
गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में प्रद्युम्न की हत्या, फिर दिल्ली के स्कूल में 5 साल की बच्ची के साथ रेप... स्कूल में बच्चों के साथ होने वाले हादसे और दुर्घटनाएं मन में कई सवाल पैदा करती हैं. स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी कई सवाल उठते हैं. इन घटनाओं को देखकर पेरेंट्स और बच्चों के मन में डर पैदा होने लगा है. बच्चे अब स्कूलों में भी सुरक्षित नहीं हैं.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों की मानें तो साल 2015 में देशभर में बच्चों के खिलाफ क्राइम के 94,172 मामले हुए, जिसमें सबसे ज्यादा 11,420 मामले उत्तर प्रदेश में रजिस्टर किए गए.
वहीं साल 2014 से तुलना करें तो बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध के मामलों में 12.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
स्कूल में बढ़ती असुरक्षा को देखते हुए हमने बाल मनोवैज्ञानिकों से बातचीत की. गंगाराम अस्पताल की सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉ. रोमा कुमार से इस बारे में कहा कि स्कूल में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जितनी स्कूल पर है, उतनी ही माता-पिता पर भी है. स्कूल बस में बैठने से लेकर स्कूल पहुंचने तक और फिर स्कूल के दौरान भी बच्चों को ट्रैक करना ना छोड़ें.
पेरेंट्स ये जरूर करें
1. स्कूल बस के ड्राइवर और कंडक्टर का नंबर रखें. स्कूल पहुंचने से पहले तक ड्राइवर और कंडक्टर से बात करते रहें. आजकल वीडियो कॉल फ्री ऑफ कॉस्ट होता है, अगर कंडक्टर या ड्राइवर के पास स्मार्टफोन है तो उससे वीडियो कॉल में बच्चे से बात कराने को कहें.
प्रद्युम्न मर्डर केस: पिंटो फैमिली की अग्रिम जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई आज
2. स्कूल पहुंचते ही बच्चे की अटेंडेंट या क्लास टीचर से सुनिश्चित करें कि बच्चा स्कूल में सुरक्षित पहुंच गया है. आजकल कई तरह के एप्लीकेशन आ गए हैं, जिससे आप अपने बच्चों को ट्रैक कर सकते हैं.
3. बच्चों को डर कर नहीं जीना चाहिए, लेकिन उन्हें ये जरूर समझाएं कि स्कूल में कहीं भी अकेले ना जाए. हमेशा किसी के साथ रहें और जहां कहीं भी जाए अपने दोस्तों और क्लास टीचर को जरूर बताएं.
4. माता-पिता ऐसे स्कूल में ही एडमिशन कराएं, जिसकी घर से दूरी 20 से 25 मिनट की हो. एडमिशन के समय ही यह भी सुनिश्चित कर लें कि स्कूल के सभी क्लास, हॉल, लॉबी, यहां तक कि गार्डन एरिया में भी कैमरे लगे हों और सभी कैमरे काम करते हों और आप उससे कनेक्टेड हों.
5. स्कूल का बाथरूम ट्वायलेट कितना सुरक्षित है इस पर नजर रखें. वहां कोई अटेंडेंट बैठती है या नहीं यह भी ध्यान दें और अपने बच्चे से भी बराबर पूछते रहे. बच्चों का ट्वॉयलेट कहीं बड़े तो इस्तेमाल नहीं करते, यह भी चेक करें.
6. स्कूल में कितने गार्ड हैं और कितनी नैनीज हैं देखें. उन सभी का पुलिस वेरिफिकेशन हुआ है या नहीं. स्कूल में मौजूद सभी टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ का भी पुलिस वेरिफिकेशन हो. और सभी स्टाफ का मेंटल हेल्थ कैसा है इसकी भी जांच हो.
7. बच्चा अगर स्कूल के बारे में कुछ कह रहा है तो उसे नजरअंदाज ना करें. बात छोटी हो या बड़ी, तसल्ली के लिए संबंधित व्यक्ति से जरूर बात करें.
टॉयलेट में 'गलत हरकत' कर रहा था कंडक्टर अशोक...तभी प्रद्मुम्न वहां पहुंच गया और...!
8. बच्चों को गुड टच बैड टच में अंतर जरूर बताएं. किसी बुरे बर्ताव पर या खराब टच पर कैसे शोर मचाना है, वहां से भागना है और कैसे तमाशा बनाना है, जरूर सिखाएं.
9. बच्चे को पसंद नहीं है तो उसे कोई किस ना करे और ना ही गले लगाए. बच्चे को इस तरह तैयार करें कि वो इन चीजों के लिए ना कह सके.
10. यहां तक कि अगर वो किसी व्यक्ति से हाथ नहीं मिलाना चाहता है तो उस पर दबाव ना डालें.
11. बच्चों को यह मालूम होना चाहिए कि उनका शरीर, उनकी मर्जी के बगैर कोई नहीं छू सकता. अगर ऐसा होता है तो उसे शोर मचाना आना चाहिए.
12. बच्चों को ये बताएं कि उनके प्राइवेट पाट्स को कोई नहीं छू सकता और ना ही उनकी तस्वीर खींच सकता है. यहां तक कि निजी अंगों की तस्वीर भी बच्चों को दिखाना क्राइम है. बच्चों को एनिमेशन के जरिये समझाएं कि स्विम शूट एरिया क्या है और उसे छूने की इजाजत किसी भी व्यक्ति को नहीं है.
13. अगर इनमें से कोई भी घटना उनके साथ होती है तो वो अपने माता-पिता को जरूर बताए.
14. बच्चों को यह बताएं कि वो अपने माता-पिता और दादा-दादी और नाना-नानी के अलावा किसी भी दूसरे व्यक्ति पर भरोसा ना करें. अगर घर में ऐसा कुछ होता है तो बच्चा अपनी क्लास टीचर और माता-पिता को जरूर बताए.
प्रद्युम्न के शरीर पर नहीं मिले यौन शोषण के सबूत- डॉक्टर का खुलासा
15. माता-पिता के साथ कोई भी बात राज ना रखता हो. अगर बच्चा आपसे कोई बात छुपा रहा है तो उससे बात करें और जानने की कोषिष करें कि वह ऐसा क्यों कर रहा है.