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''अरविंद केजरीवाल बहुत बड़े तानाशाह हैं''

शिरोमणि अकाली दल के  अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल बहुत बड़े तानाशाह हैं.

सुखबीर सिंह बादल सुखबीर सिंह बादल
राज चेंगप्पा
  • नई दिल्ली,
  • 12 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 3:54 PM IST

पंजाब के उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अब तक के सबसे युवा अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल 2017 के विधानसभा चुनावों को लेकर बेहद उत्साहित हैं. 10 साल से सत्ता में रहने के दबाव के अलावा एसएडी के सामने कुछ सबसे मुश्किल चुनौतियां हैं—गठबंधन की सहयोगी बीजेपी के बढ़ते टकरावपूर्ण रवैए से निबटना, अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का तेजी से बढ़ता प्रभाव, जिस वजह से पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू भी उसमें शामिल हो सकते हैं, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस का बढ़ता जोर, और यह धारणा कि पंजाब पतन की ओर जा रहा है और इसके युवा ड्रग्स का शिकार होकर बर्बाद होते जा रहे हैं. ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और डिप्टी एडिटर असित जॉली के साथ खास बातचीत में 2012 में लगातार दूसरी बार सत्ता में आकर पंजाब में इतिहास रचने वाले बादल कहते हैं कि वे बिल्कुल भी चिंतित नहीं हैं, और तीसरी बार अपना 'जादू' चलाने की उम्मीद कर रहे हैं. उनसे बातचीत के प्रमुख अंशः

क्या नवजोत सिंह सिद्धू के आम आदमी पार्टी में जाने की संभावना से आपकी पार्टी के लिए खतरा हो सकता है?
कोई खतरा नहीं है. अकालियों ने ही हमेशा उन्हें बचाया है. उनके संसदीय (चुनाव) रिकॉर्ड पर नजर डालिए, वे सिर्फ अकाली प्रभाव वाली सीटों (विधानसभा क्षेत्र) से जीते हैं. पिछली बार (2009) जब वे एक लाख वोटों की बढ़त से घटकर 4,000 पर आ गए थे तो वे शहर (अमृतसर) से हार गए थे और अकाली क्षेत्रों से जीते थे. उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि वे अकाली दल की वजह से जीते थे. अब 'आप' को देखिए. जिन्ने कमेडियन हैगे (सारे कॉमेडियन) उसमें जा रहे हैं. भीड़ उनके पास मनोरंजन के लिए आती है. चुनावी लड़ाई लडऩा बिल्कुल अलग बात है. लोग जानते हैं कि वे किसे वोट देने जा रहे हैं. उन्होंने (सिद्धू ने) क्या काम किए हैं? जरा रिकॉर्ड देखिए, उन्होंने संसद में कितना समय गुजारा है और अपने ऑडिशनों के लिए कितना समय दिया है. अगर कॉमेडी ही मायने रखती है तो सभी मुख्यमंत्री कॉमेडियन रहे होते.

2014 के लोकसभा चुनाव में 'आप' की सफलता को आप कैसे देखते हैं?
वह सिर्फ एक बार का करिश्मा था. लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद तलवंडी साबो (भटिंडा जिला) में विधानसभा के उपचुनाव में वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे. उसके बाद उन्होंने कोई भी चुनाव न लडऩे का फैसला कर लिया था, इसलिए अब उनका बुलबुला फूट चुका है. केजरीवाल बहुत बड़े तानाशाह हैं. पहले वे अण्णा हजारे के नाम पर जीते. उन्होंने तुरंत उन लोगों को बाहर कर दिया, जिन्हें वे अपने लिए चुनौती समझते थे. यहां तक कि 'आप' के लोग भी कहते हैं कि वे बहुत बड़े तानाशाह हैं. 'आप' केवल एक आदमी की पार्टी है. जरा उनके बयानों को देखिएः उन्होंने कहा कि वे राजनीति में नहीं आएंगे, कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे, उन्होंने अपने बच्चे की कसम खाई कि 'आप' को अगर बहुमत नहीं मिला तो वे किसी का समर्थन नहीं लेंगे, न ही किसी को समर्थन देंगे, उनके विधायक किसी तरह की सुविधाएं नहीं लेंगे, और फिर उन्होंने उनका वेतन 50,000 रु. से बढ़ाकर 2 लाख रु. कर दिया, जो देश के किसी भी राज्य से ज्यादा है.

