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क्या आप उन लोगों से हमेशा नाराज रहते हैं, जो ज्यादा अपशब्दों का इस्तेमाल करता है? लेकिन आपको बता दूं कि वे अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा ईमानदार हो सकते हैं.
वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि जो लोग बिना किसी लाग-लपेट के अक्सर कुछ भी बोल देते हैं, उन लोगों का झूठ और छल-कपट से संबंध होने की संभावना बहुत ही कम होती है. वे लोग उन गालियों में काफी अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से कुछ को समाज में अनुचित और अस्वीकार्य माना जाता है.
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ऐसी भाषा अक्सर यौन दुराचार, निंदा और अन्य असभ्य शब्दावलियों में आती है.
आमतौर पर ऐसे शब्द गुस्सा, हताशा और आश्चर्य जैसी भावनाओं को जाहिर करने से संबंधित होता है. हालांकि ऐसे अपशब्दों का इस्तेमाल मनोरंजन करने और दर्शकों का दिल जीतने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
शोधकर्ताओं ने बताया कि बेईमानी और गाली बकना प्राय: असमाजिक और अनैतिक समझा जाता है. वहीं दूसरी तरफ इसको ईमानदारी के साथ सकारात्मक रूप से जोड़ा जाता है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल निष्कपट भावना और ईमानदारी को व्यक्त करने के लिए किया जाता है.
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ब्रिटेन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के डेविड स्टीलवेल का कहना है, गाली देना और बेईमानी के बीच एक जटिल संबंध होता है. गाली देना अक्सर अनुचित व असभ्य आचरण होता है, लेकिन यह ईमानदारी से किसी की अपनी राय व्यक्त करने का जरिया भी हो सकता है.
स्टीलवेल ने बताया, वे लोग बिल्कुल अपनी भाषा को बिना लाग-लपेट के प्रयोग करते हैं, जो ज्यादा मजेदार होता है, और इसमें वे लोग अपने विचार को भी निष्कपटता और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करते हैं.
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शोधकर्ताओं के मुताबिक जो लोग सोशल मीडिया पर अभद्र शब्दों को अधिक लिखते हैं, उसके झूठ बोलने की संभावना कम होती है. एक दूसरे सर्वेक्षण में 75000 फेसबुक उपयोगकर्ताओं के बीच किए गए शोध के डाटा को शामिल किया गया, जो बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया में अपनी बातचीत में इन अश्लील शब्दों का इस्तेमाल करते हैं.