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आडवाणी, जोशी को बाबरी विध्वंस केस में SC का नोटिस, चार हफ्ते में मांगा जवाब

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से जुड़े 22 साल पुराने केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हुई. कोर्ट ने इस मामले में आडवाणी समेत 20 को नोटिस दिया है.

मुरली मनोहर जोशी और लाल कृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी और लाल कृष्ण आडवाणी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 7:13 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में मंगलवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी और 17 अन्य को नोटिस जारी किया. दोनों वरिष्ठ नेताओं के अलावा, केंद्रीय मंत्री उमा भारती और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह को भी नोटिस जारी किया गया है. कल्याण सिंह उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.

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कोर्ट ने यह नोटिस इलाहाबाद उच्च कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया है, जिस फैसले में विवादित ढांचा ढहाए जाने के 1992 के मामले में उन्हें आपराधिक साजिश के आरोप से बरी कर दिया गया था.

इलाहाबाद उच्च कोर्ट ने 22 साल पुराने इस मामले में 20 मई, 2010 को इन नेताओं को साजिश रचने के आरोपों से मुक्त कर दिया था.

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि हाजी महबूब अहमद ने इलाहाबाद उच्च कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक नई याचिका दायर की है, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने ये नोटिस जारी किए.

कोर्ट ने आडवाणी और अन्य को आपराधिक षड्यंत्र से मुक्त करने वाले इलाहाबाद उच्च कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अपने पक्ष में दस्तावेज जुटाने के लिए चार सप्ताह का समय दिया.

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अतिरिक्त महाधिवक्ता नीरज किशन कौल ने सर्वोच्च कोर्ट को बताया कि सीबीआई उच्च कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को दायर करने में हुई देरी के बारे में पहले ही एक हलफनामा दाखिल कर चुकी है.

मसौदा तैयार करने और केंद्र सरकार के वरिष्ठ कानून अधिकारी से मंजूरी लेने के मद्देनजर, सीबीआई द्वारा याचिका दाखिल करने में हुए विलंब पर टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू और न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर की तत्कालीन पीठ ने चार फरवरी, 2013 को सरकार से कहा था कि विलंब के कारणों पर वह एक हलफनामा दाखिल करे.

कोर्ट ने सीबीआई को चार सप्ताह का समय दिया और कहा कि वह कानून, याचिका दायर करने में हुई देरी और गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करेगा.

सीबीआई ने इलाहाबाद उच्च कोर्ट का फैसला आने के लगभग नौ माह बाद 18 फरवरी, 2011 को सर्वोच्च कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सीबीआई की याचिका पर यह नोटिस तीन मार्च, 2011 को जारी किया गया था.

सीबीआई ने अपनी अपील में कहा था कि आडवाणी के अतिरिक्त अन्य लोगों को आपराधिक साजिश से मुक्त करने का फैसला इलाहाबाद उच्च कोर्ट के 12 फरवरी, 2001 के फैसले के विपरीत है.

इलाहाबाद उच्च कोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा था कि संयुक्त आरोप पत्र पर संज्ञान लेने में निचली अदालत ने कोई गलती नहीं की थी और उस समय किए गए सारे अपराध षडयंत्र को सिद्ध करते हैं.

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इस मामले में आडवाणी, जोशी, कल्याण सिंह, उमा के अतिरिक्त विनय कटियार, विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, हरि डालमिया, साध्वी ऋतंभरा, महंत अवैद्यनाथ को भी आरोपी बनाया गया था.

चूंकि गिरिराज किशोर और महंत अवैद्यनाथ का निधन हो चुका है, लिहाजा आरोपियों की सूची से इनके नाम हटा दिए जाएंगे.

- इनपुट IANS

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