केजरीवाल को पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किए जाने की बात चल रही है.
वे प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए पंजाब का इस्तेमाल करना चाहते हैं. दिल्ली में वे एक तरह से सिर्फ एक नगरपालिका समिति के अध्यक्ष हैं. इसलिए वे एक ऐसा राज्य चाहते हैं, जहां पुलिस पर उनका नियंत्रण हो ताकि वे पीएम मोदी के खिलाफ रोजाना लड़ाई लड़ सकें. फिर यहां से वे दूसरे राज्यों की तरफ बढऩा चाहते हैं. उनके लिए पंजाब सिर्फ एक जंग का मैदान है, उनकी मंजिल नहीं. आखिर में वे पंजाब को बर्बाद कर देंगे क्योंकि राज्यों को केंद्र के साथ दोस्ताना संबंध बनाकर रखने की जरूरत होती है. मसलन, पंजाब की अर्थव्यवस्था में कृषि रीढ़ की हड्डी की तरह है. गेहूं और चावल की सरकारी खरीद के लिए भारत सरकार के समर्थन की जरूरत होती है—अगर बारिश हो जाती है और नमी पैदा हो जाती है तो नियमों में रियायत के लिए, नकदी उधार सीमा के लिए. अगर (केंद्र के साथ) हमेशा लड़ाई चलती रहेगी तो किसानों में अराजकता फैल जाएगी. पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य के लिए यह बहुत खराब स्थिति होगी. और केजरीवाल क्या करेंगे? वे धरने पर बैठ जाएंगे. केजरीवाल दरअसल अंदर से एक अराजक आदमी हैं. देखिए, उनके साथ कौन लोग हैं—कट्टरपंथी, आतंकवादी संगठनों से जुड़े लोग, जिन लोगों ने खालिस्तान की घोषणा की, वे उनके समर्थक हैं.

तो आप कह रहे हैं कि केजरीवाल अलगाववादियों के साथ मिल रहे हैं?

वे सिख वोट हासिल करना चाहते हैं. इंदिरा गांधी के जमाने की तरह सिखों को आपस में बांटकर. दूसरा, नक्सली संगठन 'आप' का हिस्सा हैं. इस तरह इनके साथ खतरनाक लोग हैं, जो 'आप' के छाते के नीचे इस राज्य को अस्थिर करना चाहते हैं. यही वजह है कि उनकी लोकप्रियता का ग्राफ गिरना शुरू हो गया है. दिल्ली की तरह (पंजाब में) वे वादे कर रहे हैं कि वे 25 लाख नौकरियां पैदा करेंगे. दो साल से मुख्यमंत्री पद पर होते हुए उन्होंने कोई भी वादा पूरा नहीं किया है. केजरीवाल का चेहरा बेनकाब हो चुका है. पंजाब में केजरीवाल या उनकी 'आप' पार्टी चुनाव में कुछ भी नहीं कर पाएगी. देश को समझदार लोगों की जरूरत है. ऐसे लोगों की, जिनकी अच्छी साख हो. आप कोई घोड़ा खरीदते हैं तो उसकी नस्ल देखते हैं. रेस के घोड़े के लिए आपको जो भी घोड़ा पहले मिल जाता है, उसी को नहीं खरीद लेते. उनकी (आप की) कोई नस्ल नहीं है.

