Advertisement

खेती करने के साथ की पढ़ाई, अब हैं करोड़ों की कंपनी के चेयरमैन

लोगों का कहना होता है कि पैसे से पैसा बनता है, लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने इस बात को सिरे से इंकार कर दिया है. इस नामों में टाटा कंपनी के चेयरमैन चंद्रशेखरन नटराजन का नाम भी शामिल है.

चंद्रशेखरन नटराजन चंद्रशेखरन नटराजन
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

लोगों का कहना होता है कि पैसे से पैसा बनता है, लेकिन कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने इस बात को सिरे से इंकार कर दिया है. इस नामों में टाटा कंपनी के चेयरमैन चंद्रशेखरन नटराजन का नाम भी शामिल है. नटराजन आज 6 लाख साठ हजार लोगों को नौकरी देने वाले और कई देशों में व्यापार करने वाले टाटा ग्रुप के चेयरमैन हैं, लेकिन उनका पालन पोषण एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने कई मुश्किलों को सामना करते हुए आज इस मुकाम को हासिल किया है.

Advertisement

वैसे तो कंपनी के साथ चंद्रशेखरन का साथ तीन दशक पुराना है, लेकिन जनवरी में ही उन्हें इस पद की जिम्मेदारी दी है. उन्होंने 1987 में टाटा के लिए काम शुरू किया. वे टाटा की एक प्रमुख कंपनी टीसीएस या टाटा कंसल्टेंसी सर्विस के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं. पिछले साल अक्तूबर में उन्हें टाटा सन्स के बोर्ड में डायरेक्टर नियुक्त किया गया था.

मिसाल: ये हैं देश की पहली महिला फायरफाइटर

उसके बाद वे साल 1987 में वे टीसीएस में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में जुड़े और साल 2002 आते-आते वह टीसीएस के ग्लोबल सेल्स हेड बन गए. इस दौरान उन्होंने कंपनी के तौर-तरीकों में एक तकनीकी बदलाव किए. जब चंद्रशेखरन टीसीएस के सीईओ नियुक्त किए गए तो उनके नेतृत्व में कंपनी का रेवेन्यू 6.3 अरब डॉलर से बढ़कर 16.5 अरब डॉलर हो गया. टीसीएस को सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचाने के बाद उन्हें टाटा सन्स की कमान दी गई है. आज उनकी पहचान देश के शीर्ष सफल उद्यमियों में है.

Advertisement

बस नहीं मिली तो इंजीनियर ने शुरू किया ये काम, अब है लाखों में कमाई

वेबसाइट योर स्टोरी के अनुसार नटराजन को फोटोग्राफी के साथ मैराथन दौड़ का शौक भी है. हाल ही में उन्होंने अपने स्कूल के लिए कुछ किलोमीटर पैदल यात्रा भी की थी. उन्होंने विदेशी पत्रिका को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता एक वकील थे, लेकिन दादा के गुजर जाने के बाद उन्‍होंने किसानी शुरू कर दी. अपनी पिता की इच्छानुसार कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद वे अपने पिता की खेती-बाड़ी करने. हालांकि, वो कुछ अलग करना चाहते थे और उन्होंने खेती के साथ पढ़ाई की.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement