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सुप्रीम कोर्ट विवाद का तोड़ निकल सकता है बुधवार के लंच में

मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस करने वाले जजों के साथ हुई सीजेआई की बैठक

मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस करने वाले जजों के साथ हुई सीजेआई की बैठक मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस करने वाले जजों के साथ हुई सीजेआई की बैठक

नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) पर आक्षेप का मसला अभी हल नहीं हुआ है हालांकि सीजेआई के साथ मंगलवार को उनकी बैठक हो चुकी है. इस विवाद से कोर्ट के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा है. उम्मीद है कि बुधवार को होने वाले लंच में सभी जजों की मौजूदगी में माहौल हल्का होगा और विवाद निपटाने का कोई उपाय निकलेगा.  

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जजों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद गठित हुई संविधान पीठ में उन चारों में से किसी को शामिल नहीं किया गया है. संविधान पीठ में आधार, समलैंगिकता का मामला, सबरीमाला जैसे 13 महत्वपूर्ण मामले सुने जाएंगे. पीठ का गठन चीफ जस्टिस का विशेषाधिकार है और इसे चुनौती देने वाले जजों को इस मोर्चे पर कोई सांत्वना नहीं मिली है. इससे पहले सोमवार तक मामला निपट जाने की बात कहने वाले अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने मंगलवार को ये कहकर चौंका दिया कि मामला अभी नहीं सुलझा है.

सुप्रीम कोर्ट में 35 साल से वकालत कर रहे वरिष्ट वकील डी.के. गर्ग का कहना है कि जजों में असंतोष पहले भी रहता था लेकिन प्रेस कांफ्रेंस करने से सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्टा घटी है. अगर चीफ जस्टिस के खिलाफ कोई मामला है तो ये सारे जज स्वयं संज्ञान लेने में सक्षम हैं. ये चीफ जस्टिस को नोटिस जारी कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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सुप्रीम कोर्ट के एक वकील बताते हैं कि मुकदमों के अलाटमेंट को लेकर पहले भी जजों में असंतोष रहता था लेकिन कोई जज प्रेस कांफ्रेंस नहीं करता था. सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने बताया कि बहुत समय पहले पहले एक जज ने कहा था कि कि मुझे लैंडलार्ड-टेनेंट के ही केस दिए जाते हैं, मैं कानून ही भूल गया हूं. मौजूदा मामले में के पीछे बेंच हंटिंग करने वाला वकीलों का गैंग काम कर रहा है.

दूसरी ओर, गर्ग कहते हैं कि बेंच से आम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता. आम आदमी सोचता है कि जब ये अपने झगड़े नहीं सुलझा सकते तो हमारे क्या सुलझाएंगे. मौजूदा असंतोष एक दिन का मामला नहीं है. आम आदमी सोच रहा है कि अगर ये मामला बहुत दिनों से चल रहा था तो इस बीच लोगों के साथ न्याय कैसे हुआ होगा. 

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