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पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश में हुए महिला सशक्तिकरण के लिए भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी तारीफ की जा रही हो, लेकिन देश के 80 फीसदी से अधिक पुरुषों का मानना है कि पति द्वारा पत्नी को पीटना जायज है. इस ओर हाल ही जारी एक स्टडी रिपोर्ट में पतियों का कहना है कि गलती करने पर पत्नी को पीटना उनका अधिकार है.
यूनाइटेड नेशन की संस्था यूएनएफपीए और ढाका की संस्था आईसीडीडीआरबी की ओर से करवाए गए अध्ययन में ग्रामीण क्षेत्रों के 89 फीसदी पुरुषों ने कहा कि वह पत्नी की पिटाई को अपना अधिकार मानते हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले 83 फीसदी लोगों ने भी ऐसी ही राय व्यक्त की है.
महिलाओं के लिए ज्यादती बर्दाश्त करना जरूरी
बांग्लादेश के लगभग सभी अखबारों में शनिवार को छपी इस रिपोर्ट के अनुसार, गांवों में 65 फीसदी और शहरों के 50 पुरुषों का विचार है कि परिवार को बचाने के लिए महिलाओं को ज्यादती बर्दाश्त करना जरूरी होता है. स्टडी के लिए आईसीडीडीआरबी ने शहरों और गांवों में 2,400 लोगों से बातचीत की थी.
मर्द बनने के लिए कठोर बनना जरूरी
'मर्द को दर्द नहीं होता' यह कहावत भले ही भारत में खूब प्रचलित हो लेकिन इसका असर बांग्लादेश में भी है. स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, यहां शहरों में रहने वाले 93 फीसदी जबकि ग्रामीण क्षेत्र के 98 फीसदी पुरुषों का मानना है कि मर्द बनने के लिए कठोर होना जरूरी है. यही नहीं, ज्यादातर पुरुषों का मानना है कि परिवार के स्तर पर फैसला लेने का अधिकार सिर्फ पुरुषों के पास होना चाहिए.
गौरतलब है कि बांग्लादेश ने मातृ मृत्यु दर को तेजी से कम करके और सबसे अधिक संख्या में बच्चियों को स्कूल भेजकर संयुक्त राष्ट्र की ओर से निर्धारित विकास लक्ष्यों को पाया था. इसके अलावा बांग्लादेश में 1991 से बनी सरकारों की प्रमुख महिलाएं रही हैं और इसे अक्सर महिला सशक्तिकरण के संकेतक के रूप में देखा जाता रहा है. जाहिर है ऐसे में बांग्लादेश के पुरुषों के यह विचार अलग ही कहानी बयान करते हैं.