आपने 2012 में अमरिंदर सिंह को हराया था. वे फिर से आपको चुनौती दे रहे हैं.
कुश्ती में क्या होता है? जब कोई पहलवान जवान होता है, तो मजबूत होता है. जब वह 40, 50 या 60, 70 साल का हो जाता है और कुश्ती लडऩा चाहता है तो सोचिए नतीजा क्या होगा. जब एक नेता (अमरिंदर) कहता है, ''यह मेरा आखिरी चुनाव है'' तो मतलब है कि उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है. वे रिटायर होकर आराम चाहते हैं. मैं समझता हूं कि कांग्रेस को उन्हें राज्यपाल जैसा काम दे देना चाहिए था.

लेकिन आपके पिता अब 88 साल के हो चुके हैं. क्या इस बार वे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे?
हम उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाएंगे. मेरे पिता 90 साल के हैं और ठीक इस वक्त वे किसी निर्वाचन क्षेत्र में संगत दर्शन (जनता दरबार) कर रहे हैं. वे सुबह 8 बजे काम शुरू कर देते हैं और रात 9 बजे तक क्षेत्र में काम करते हैं. जरा सरदार प्रकाश सिंह बादल और कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रतिबद्धता के स्तर की तुलना कीजिए, दोनों में दिन और रात का फर्क है.

तो आप मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे?
सरदार प्रकाश सिंह बादल के मार्गदर्शन में काम करना सम्मान की बात है. बहुत से लोग कह चुके हैं कि मुझे 10 साल पहले ही मुख्यमंत्री का पद संभाल लेना चाहिए था. मान लीजिए मैं बन गया होता तो मुझसे कुछ गलतियां भी हो सकती थीं, लेकिन उनकी छत्रछाया में काम करते हुए मैंने जो अनुभव हासिल किया है—परिस्थितियों के हिसाब से काम करना—वह हार्वर्ड में पढ़ाई करने जैसा है. मेरे लिए मुख्यमंत्री बनना कोई महत्व नहीं रखता है. वे इस काम के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति हैं. जब तक वे सेवा कर सकते हैं, हम उन्हें बनाए रखेंगे. पंजाब के लिए मैं और मेरे पिता की जोड़ी सबसे अच्छी है. यह युवाओं और बुजुर्गों दोनों को जोड़ती है.

चचेरे भाई मनप्रीत बादल के कांग्रेस में जाने पर क्या राय है?
पूरी जिंदगी वे कांग्रेस के खिलाफ रहे. फिर अचानक उन्होंने अपनी पगड़ी नीले रंग से बदलकर सफेद कर दी और उसी (गांधी) परिवार के साथ जुड़ रहे हैं, जिसे वे सिखों का हत्यारा कहते थे.

2012 में सत्ता विरोधी भावनाओं के बावजूद आप विजयी रहे, क्या आप लगातार तीसरी बार भी सत्ता में बने रह पाएंगे?
सत्ताविरोधी भावनाएं तब काम करती हैं, जब आप ने कोई काम न किया हो, जब आपने लोगों का जीवन न बदला हो, आप घोटालों और स्कैंडलों में शामिल रहे हों, और लोगों का आपसे मोहभंग हो चुका हो. नौ साल पहले यहां छह घंटे की बिजली कटौती होती थी. उद्योग बंद हो रहे थे. हमने पंजाब को जरूरत से ज्यादा बिजली पैदा करने वाला राज्य बनाने का फैसला किया और आज हम देश में सबसे सस्ती बिजली देने वाला राज्य बन गए हैं. हमारी बिजली कंपनी, जो नौ साल पहले नुक्सान में चल रही थी, इस साल देश में सबसे अच्छी घोषित की गई है. हमारे यहां करीब 12.5 लाख ट्यूबवेल कनेक्शन हैं और हम 5,000 करोड़ रु. की सब्सिडी देते हैं. हरियाणा, जहां सिर्फ 4 लाख ट्यूबवेल कनेक्शन हैं, उपभोक्ताओं से पैसे लेता है, फिर भी 5,500 करोड़ रु. की सब्सिडी देता है. पर्याप्त बिजली होने के अलावा, आप पंजाब में एक साल के अंदर चार से छह लेन हाइवे हो जाने से कहीं भी यात्रा कर सकते हैं. चंडीगढ़ से भटिंडा आप सिर्फ डेढ़ घंटे में पहुंच सकते हैं और अब लुधियाना तक छह लेन के एक्सप्रेसवे का काम शुरू होने वाला है.

