
हर कोई पढ़ाई करने के बाद एक गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में अच्छी नौकरी करने का सपना देखता है. लेकिन आज हम एक शख्स की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी छोड़कर खुद का काम शुरू कर दिया. खास बात ये है कि इस शख्स ने जो काम किया, उससे वो करोड़ों का व्यापार कर रहा है. यह कहानी है ओला कैब के फाउंडर भाविश अग्रवाल की, जिन्होंने नौकरी छोड़कर ओला कंपनी बनाई थी. अब लाखों लोग हर दिन ओला में सफर कर रहे हैं और इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.
पंजाब के रहने वाले भाविश ने आईआईटी मुंबई के कम्प्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग ग्रेजुएट (बीटेक) में एडमिशन लिया. उसके बाद उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट में काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन भाविश अपनी नौकरी से खुश नहीं थे. वे 9 से 5 बजे वाली नौकरी करने के बजया खुद का काम करना चाहते थे. उसके बाद उन्होंने 2010-11 में ओला कैब्स की स्थापना की. उस वक्त उनके जानकारों ने उनका मजाक बनाया. माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च की नौकरी करते हुए भाविश ने अब तक दो पेटेंट्स प्राप्त किए थे.
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ऐसे आया आइडियाबताया जाता है कि उनके दिमाग में ओला कैब का आइडिया एक ट्रिप के बाद आया था. एक बार वो कहीं घूमने गए थे और वो एक कार किराए पर लेकर गए थे. उस वक्त उनका अनुभव बहुत खराब रहा था. उस वक्त उन्हें लगा कि कैब की सर्विस ठीक नहीं है और उन्होंने इससे संबंधित काम शुरू करने पर विचार किया. अपने टेक्नोलॉजी बैकग्राउंड के चलते भाविश ने कैब सर्विसेज और टेक्नोलॉजी को एक साथ जोड़ने के बारे में सोचा.
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उनके साथ उनके मित्र अंकित ने भी उनका साथ दिया. शुरुआत में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में उन्हें फंडिंग मिली और उनका कारोबार लगातार आगे बढ़ता गया. बताया जाता है उन्होंने अभी तक खुद के लिए कार भी नहीं खरीदी है. अब उनकी कंपनी हर साल करोड़ों का व्यापार कर रही है.