
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की मीटिंग में बुधवार को जस्टिस केएम जोसेफ पर कोई फैसला नहीं ही पाया. यह बैठक 90 मिनट तक चली. कोलेजियम की बैठक में आंध्र एवं तेलंगाना हाईकोर्ट, कलकत्ता हाईकोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट में फेयर रिप्रेजेंटेशन के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश पर भी फैसला टल गया है. अब कोलेजियम की अगली बैठक शुक्रवार को ही सकती है.
सूत्रों के मुताबिक चीफ जस्टिस चाहते थे कि कोलेजियम केएम जोसेफ के नाम के साथ ही और नामों पर विचार करे. जबकि कोलेजियम में शामिल अन्य चार न्यायमूर्तियों का मत था कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तियों की नियुक्ति पर कार्यपालिका की आपत्तियों के खिलाफ न्यायपालिका को सख्त रुख अपना चाहिए.
इन चार न्यायमूर्तियों में जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस लोकुर शामिल रहे. दरअसल, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का न्यायमूर्ति बनाने की सिफारिश की थी, जिसको केंद्र सरकार ने लौटा दिया था. केंद्र सरकार ने कोलेजियम से जोसेफ को लेकर फिर से विचार करने को कहा था.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की बैठक के बाद भी सरकार और न्यायपालिका के बीच जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति को लेकर विवाद खत्म नहीं हुआ. इस मुद्दे पर सबकी नज़रें सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम पर टिकी हुई हैं. सूत्रों की माने तो सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति रोकने से संतुष्ट नहीं है और न ही सरकार के तर्कों पर संतुष्ट दिख रहा है.
कोलेजियम में कौन जज हैं शामिल?
मालूम हो कि कोलेजियम में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं.
कई जज उठा चुके हैं सवाल
आपको बता दें कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के कई मौजूदा और पूर्व जज अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं. जस्टिस चेलमेश्वर, फिर कुछ हफ्तों बाद जस्टिस कुरियन जोसफ और पिछले हफ्ते जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट की गरिमा बचाने और सरकार की मनमानी रोकने के उपाय करने पर ज़ोर दिया. इन उपायों की तलाश के लिए फुलकोर्ट यानी सभी जजों की मीटिंग बुलाने की मांग की थी.
सरकार की ओर से क्या दिए गए तर्क
# वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस के. एम. जोसेफ का नंबर 42वां है. अभी भी हाईकोर्ट के करीब 11 जज उनसे सीनियर हैं.
# कलकत्ता, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और कई हाईकोर्ट के अलावा सिक्किम, मणिपुर, मेघालय के प्रतिनिधि अभी सुप्रीम कोर्ट में नहीं है.
# जस्टिस के. एम. जोसेफ केरल से आते हैं, अभी केरल के दो हाईकोर्ट जज सुप्रीम कोर्ट में हैं.
# पिछले काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में SC/ST का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है.
# कोलेजियम सिस्टम सुप्रीम कोर्ट का ही एक सिस्टम है.
# अगर केरल के ही एक और हाईकोर्ट जज की नियुक्ति की जाती है तो यह सही नहीं होगा.
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति के रूप में उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने पर भी मोदी सरकार पर हमला बोला. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि हम लगातार कह रहे हैं कि न्यायपालिका खतरे में है. कानून कहता है कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के मुताबिक न्यायमूर्तियों की नियुक्ति होगी, जबकि सरकार चाहती है कि अगर उनके मन मुताबिक नहीं हुआ तो कोलेजियम की सिफारिशों को नजरअंदाज किया जाएगा और उसे मंजूरी नहीं दी जाएगी.
कपिल सिब्बल ने कहा कि बीजेपी कहती है कि देश बदल रहा है, लेकिन हम कहते हैं कि देश बदल चुका है. आज सरकार न्यायपालिका के साथ जो बर्ताव कर रही है, वह पूरा देश जानता है. सरकार की मंशा साफ है कि वह जस्टिस जोसेफ को जज नहीं बनने देंगे. सिब्बल ने कहा कि सरकार कोलेजियम के हिसाब से नहीं चलना चाहती है.