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जब पिता सुनील दत्‍त ने संजू के हाथ में थमा दी सिगरेट, फ‍िर हुआ ये...

संजय दत्‍त ने बताया था किस तरह लगी थी उन्‍हें सिगरेट की लत

संजय दत्‍त पिता सुनील दत्‍त के साथ. संजय दत्‍त पिता सुनील दत्‍त के साथ.
महेन्द्र गुप्ता
  • नई द‍िल्‍ली,
  • 27 जून 2018,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

तमाम मोड़ों से गुजरी संजय दत्‍त की जिंदगी पर बनी फिल्‍म संजू शुक्रवार को रिलीज हो रही है. इस फिल्‍म के जरिए संजय दत्‍त की जिंदगी का हर राज सामने आ रहा है.

संजय दत्‍त एक समय पर ड्रग्‍स के बहुत बुरी तरह से शिकार हो गए थे. विदेश में उनका इलाज चला. संजय को सिगरेट की लत बहुत कम उम्र में लगी गई थी. संजय ने एक नेशनल टीवी को बताया था "मेरे पिता से मिलने प्रोड्यूसर्स आते थे. वे अकसर सिगरेट पीकर उसके बट्स बाहर फेंकते थे. इन बट्स को मैं उठाकर नीचे जमीन पर लेटकर पीता था. इसी दौरान एक दिन दत्‍त साहब (संजू के पिता सुनील दत्‍त) ने धुआं निकलते हुए देख लिया. उन्‍होंने झांककर देखा तो मैं सिगरेट पी रहा था. " इसके बाद संजय को सुधारने के लिए उनके पिता सुनील दत्‍त ने उन्‍हें बोर्डिंग स्‍कूल भेज दिया था.

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क्या संजय दत्त को नहीं है अपने किए पर पछतावा? सालभर पुरानी बातचीत

संजय ने एक वाकया और शेयर किया, जिसमें उन्‍होंने बताया- कश्‍मीर में उनके पिता शूटिंग कर रहे थे. इस दौरान वे एक सीन में सिगरेट पीते दिखाए गए. संजय ने जब ये  देखा तो उन्‍होंने अपनी मां नरगिस से जिद की कि यदि डैडी सिगरेट पी सकते हैं तो वे क्‍यों नहीं? जब ये बात सुनील दत्‍त को पता चली तो उन्‍होंने नरगिस से कहा कि उसे (संजू ) पीने दो सिगरेट. इसके बाद उन्‍होंने संजू को सिगरेट पीना बताया. लेकिन संजू थे कि पूरी सिगरेट पी गए. ये देखकर सुनील दत्‍त हैरान रह गए. सजा देने की उनकी सारी कोश‍िशें नाकाम रहीं.

12 साल तक ड्रग एडिक्ट रहे संजय दत्त, ऐसे छोड़ी थी नशे की लत

संजय दत्त की जिंदगी कंट्रोवर्सी से भरी रही. यही वजह है कि राजकुमार हिरानी ने उनकी बायोपिक पर "संजू" बनाने की ठानी. मूवी में एक्टर की लाइफ के सभी विवादित और अनसुनी किस्सों को शामिल किया गया है. ड्रग्स की लत का शिकार होना, आर्म्स एक्ट में जेल जाना हो या पर्सनल लाइफ की दूसरी उठापटक, संजय ने हर मुश्किल झेला है. इतनी रोलर-कोस्टर लाइफ से गुजरने के बाद कोई भी इंसान दोबारा उसे जीने की हिम्मत नहीं कर सकता. लेकिन एक दावे को मानें तो संजय के केस में ऐसा नहीं है. इसके आधार पर लगता है जैसे उन्हें अपने किए पर पछतावा नहीं है.

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