
मस्जिद में महिलाओं को नमाज पढ़ने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. जिसके बाद कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, राष्ट्रीय महिला आयोग और सेंट्रल वक्फ काउंसिल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा है कि सरकार का इसमें क्या रोल है.
महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश को लेकर पुणे के एक मुस्लिम दंपति ने याचिका दायर की है. इस याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने की अनुमित होनी चाहिए.
इसी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान अलग-अलग दलीलें दी गईं. एक पक्ष ने बताया कि कनाडा में मस्जिद के अंदर महिलाओं को प्रवेश की इजाजत है. जबकि दूसरी दलील ये दी गई कि सऊदी अरब के मक्का में मस्जिद में महिलाओं को इजाजत नहीं है.
इन तमाम दलीलों के बीच पीठ ने पूछा कि क्या इस मसले पर अनुच्छेद 14 का इस्तेमाल किया जा सकता है. क्या मस्जिद और मंदिर सरकार के हैं. जैसे आपके घर में कोई आना चाहे तो आपकी इजाजत जरूरी है. कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में सरकार की क्या भूमिका है.
याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में सु्प्रीम कोर्ट को बताया है कि भारत में मस्जिदों के अंदर महिलाओं को नमाज पढ़ने की इजाजत न होना न सिर्फ अवैध है, बल्कि संविधान की मूल आत्मा का भी उल्लंघन है. ऐसा कहते हुए मुस्लिम दंपति ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि महिलाओं को भी मस्जिद में नमाज अदा करने की परमिशन दी जानी चाहिए.
इस मसले को सबरीमाला का हवाला देते हुए कोर्ट ने सुनवाई शुरू की. कोर्ट ने सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर का जिक्र किया, जहां 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं की एंट्री पर बैन था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को हटा दिया है, जिस पर बड़ा बवाल हुआ है और कोर्ट के आदेश के बावजूद इन महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है.
अब मस्जिद से जुड़ा ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चार सप्ताह में इस मसले पर जवाब मांगा है.