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जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में इस्लामिक टेरेरिजम की पढ़ाई करवाई जाएगी. दरअसल कॉलेज की अकडेमिक काउंसिल की मीटिंग में कोर्स को लेकर फैसला लिया गया है. हालांकि इससे पहले कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया था कि उन्हें बैठक में बोलने नहीं दिया गया था. बताया जा रहा है कि इस कोर्स को लेकर विरोध भी हो रहा है.
विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव 'पास' किया है, जिसमें 'इस्लामिक आतंकवाद' पर पाठ्यक्रम होगा. परिषद की बैठक में हिस्सा लेने के बाद एक प्रोफेसर ने यह जानकारी दी.
परिषद की 145 वीं बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य और जेएनयू शिक्षक संघ के पदाधिकारी सुधीर के सुथर ने बताया कि परिषद के कई सदस्यों ने इस्लामिक आतंकवाद पर पाठ्यक्रम शुरु करने के प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया कि यह सांप्रदायिक स्वभाव का पाठ्यक्रम है. बैठक में हिस्सा लेने वाले परिषद के ही एक अन्य सदस्य ने कहा कि कई सदस्यों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया.
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रिपोर्ट्स के अनुसार जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन की वाइस प्रेजिडेंट सिमोन जोया खान ने बताया कि जेएनयू वाइस चांसलर जगदीश कुमार ने यूनिवर्सिटी में नैशनल सिक्यॉरिटी स्टडीज स्पेशल सेंटर शुरू करने के प्रपोजल और इसके तहत इस्लामिक टेररिजम कोर्स शुरू करने की इजाजत दी है. यूनियन का कहना है कि इस कोर्सों का मकसद आरएसएस-बीजेपी का चुनावी प्रचार लगता है, जबकि यूनिवर्सिटी को आतंकवाद के नेचर की पढ़ाई करवानी चाहिए.
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आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन प्राइवेटाइजेशन और भगवा राजनीति को बढ़ावा दे रहा है. इस फैसले के बाद जेएनयू में एक बार फिर टीचर्स-स्टूडेंट्स और प्रशासन आमने-सामने हैं.