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सरकार से बोला SC- गैस चैंबर में रह रहे हैं लोग, विस्फोट कर मार क्यों नहीं देते!

कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारों में कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती. कई आदेश के बावजूद पराली जलाने के मामले लगातार बढ़े हैं. कोर्ट ने कहा कि क्यों लोगों को गैस चैंबरों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है? उन सभी को एक बार में मारना बेहतर है. 

सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 25 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST

  • कोर्ट ने कहा, सरकारों में कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती
  • सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों पर जुर्माना लगाए जाने की भी बात की

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान पराली जलाने को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई की. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारों में कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती. कई आदेश के बावजूद पराली जलाने के मामले लगातार बढ़े हैं ऐसे में क्यों ना सरकारों पर जुर्माना लगाया जाए.

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कोर्ट ने यह भी कहा कि क्यों लोगों को गैस चैंबरों में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है? उन सभी को एक बार में मारना बेहतर है. सुनवाई के दौरान हरियाणा के मुख्य सचिव ने कहा कि वे प्रदूषण कम करने के लिए दिन रात लगे हुए हैं. इस पर जस्टिस मिश्रा ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने में लगे हुए हैं. पराली जलाने से रोकने में विफल हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने सैटेलाइट इमेज का हवाला दिया जिसमें साफ तौर पर पराली जलते देखा जा सकता है.

अंत में सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, लोगों को गैस चैंबर में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है. अच्छा रहेगा उन्हें एक बार में ही मार दिया जाए. ऐसा विस्फोट करके किया जा सकता है. लोग इतना क्यों सफर कर रहे हैं?

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इसके साथ ही दिल्ली के मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्वीकार किया कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच दोहरे शक्ति केंद्रों और झगड़े के कारण दिल्ली को समस्या का सामना करना पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि केंद्र और दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली भर में स्थायी आधार पर स्मोक टावर लगाने के लिए 10 दिनों के भीतर एक व्यापक योजना तैयार करें. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र को निर्देश दिया है कि वे अपने मतभेदों को एक तरफ रखें और शहर के विभिन्न हिस्सों में एयर प्यूरिफाइंग टॉवर स्थापित करने के लिए 10 दिनों के भीतर योजना को अंतिम रूप दें.

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