यह अकाली सरकार के पहले कार्यकाल में हासिल किया गया था. इस कार्यकाल में आपकी सरकार ने क्या काम किया है?
बिजली व्यवस्था पूरी की गई और उसे लागू किया गया. इस कार्यकाल में सड़क के नेटवर्क का काम भी पूरा किया गया—पिछले दो-तीन साल में. एक अन्य बड़ी चीज है सेवा केंद्र. मैं उन्हें 12 अगस्त को लॉन्च कर रहा हूं. इनकी कुल संख्या 3,000 है—हर चार गांव के लिए एक. खूबसूरत, वातानुकूलित कार्यालय जिनका काम निजी कंपनी को दिया गया है. वे नागरिकों को 200 सेवाएं देंगे. यह सरकार का चेहरा पूरी तरह बदल देगा. लोकपाल या दोहरे लोकपाल से, या किसी को गिरफ्तार करने से भ्रष्टाचार नहीं खत्म होगा. जिस क्षण आप जन सेवाओं को सरकार से अलग करते हैं, उसी वक्त स्वतः ही भ्रष्टाचार खत्म हो जाता है. आज पंजाब में अमेरिका की तरह काम करने वाले केंद्र हैं. हर जिले में एक है, जहां सारा कामकाज कंप्यूटर से होता है. आप आधे घंटे से 45 मिनट के बीच ड्राइविंग लाइसेंस हासिल कर सकते हैं.

उद्योगों को रिझाने की कोशिशों के बारे में क्या कहेंगे?
फिलहाल हमारे पास 200 से ज्यादा कंपनियां हैं, जिन्हें सारी मंजूरियां मिल चुकी हैं. आइटीसी कपूरथला में एशिया का सबसे बड़ा फूड प्रोसेसिंग पार्क लगा रहा है. इसमें पंजाब का 3.4 फीसदी गेहूं खप जाएगा. सिर्फ एक कंपनी में! फिर हमारे यहां गोदरेज, हल्दीराम, बाबा रामदेव और टीआइ साइकल्स हैं. अंतरराष्ट्रीय कंबाइन हार्वेस्टर कंपनियां आ रही है. इन्फोसिस ने मोहाली की नई आइटी सिटी में 50 एकड़ का प्लॉट लिया है. वहां 30 दूसरी कंपनियों के भी प्लॉट हैं. आइटीसी ने हमें सिर्फ जमीन के लिए 100 करोड़ रु. चुकाए हैं. आप जानते हैं कि सम्मेलनों में लोग वादे कर देते हैं. मगर जहां सम्मेलनों के (दूसरे राज्यों के) 2-3 फीसदी वादे भी पूरे नहीं होते, हमारे यहां 60 फीसदी से ज्यादा वादे पूरे हुए हैं.

शिकायत है, उद्योगों को प्रोत्साहन नहीं मिला. सब बंद हो रहे हैं...
आपको याद है जब सोवियत संघ खत्म हुआ था? लुधियाना इसलिए खत्म हुआ क्योंकि वे पुराने जमाने की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे थे और वे हर चीज रूस को सप्लाई कर रहे थे. यह धक्का था, मगर वे (उद्योग) टेक्नोलॉजी में सुधार लाकर उबर आए. आज वे यूरोप और अमेरिका को सप्लाई कर रहे हैं. स्टील दुनिया भर में खत्म हो गई. बड़ी कंपनियां, मित्तल्स और दूसरी कंपनियां ढह गईं. मंडी गोबिंदगढ़ भी पुराने जमाने की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा था, जिससे चीन और दूसरों से मुकाबला करना मुश्किल हो रहा था. अब ये उन पर है कि वे दुनिया में मुकाबले के स्तर तक अपने में सुधार लाएं.

