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SC का केंद्र को झटका, मनमाने दाम में पानी देने पर होटल-रेस्तरां पर कानूनी कार्रवाई नहीं

केंद्र सरकार ने 2009 में संशोधित एक्ट की दुहाई देते हुए कोर्ट में कहा था कि तय खुदरा मूल्य से ज्यादा कीमत वसूलने पर होटल या रेस्तरां मालिक या मैनेजमेंट पर आर्थिक जुर्माना और कैद का प्रावधान है. दूसरी बार पकड़े जाने पर जुर्माना 50 हज़ार रुपये तक हो सकता है.

संकेतात्मक फोटो संकेतात्मक फोटो
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:08 AM IST

अगर आप होटल, रेस्तरां, मॉल या मल्टीप्लेक्स में मिनरल पानी पी रहे हैं तो सावधान रहिए आपकी जेब पर बोझ बढ़ सकता है. मिनरल वाटर को एमआरपी के हिसाब से बेचने के केंद्र सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है. कोर्ट की टिप्पणी है कि अगर रेस्तरां वाले पानी की मनमानी कीमत वसूलते हैं तो उनपर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर केंद्र सरकार के उपभोक्ता कल्याण मंत्रालय ने कहा है कि होटल, रेस्तरां, मॉल या मल्टीप्लेक्स में मिनरल वाटर यानी पानी की सीलबंद बोतल अधिकतम खुदरा मूल्य यानी MRP पर बेचने की पाबंदी है. इसे न मानने वाले नकद और कैद दोनो तरह की सज़ा के हकदार होंगे.

सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को ना!

सरकार के इन नियमों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर इसे अपराध मानने से इनकार किया था. अपील में कहा गया था कि ये तो धंधा है.  

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार का रुख दरकिनार ही कर दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि अगर वो पानी की मनमानी कीमत वसूलते भी हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती.

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केंद्र सरकार ने 2009 में संशोधित एक्ट की दुहाई देते हुए कोर्ट में कहा था कि तय खुदरा मूल्य से ज्यादा कीमत वसूलने पर होटल या रेस्तरां मालिक या मैनेजमेंट पर आर्थिक जुर्माना और कैद का प्रावधान है. दूसरी बार पकड़े जाने पर जुर्माना 50 हज़ार रुपये तक हो सकता है.

कोर्ट ने कहा कि होटल, मॉल, मल्टीप्लेक्स, रेस्तरां वगैरह खोलने वाले काफी धन का निवेश करते हैं. लोग वहां एन्जॉय करने आते हैं सिर्फ पानी ही पीने नहीं जाते हैं. वहां कीमत सामान के मुताबिक नहीं माहौल के मुताबिक होती है. उपभोक्ता वहां के स्तर के मुताबिक सामान की कीमत अदा करते हैं. ऐसे में सिर्फ पानी की बोतल पर MRP की पाबंदी का क्या मतलब रह जाता है.

कोर्ट ने ये भी कहा कि मोल का मामला सिर्फ पानी तक ही क्यों रहे इस दायरे में पैकेटबंद खाद्य पदार्थ मसलन, चिप्स और बिस्किट स्नैक्स वगैरह भी आ सकते हैं. मंगलवार को जस्टिस रोहिंगटन नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने हालांकि अभी आदेश पारित नहीं किया. लेकिन कोर्ट के रुख से ये अंदाज़ा तो पुख्ता होता है कि होटल रेस्तरां मॉल मल्टीप्लेक्स में खाने-पीने की कीमतें मनमानी हो सकती हैं.

दिल्ली हाइकोर्ट ने होटल रेस्टोरेंट मॉल और मल्टीप्लेक्स में MRP पर ही मिनरल वॉटर बेचने का फैसला दिया था, फेडरेशन ने उसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

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