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नवाजुद्दीन को नोटिस: माफी के लिए 24 घंटे का वक्त दिया, 2 Cr हर्जाना मांगा

नवाज ने अपनी किताब में सुनीता के लिए लिखा है कि वो मेरी पहली गर्लफ्रेंड थीं. मैं सफल नहीं था इसलिए उन्होंने मुझे छोड़ दिया था. इसके बाद मुझे आत्महत्या के ख्याल आते थे.

नवाजुद्दीन और सुनीता राजवार नवाजुद्दीन और सुनीता राजवार
स्वाति पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:09 AM IST

थिएटर और टीवी एक्ट्रेस सुनीता राजवार ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी को लीगल नोटिस भेज दिया है. सुनीता ने नवाज पर उनकी किताब 'An Ordinary Life' में उनका नाम घसीटने के लिए यह नोटिस भेजा है. नोटिस में सुनीता ने नवाज से 24 घंटे के भीतर माफी की मांग की, साथ ही 2 करोड़ रुपये हर्जाना भी मांगा है.

बता दें कि नवाज ने अपनी किताब में सुनीता के लिए लिखा है कि वो मेरी पहली गर्लफ्रेंड थीं. मैं सफल नहीं था इसलिए उन्होंने मुझे छोड़ दिया था. इसके बाद मुझे आत्महत्या के ख्याल आते थे.

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सुनीता के साथ नवाज ने एक्ट्रेस निहारिका सिंह के साथ भी अपने रिश्तों का खुलासा भी किताब में किया था. सुनीता का आरोप है कि नवाज ने किताब में उनकी गलत छवि पेश की है और उनके बारे में झूठ बोला है. उन्होंने मुझे किताब में विलेन की तरह दिखाया है. मेरे घरवालों और ससुराल वालों को इस अफेयर के बारे में नहीं पता था. उनके खुलासे के बाद मेरी निजी जिंदगी डिस्टर्ब हो गई है. सुनीता ने नवाज के साथ पत्रकार रितुपर्णा चटर्जी (जिन्होंने नवाज की किताब लिखने में उनकी मदद की है) और किताब के पब्लिशर को भी नोटिस भेजा है.

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किताब में नवाज ने सुनीता के लिए क्या लिखा था

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किताब में पहले प्यार का खुलासा करते हुए नवाज ने सुनीता राजवार का नाम लिया था. उन्होंने दावा किया कि बेरोजगारी की वजह से जब उनका ब्रेकअप हुआ, उस वक्त वो सुसाइड तक की सोचने लगे थे.

इस पर सुनीता ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर बताया कि नवाज ने कई झूठ बोले हैं. नवाज की छोड़ने की असली वजह वह नहीं थी, जो उन्होंने बताई. सुनीता ने लिखा है कि नवाज हमारी पर्सनल, इंटिमेट बातें अपने दोस्तों में बताते थे और हंसते थे. इसलिए मैंने उन्हें छोड़ दिया था.

सुनीता ने फेसबुक पोस्ट में क्या लिखा था

कहते हैं नसीब वक्त बदल सकता है, इंसान की फितरत नहीं. नवाज की किताब पढ़कर कुछ एेसा ही लगा और यकायक ‘मेलाराम वफ़ा’ का एक शेर याद आ गया, “एक बार उसने मुझको देखा था मुस्कुराकर, इतनी सी हकीकत है बाकी कहानियां हैं”. क्योंकि इस बायोग्राफी में काफी हद तक सिर्फ छपाई है, सच्चाई नहीं, कई बातें नवाज़ ने अपने मन से, अपने हिसाब से और अपने हक में लिखी हैं, चित भी मेरी पट भी मेरी टाइप्स. उन्होंने बड़ी ही खूबसूरती से खुद को बुरा भी कह दिया है और उतनी ही खूबसूरती से अपनी बुराई का सारा ठींकरा औरतों पर फोड़ दिया है. खासकर मुझ पर, क्योंकि उनकी मानें तो मेरे बाद उनका प्यार और औरतों से विश्वास ही उठ गया था और उनके सारे इमोशन्स RIP यानी रेस्ट इन पीस हो गये थे.

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बहरहाल, उनकी बायोग्राफी में जहां तक मेरा सवाल है तो उनके झूठ का फलसफा वहीं से शुरू हो जाता है, जहां से मेरा जिक्र, यानी शुरुआत की पहली दो लाइन से ही, जहां नवाज़ कह रहे हैं कि वो मुझे एनएसडी में कभी नही मिले. NSD में वो मेरे एक साल सीनियर थे तो ज़ाहिर है मुलाकात तो होती होगी. हां उस वक्त हमारे बीच कुछ था नहीं, लेकिन ये कहना कि कभी मिले ही नहीं, ये अटपटा सा ज़रूर लगता है.

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फिर उन्होने कहा कि मैं उनके घर की दीवारों में आर्ट-वर्क करती थी, हमारे नाम उकेरा करती थी, दिल बनाया करती थी, जिनके बीच से होकर कभी-कभी तीर भी गुज़रा करता था. ये पढ़कर एेसा लगा मानो मैं उनसे मिलने नहीं, बल्कि उनकी आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स क्लास लेने जाती थी. हद तो तब हो गई जब उन्होंने रोमांटिक बॉलीवुड मूवी स्टाइल में लिख दिया कि हमारे ब्रेक-अप के बाद उन्होंने वाइट पेंट की बाल्टी ली और ब्रश से मेरे आर्ट-वर्क को दीवार से और मुझे दिल से मिटाते गए. अब सवाल ये उठता है कि जब मैंने कभी कोई आर्ट-वर्क बनाया ही नहीं था तो वो किसके आर्ट वर्क को मिटाने की बात कर रहे हैं?