तो उद्योगों के लिहाज से पंजाब कहां खड़ा है?
होजरी, साइकलें, कपड़े, सिलाई मशीनें, साथ ही हाथ के औजार और खेल के सामान में भी हम देश में पहले नंबर पर हैं. देश में हमारे यहां सबसे सस्ती बिजली है. अगर कोई दिल्ली में स्मॉल स्केल इंडस्ट्री लगाता है, तो यह तकरीबन 9 रु. (प्रति यूनिट) है, पंजाब में यह सिर्फ  4.99 रु. है. इसके अलावा आपको एयर और रोड कनेक्टिविटी मिलती है.

ऐसा क्यों लगता है कि आप जैसी सरकार चलाते हैं, उससे बेहतर अपनी खुद की कंपनियां चलाते हैं?

असल में मैंने सरकार बेहतर चलाई है. हर किसी ने मेरी छानबीन की कोशिश कर ली. 10 साल से ज्यादा हो गए, उन्हें जरा-सी गड़बड़ी भी नहीं मिली. सब कुछ खुला है. मेरे पास कुछ भी बेनामी नहीं है.

ऐसी धारणा क्यों है कि पंजाब लगातार गिरता ही जा रहा है?
आपको यूपी जाना चाहिए. यहां तक कि कर्नाटक या महाराष्ट्र भी. बेंगलूरू से पांच किमी दूर टूटी हुई सड़कें, बुरा हाल है. उन्होंने एक-एक शहर का विकास किया, पूरे सूबे का नहीं. हमने पूरे सूबे का विकास किया है.

प्रति व्यक्ति आमदनी सरीखे और दूसरे आंकड़ों को लीजिए. पंजाब दूसरे सूबों से पीछे रह गया है?
नहीं, हम तरक्की कर रहे हैं. हरियाणा में आप गुडग़ांव को हटा दीजिए और फिर प्रति व्यक्ति आमदनी निकालिए. हमारा नुक्सान यह हुआ कि 15 साल के आतंकवाद के दौरान हम आइटी क्रांति से चूक गए. अगर हम नहीं चूके होते, तो पंजाब आज बहुत, बहुत आगे होता. मगर अब हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.

पंजाब के किसानों के लिए क्या किया?
हम मुफ्त बिजली दे रहे हैं. साथ में चिकित्सा और जीवन बीमा भी. हमने मंडियों में जो बुनियादी ढांचा खड़ा किया है, वह बेजोड़ है. यूपी में धान बेचने के लिए एक से दूसरे विक्रेता तक भटकना पड़ता है. यहां 20 किमी से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ता. हम एक महीने में देश का 60 फीसदी अनाज खरीदते हैं.

यहां लगातार दो साल सूखा पड़ा है. किसानों की खुदकुशी के मामले बढ़ गए बताए जाते हैं.

बदकिस्मती से जब भी कोई मरता है, लोग उसे किसान की खुदकुशी मान लेते हैं. किसानों की असल खुदकुशी जितनी बताई जा रही है, उससे बहुत कम है. देश में सूखे के बावजूद पंजाब में उपज बढ़ गई है. यह नहरों और मुफ्त बिजली के साथ नलकूपों से हुआ है. यहां तक कि पिछले साल भी जब 50 फीसदी कम बारिश हुई थी, उपज बढ़ी थी.

केंद्र में आपकी सहयोगी पार्टी की सरकार है. क्या आपको मायूसी नहीं होती कि उन्होंने खासकर खेती में सूबे को मदद नहीं दी?
ऐसा नहीं है. अनाज की कीमतें मूल्य सूचकांक से जुड़ी होनी चाहिए. मुझे लगता है प्रधानमंत्री को इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि कृषि क्षेत्र की मजबूती से आर्थिक वृद्धि में तेज रफ्तार आएगी. मैं आपको बता दूं कि केंद्र ने पूरे रोड नेटवर्क को मंजूरी दी थी. साथ में बठिंडा में एम्स को और एक आइआइएम को भी. रोपड़ के आइआइटी का दर्जा 400 करोड़ रु. से बढ़ाकर 2,000 करोड़ रु. कर दिया. तो मोदी सरकार ने पंजाब का साथ दिया है.

