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पहले किसी सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश नहीं लौटाईः जस्टिस जोसेफ

कॉलेजियम ने उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश के. एम. जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नत करने की सिफारिश की थी, जिसे सरकार ने वापस कर दिया है. उन्होंने कहा, "चूंकि ऐसा हुआ इसलिए काफी विचार-विमर्श हुआ है..ऐसी बात दोबारा कभी नहीं होनी चाहिए."

जस्टिस केएम जोसेफ जस्टिस केएम जोसेफ
नंदलाल शर्मा
  • कोच्चि, केरल ,
  • 07 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:41 AM IST

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के. एम. जोसेफ ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार को एक न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर शीर्ष अदालत के कॉलेजियम की सिफारिश को खारिज नहीं करना चाहिए था, क्योंकि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम के सदस्य न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसी घटना भविष्य में फिर न हो.

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कॉलेजियम ने उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश के. एम. जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नत करने की सिफारिश की थी, जिसे सरकार ने वापस कर दिया है. उन्होंने कहा, "चूंकि ऐसा हुआ इसलिए काफी विचार-विमर्श हुआ है..ऐसी बात दोबारा कभी नहीं होनी चाहिए."

कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति जोसेफ पर फैसला टाला

बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने बीते बुधवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ पर अपना फैसला टाल दिया. सरकार ने पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम को पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम को वापस लौटा दिया था.

केंद्र सरकार ने कहा है कि न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम को खारिज करने के फैसले का पिछले वर्ष उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन रद्द करने के उनके फैसले से कुछ लेना-देना नहीं है. इस फैसले को टालने का निर्णय प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन.बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के कॉलेजियम ने 45 मिनट की बैठक में लिया.

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केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की अनुशंसा को लौटाया

केंद्र ने 26 अप्रैल को न्यायमूर्ति जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के कॉलेजियम की अनुशंसा को लौटा दिया था. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र में कहा था, "के.एम. जोसेफ के मामले पर पुनर्विचार करने के प्रस्ताव को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मंजूरी है."

न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने बुधवार को न्यायालय की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन वह कॉलेजियम की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे.

कॉलेजियम की ओर से बुधवार को जारी बयान के अनुसार, "न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम पर पुनर्विचार के अलावा, सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए अन्य उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के नाम पर भी चर्चा हुई." बयान के अनुसार, निर्णय को 'टाल' दिया गया और कॉलेजियम की अगली बैठक की तिथि की घोषणा नहीं की गई है.

कॉलेजियम की बैठक में नहीं हो पाई चर्चा

बयान के अनुसार, "बैठक के एजेंडे में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के.एम. जोसेफ के मामले में कानून व न्याय मंत्रालय और भारत सरकार की तरफ से 26 अप्रैल और 30 अप्रैल, 2018 को प्राप्त पत्र के आधार पर पुनर्विचार पर चर्चा और इसके अलावा कोलकाता, राजस्थान, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर, उचित प्रतिनिधित्व की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए, नियुक्ति पर चर्चा के 'निर्णय' को 'टाल' दिया गया."

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