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चलो इन छोटी-छोटी बातों को नज़र अंदाज़ भी किया जा सकता है, लेकिन असली खेल तो उन्होने वहां खेला जहां हमारे ब्रेक-अप की बात आई. नवाज़ हमेशा से Sympathy seeker रहे हैं, वो कोई एसी चीज़ नही छोड़ते जहां से सहानुभूती बटोरी जा सकती हो, कभी अपने रंग रूप को लेकर, कभी गरीबी को लेकर, कभी ये कहकर की वो वॉचमैन की नौकरी कर चुके हैं, जब की सच तो ये है कि उस वक्त उनका फैमली बैकग्राउंड मेरे फैमली बैकग्राउंड से अच्छा था. एक कामयाब आदमी को इतना इनसि‍क्योर देखकर कामयाबी से डर सा लगने लगता है कभी-कभी.

ख़ैर, नवाज़ का कहना है कि वो गरीब थे और स्ट्रगलर थे इसलिये मैंने उन्हें छोड़ दिया. तो नवाज़ मैं क्या थी, तुम से गरीब तो मैं थी, तुम तो कम से कम अपने घर में रह रहे थे, मैं तो दोस्त के घर में रहकर स्ट्रगल कर रही थी.

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ये सिर्फ तुम अच्छी तरह जानते हो कि हमारा रिश्ता एक प्ले से शुरू होकर उस प्ले के मात्र तीन शो से पहले खत्म हो चुका था, क्योंकि तुम्हारी सच्चाई मेरे सामने आ चुकी थी. मैंने तुम्हारा फोन लेना छोड़ दिया था, क्योंकि घिन आती थी तुम्हारे बारे में सोचकर, बात क्या करती तुमसे. मैंने ये कभी नहीं कहा कि तुम अपने करियर पर फोकस करो और मैं अपने.

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अब जब तुम सब हदें पार कर ही चुके हो तो ये भी जान लो कि मैंने तुम्हें क्यों छोड़ा था, मैंने तुम्हें इसलिए छोड़ा था क्योंकि तुम हमारे संबंध का मज़ाक बनाते हुए सब व्यक्तिगत बातें हमारे कॉमन फ्रेंड्स के साथ शेयर किया करते थे. तब मुझे पता चला कि तुम औरत और प्यार के बारे में क्या सोच रखते हो.

दूसरा बड़ा झूठ जिसने मुझे ये पोस्ट लिखने के लिए मजबूर किया वो ये कि तुम्हारे सफल होने पर मैंने लोगों को ये बताना शुरू कर दिया कि कभी तुम्हारे और मेरे गहरे संबंध थे. ना मैंने तब किसी को कुछ बोला था और ना आज तक किसी को कुछ बताया. फिर इतना बड़ा झूठ क्यों नवाज़, अगर बहुत सच्चे बनते हो तो उन लोंगो का नाम भी छाप देते अपनी बायोग्राफी में जिनके साथ मैं तुम्हारे हिसाब से तुम्हारे सफल होने के बाद हमारे संबंधों का बखान किया करती थी.

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तुमने लिखा है कि मैं तुम्हारा पहला प्यार थी, सूखे में पहली बारिश की तरह, अगर ये पहला प्यार था तो भगवान करे किसी को एेसा पहला प्यार न मिले. आज नाम है तुम्हारा, अच्छा काम कर रहे हो, इसलिए तब तो नहीं कहा था, पर अब जरूर कहूंगी कि अपने करियर पर फोकस करो.

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मैंने तुम्हें तुम्हारी गरीबी की वजह से नहीं तुम्हारी गरीब सोच की वजह से छोड़ा था. तुमने अपनी बायोग्राफी से साबित कर दिया कि मैं जिस नवाज़ को जानती थी तुम आज उससे ज्यादा ग़रीब हो. ना तुम्हें तब औरतों की इज़्जत करनी आती थी और ना ही अब सीख पाए हो.

तुम्हारे हालात पर बस इतना ही कहूंगी, “ जा, तू शिकायत के काबिल होकर आ, अभी तो मेरी हर शिकायत से तेरा क़द बहुत छोटा है”।।

और हां, मैं पहाड़न नहीं, पहाड़ हूं...

महिला आयोग में केस दर्ज:

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के वकील गौतम गुलाटी ने राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) में नवाजुद्दीन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि नवाज ने बिना ये सोचे किताब में इन सब बातों का जिक्र किया, जिनसे पीड़िता महिला के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है.

कौन हैं सुनीता?

आपको बता दें कि सुनीता 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में धनिया के रोल में दिख चुकी हैं. इसके साथ उन्होंने 'शगुन', 'रामायण', 'हिटलर दीदी', 'संतोषी माता' जैसे सीरियल्स भी किए हैं.

सुनीता सिर्फ सीरियलों में ही नहीं ब्लकि फिल्मों में भी नजर आती हैं. उन्होंने 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं', 'एक चालिस की लास्ट लोकल', 'संकट सिटी' जैसी फिल्मों में काम किया है.

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