स्टडी ने बताया, कोरोना वायरस अधिक संक्रामक बनने के लिए कर रहा है म्युटेट

शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि नोवेल कोरोना वायरस में म्युटेशन इसे अधिक स्पाइक्स दे रहा है, जो इसे मेजबान कोशिकाओं में अधिक आसानी से पहुंच बनाने में मदद करते हैं.

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देश में तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना के नए मामले (फाइल फोटो: PTI) देश में तेजी से बढ़ रहे हैं कोरोना के नए मामले (फाइल फोटो: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2020,
  • अपडेटेड 9:41 PM IST

  • फ्लोरिडा में शोधकर्ताओं ने पाया है ऐसा
  • म्युटेशन इसे अधिक स्पाइक्स दे रहा है

दुश्मन अधिक विकसित हो रहा है! फ्लोरिडा में शोधकर्ताओं ने पाया है कि नोवेल कोरोना वायरस मानव कोशिकाओं (सेल्स) को अब उससे कहीं ज्यादा आसानी से चकमा देकर संक्रमित कर रहा हो सकता है, जितना कि वो चीन में महामारी की शुरुआत के दौरान कर रहा था.

स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के निष्कर्षों के मुताबिक यह म्युटेशन या उत्परिवर्तन Covid-19 के यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और लैटिन अमेरिका में तेजी से फैलने की व्याख्या कर सकता है. हालांकि कम से कम अब के लिए ये अधिक घातकता की ओर नहीं बढ़ रहा.

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कैसे म्युटेट करते हैं वायरस?

बता दें, वायरस अपनी प्रतिकृतियां बनाने के लिए तब म्युटेट (उत्परिवर्तित) करते हैं जब मेजबान कोशिकाएं शत्रुवत व्यवहार करती हैं. वो अपनी सतह प्रोटीन्स को बदल कर ऐसा करते हैं जिससे कि शत्रुवत कोशिकाओं तक पहुंच मिल जाए. स्क्रिप्स की टीम के मुताबिक नोवेल कोरोना वायरस ऐसा ही कर रहा हो सकता है.

पृथ्वी को आतंकित करने वाले इस पैथोजन (रोगजनक) ने अपना नाम वायरल एनवलप से उभरे स्पाइक्स से लिया है. नोवेल कोरोनो वायरस इन संरचनाओं का इस्तेमाल मानव कोशिकाओं से चिपक कर उन्हें संक्रमित करने के लिए करता है.

अपनी प्री-प्रिंट स्टडी में (जिसका अभी Peer Review यानि समकक्ष समीक्षा नहीं हुई है) शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया कि नोवेल कोरोना वायरस में म्युटेशन इसे अधिक स्पाइक्स दे रहा है, जो इसे मेजबान कोशिकाओं में अधिक आसानी से पहुंच बनाने में मदद करते हैं.

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बताया गया है कि D614G नामक नया म्युटेशन रोगियों के बीच अधिक गंभीरता का कारण नहीं बनता दिखता और न ही इससे विकसित की जा रही वैक्सीन्स पर कोई असर पड़ने की संभावना है.

नया स्ट्रेन अधिक संक्रामक

स्टडी में नोट किया गया है कि म्यूटेशन "अधिक संक्रामक लगता है लेकिन इससे बीमारी की गंभीरता में कोई देखे जा सकने वाला अहम अंतर नहीं दिखाई देता.” D614G की खोज में शामिल वैज्ञानिकों ने यूरोप और अमेरिका से एकत्रित सैम्पल्स का विश्लेषण किया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कार्यकारी निदेशक माइकल जे रयान पहले कह चुके हैं, "कुछ म्युटेशन वायरस को बदल सकते हैं और जो हम हमेशा से देख रहे हैं, वह यह है कि कोई ऐसा बदलाव तो नहीं जो बीमारी के क्लिनिकल प्रभाव को बदल सकता हो."

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वैज्ञानिकों ने इंगित किया कि इस समय, इस म्युटेशन का प्रमुख परिणाम वायरस के ट्रांसमिशन रेट तक ही सीमित है न कि इसकी गंभीरता से.

द वाशिंगटन पोस्ट को दिए एक साक्षात्कार में, प्रमुख शोधकर्ता, डॉ हायरयून चोय ने बताया कि म्युटेशन ने "लैब प्रयोग में वायरस को 10 गुना अधिक संक्रामक बना दिया."

प्री-प्रिंट सर्वर BioRxiv पर प्रकाशित स्टडी का तर्क है कि फंक्शनल स्पाइक प्रोटीन्स का ऊंचा स्तर संभवतः "होस्ट-टू-होस्ट ट्रांसमिशन’’ की संभावना को बढ़ाता है लेकिन अन्य फैक्टर्स होस्ट के खुद अंदर प्रतिकृति की दर और दक्षता को सीमित करते हैं." वैज्ञानिक इसे एंटीबॉडी व्यवहार को प्रभावित करने वाले के तौर पर नहीं देखते.

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WHO के मुताबिक, 49,000 से अधिक पूर्ण जीनोम सीक्वेंस उपलब्ध हैं. जिनेवा में पिछले हफ्ते WHO की Covid-19 के लिए टेक्निकल लीड डॉ मारिया वान करखोवे ने कहा "चूंकि यह एक RNA वायरस है, इसलिए उसमें अपेक्षित बदलाव होते हैं और हम यह निर्धारित करने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या उन बदलावों का वायरस के बर्ताव पर फर्क पड़ता है. हमने अभी तक ऐसा नहीं देखा है, लेकिन हमारे पास वैश्विक स्तर पर ऐसे लोगों का एक समूह है, जो इसे देख रहे हैं."

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