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वकील शांति भूषण की याचिका पर SC की दो टूक- CJI ही हैं रोस्टर के बॉस

शुक्रवार को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने अपनी टिप्पणी में कहा कि विभिन्न बेंच को केस अलॉट करने का हक सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ही है.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा (फाइल फोटो) चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा (फाइल फोटो)
संजय शर्मा/मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

वरिष्ठ वकील शांति भूषण की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को ही रोस्टर तय करने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर को लेकर पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है. उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ जजों ने इसको लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी.

शुक्रवार को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने अपनी टिप्पणी में कहा कि विभिन्न बेंच को केस अलॉट करने का हक सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ही है. कोर्ट ने कहा कि कई कारणों की वजह से न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास डगमगाया है, इसे दोबारा बहाल करने की जरूरत है.

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शीर्ष अदालत ने टिप्पणी में कहा कि रोस्टर को लेकर चीफ जस्टिस की शक्तियां हैं, उसे दोबारा चेक करनी की कोई जरूरत नहीं है. चीफ जस्टिस को इसके लिए कोलेजियम की सलाह लेने की जरूरत नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम जवाबदेही के ज़माने में रह रहे हैं, तकनीक के वक्त में कोई भी आउटकम आलोचना में बदल सकता है. दुनिया तेजी से बदल रही है लेकिन फंडामेंटल नहीं बदलेंगे.

मामले की सुनवाई के दौरान AG के. के. वेणुगोपालन ने कोर्ट में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट बेंच कह चुकी है कि चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. शांति भूषण ने मांग की है कि 5 वरिष्ठतम जज मिल कर मुकदमों का आवंटन करें.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने AG से केस में सहयोग मांगा था कि जजों की नियुक्ति का तरह क्या संवेदनशील केसों के आवंटन के मामले में CJI का मतलब कॉलेजियम होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई विवाद नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. 

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