
दवा बनाने वाली देश की मशहूर कंपनी सन फार्मा ने दूसरी बड़ी दवा कंपनी रैनबैक्सी को खरीदने का ऐलान किया है. यह सौदा 3.2 अरब डॉलर में हो रहा है. खास बात यह भी है कि इस विलय के बाद जो कंपनी बनेगी वह दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी मूल औषधि निर्माता कंपनी होगी.
गौरतलब है कि रैनबैक्सी भारत की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी है और इसके 63.3 प्रतिशत हिस्से पर जापान की कंपनी दाइची सान्क्यों लिमिटेड का मालिकाना हक है.
रैनबैक्सी जो किसी समय बड़े पैमाने पर दवा अमेरिका एक्सपोर्ट करती थी, अब प्रतिबंध का शिकार है. अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) ने उसके भारत स्थित प्लांट को देखने के बाद यह रोक लगाई. इसी तरह उसने सन फार्मा के करखाड़ी प्लांट पर भी रोक लगाई है. भारतीय दवा कंपनियां विदेशों में बड़े पैमाने पर दवा का निर्यात करती हैं.
सन फार्मा से सौदे की शर्तों के मुताबिक रैनबैक्सी के शेयर धारकों को सन फार्मा के एक शेयर का 0.8 प्रतिशत मिलेगा. यानी अगर किसी के पास रैनबैक्सी के दस शेयर हैं तो उसे सन फार्मा के 8 शेयर मिलेंगे. जापानी कंपनी दाइची सान्क्यों सन फार्मा में 9 प्रतिशत हिस्सेदारी रखेगी.
इस करार के तहत रैनबैक्सी के शेयरों की कीमत 457 रुपये रखी गई है और यह उसके औसत दाम से 18 प्रतिशत ऊपर है. शुक्रवार को यह खबर बाहर आने के बाद रैनबैक्सी के शेयर बढ़कर 459.55 रुपये हो गए थे. इस सौदे को पूरा करने में सिटीग्रुप और एवरकोर पार्टनर्स मे सनफार्मा की मदद की जबकि दाइची को गोल्डमैन सैक्स समूह ने सलाह दी. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज इस मामले में वित्तीय सलाहकार की भूमिका निभा रही है.
सन फार्मा का जन्म कोलकाता में दिलीप संघवी ने 1983 में किया था. अभी इसका मुख्यालय मुंबई में है. पिछले साल इसकी कुल शुद्ध आय 3672 करोड़ रुपये थी.