क्या आप 2017 के चुनाव में अपने गठबंधन के सहयोगी के तौर पर बीजेपी के साथ चुनाव में उतरेंगे?
अकाली-बीजेपी गठबंधन ऐतिहासिक है. यह अमन-चैन और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है. हम आतंकवाद का सामना कर चुके हैं और हमारा एक ऐसा पड़ोसी है जो टकराव पैदा करने पर आमादा है. यह गठजोड़ (एसएडी-बीजेपी) सबसे अच्छा है. यह अगले चुनावों में भी बना रहेगा.

आप उड़ता पंजाब पर पाबंदी क्यों चाहते थे? क्या आप अपने सूबे में फैली नशे की बुराई के बारे में हकीकत को सामने आने से रोकने की कोशिश कर रहे थे?

मैं आपको साफ-साफ बता दूं कि पंजाब सरकार ने फिल्म दिखाने पर कभी एतराज नहीं किया. मेरी राय में यह फिल्म को लोकप्रिय बनाने के लिए किया गया हंगामा था. जब ये पूरा मामला शुरू हुआ, तब मैं लंदन में था. फिलहाल पुलिस की भर्तियां चल रही हैं और उनमें हमने ड्रग टेस्ट को अनिवार्य कर दिया है. हर रोज तकरीबन 10,000 नौजवानों का टेस्ट किया जा रहा है. डेढ़ फीसदी से ज्यादा मामले पॉजिटिव नहीं मिले हैं. हमें बदनाम किया जा रहा है और मैं मीडिया को, खासतौर पर टीवी को, जिम्मेदार ठहराता हूं.

आपके अंदाज से पंजाब में यह समस्या किस हद तक है?
अभी तक कोई अध्ययन नहीं हुआ है. मगर नशे से होने वाली मौतों पर भारत सरकार के आंकड़ों में पंजाब 12वें नंबर पर है. महाराष्ट्र, तमिलनाडु और यहां तक कि हरियाणा से भी बहुत नीचे.

क्या आप केंद्र सरकार से परेशान हैं कि सरहद से तस्करी रोकने के लिए वह कोई कदम नहीं उठा रही है?
यह पाकिस्तान से बहकर आती नदी की तरह है. पंजाब सेक्टर में (बीएसएफ की) तैनाती जम्मू और कश्मीर के मुकाबले बहुत, बहुत कम है. बाड़ के बड़े हिस्से में कोई चौकसी नहीं है और आप एक झटके में सामान उस पार फेंक सकते हैं. हमारा वहां कोई नियंत्रण नहीं है. यह पंजाब पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. मैं राजनाथ सिंह जी से मिला था और गृह मंत्रालय को चिट्ठियां भी लिखी हैं.

आखिर में, आपकी सरकार को तीसरा मौका मिलने की कितनी संभावना है?

सौ फीसदी! लोगों की प्रतिक्रिया 2012 से भी कहीं बेहतर है. जादू पहले ही पैदा किया जा चुका है. कोई नहीं कहता कि आम आदमी पार्टी आ रही है. भीतरी तौर पर छह महीने पहले आप 100 सीट का दावा कर रही थी. अब वे 55 से 50 सीटों की बात कर रहे हैं. मेरी बात लिख लें, आप को 10 से कम सीटें मिलेंगी. हमारी लड़ाई कांग्रेस से होने जा रही है. उनका आधार है. उनका कम से कम नेटवर्क तो है. आप तो बहुत सारी गुमराह मिसाइलों की तरह हैः उनमें से कुछ खुद को ही उड़ा लेंगी. हम जोरदार ढंग से जीतेंगे.

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