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सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग मामले में मंगलवार को बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी अपने आप में कानून नहीं हो सकता है और देश में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने लिंचिंग पर सरकार को नसीहत देते हुए गाइडलाइंस जारी किया है.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस-
1. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
2. कानून का शासन कायम रहे यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है.
3. कोई भी नागरिक कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता है.
4. संसद इस मामले में कानून बनाए और सरकारों को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए.
5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भीड़तंत्र के पीड़ितों को सरकार मुआवजा दे.
शीर्ष अदालत ने कहा कि 4 हफ्तों में केंद्र और राज्य सरकार अदालत के आदेश को लागू करें. यही नहीं, मामले में फैसले से पहले टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये सिर्फ कानून व्यवस्था का सवाल नहीं है, बल्कि गोरक्षा के नाम पर भीड़ की हिंसा क्राइम है. अदालत इस बात को स्वीकार नहीं कर सकती कि कोई भी कानून को अपने हाथ में ले.
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गौरतलब है कि इससे पहले लिंचिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि जहां तक कानून व्यवस्था का सवाल है, तो प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी है कि वो ऐसे उपाय करे कि हिंसा हो ही नहीं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने साफ कहा था कि कोई भी शख्स कानून को किसी भी तरह से हाथ में नहीं ले सकता. कानून व्यवस्था को बहाल रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और प्रत्येक राज्य सरकार को ये जिम्मेदारी निभानी होगी. गोरक्षा के नाम पर भीड़ हिंसा गंभीर अपराध है.