्रभारी अरुण कुमार को खबर मिलती है कि श्रीप्रकाश शुक्‍ला दिल्‍ली से गाजियाबाद की तरफ आ रहा है. श्रीप्रकाश शुक्‍ला की कार जैसे ही वसुंधरा इन्क्लेव पार करती है, अरुण कुमार सहित एसटीएफ की टीम उसका पीछा शुरू कर देती है. उस वक्‍त श्रीप्रकाश शुक्ला को जरा भी शक नहीं हुआ था कि एसटीएफ उसका पीछा कर रही है. उसकी कार जैसे ही इंदिरापुरम के सुनसान इलाके में दाखिल हुई, मौका मिलते ही एसटीएफ की टीम ने अचानक श्रीप्रकाश की कार को ओवरटेक कर उसका रास्ता रोक दिया. पुलिस ने पहले श्रीप्रकाश को सरेंडर करने को कहा लेकिन वो नहीं माना और फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस की जवाबी फायरिंग में श्रीप्रकाश मारा गया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement