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कावेरी विवाद: समिति ने नहीं दी कर्नाटक को राहत, आज SC में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट मामले में कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. कर्नाटक जहां छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा में कमी चाहती है, वहीं तमिलनाडु ने अधिक पानी की मांग रखी है.

नई दिल्ली स्थि‍त सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली स्थि‍त सुप्रीम कोर्ट
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:56 AM IST

तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच मतभेदों को खारिज करते हुए कावेरी निगरानी समिति ने सोमवार को कर्नाटक को आदेश दिया कि वह तमिलनाडु को 21 सितंबर से 30 सितंबर के बीच रोजाना 3000 क्यूसेक पानी छोड़े. समिति के इस फैसले पर कर्नाटक और तमिलनाडु ने नाराजगी जताई है. कर्नाटक मंगलवार को इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. ऐसे में हर किसी की निगाह सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर है, जहां पानी छोड़े जाने को लेकर फैसला सुनाया जा सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट मामले में कर्नाटक और तमिलनाडु दोनों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. कर्नाटक जहां छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा में कमी चाहती है, वहीं तमिलनाडु ने अधिक पानी की मांग रखी है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में कर्नाटक को 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने को कहा था, जबकि तमिलनाडु ने 20 हजार क्यूसेक पानी की मांग की थी.

कोर्ट में सुनवाई और आदेश से पहले कर्नाटक के मंड्या में स्थानीय लोग 'मां कावेरी' की पूजा कर रहे हैं.

सोमवार को केंद्रीय जल संसाधन सचिव और समिति के अध्यक्ष शशि शेखर ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए कर्नाटक से तमिलनाडु को 21 से 30 सितंबर तक रोजाना 3000 क्यूसेक पानी छोड़ने को कहा. बैठक के बाद शेखर ने कहा, 'वे सहमत नहीं हुए हैं. मंगलवार को जब मामला सुप्रीम कोर्ट में आएगा तो दोनों राज्य इस आदेश को चुनौती देने के लिए स्वतंत्र हैं या वे अदालत के समक्ष आदेश पर सहमति जता सकते हैं.'

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निगरानी समिति पिछली 12 सितंबर को अपनी पहली बैठक में पर्याप्त सूचना के अभाव में कर्नाटक की ओर से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा पर किसी फैसले पर नहीं पहुंच सकी थी. समिति ने उनसे 15 सितंबर तक सूचना देने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने पांच सितंबर को कर्नाटक से तमिलनाडु के किसानों की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए उस राज्य को 10 दिन तक रोजाना 15000 क्यूसेक पानी छोड़ने को कहा था. अंतरिम आदेश के बाद कर्नाटक में, खासतौर पर बंगलुरु, मंड्या में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.

अक्टूबर में समिति की अगली बैठक
शेखर ने कहा कि उन्होंने कई चीजों को ध्यान में रख कर फैसला किया है जिनमें कर्नाटक में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की जरूरत और तमिलनाडु में गर्मियों की फसलों के लिए पानी की जरूरत को ध्यान में रखा. उन्होंने कहा कि समिति की अगली बैठक अक्टूबर में किसी दिन होगी, वहीं 30 सितंबर के बाद जरूरत पड़ने पर तमिलनाडु को पानी छोड़ने के बारे में निर्णय लिया जाएगा. दूसरी ओर, तमिलनाडु ऑल फार्मर्स फेडरेशंस के अध्यक्ष पीआर पांडियान ने कहा कि आदेश निराशाजनक है.

उन्होंने चेन्नई में कहा, 'जितना पानी छोड़ने का आदेश दिया गया है वह सांबा की फसल की तैयारी के लिए भी पर्याप्त नहीं होगा. पीएमके अध्यक्ष रामदॉस ने कहा कि न्याय के नाम पर यह तमिलनाडु के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि इस आदेश का तमिलनाडु के किसानों के लिए कोई मतलब नहीं है.'

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