
सिगरेट और तंबाक पैकेट पर वैधानिक चेतावनी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया है कि सिगरेट और तंबाकू पैकेट पर दोनों ओर 85 फीसदी हिस्से में सचित्र वैधानिक चेतावनी छापनी होगी.
अपने इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें वैधानिक चेतावनी का दायरा 40 फीसदी कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस मसले पर करीब एक घंटा सुनवाई चली. सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस की बेंच ने देर शाम अपना आदेश पारित कर दिया. आदेश के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सिगरेट और तंबाकू के पैकटों पर 85 प्रतिशत हिस्से में वैधानिक चेतावनी देने वाले नियम को 40 फीसदी कर दिया था.
इसी आदेश को स्थगित करने की मांग पर कुछ सामाजिक संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. क्योंकि तंबाकू कंपनियों ने 85 फीसदी के सरकारी आदेश के उलट 40 फीसदी हिस्से पर ही छपाई का काम शुरू कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट अब 12 मार्च को मामले की अगली सुनवाई करेगा. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि सिगरेट की वजह से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, कैंसर और दिल की बीमारियां होती हैं. लिहाज़ा लोगों को तंबाकू के सेवन से विरक्त करने को सिगरेट और तंबाकू के पैकटों पर 85 प्रतिशत हिस्से में वैधानिक चेतावनी देने का नियम सही है.
ये दलील देते हुए केंद्र सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने और उस फैसले को रद्द करने की मांग की थी.
सिगरेट कंपनियों की दलील
वहीं सिगरेट निर्माता कंपनियों की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र के रुख का विरोध करते हुए कहा कि 85 फीसदी वैधानिक चेतावनी वाला नियम लगाते समय कोई मेडिकल स्टडी नहीं की गई है. इसके बावजूद केंद्र सरकार को लगता है कि ये स्वास्थ्य के लिए इतना ही हानिकारक है तो इस पर रोक क्यों नहीं लगा देती है.
सिब्बल ने कहा कि अगर सरकार बिक्री पर रोक नहीं लगा सकती तो हम वैधानिक चेतावनी को चुनौती दे सकते हैं. वैसे भी 2014 से पहले वैधानिक चेतावनी केवल डिब्बे के एक ओर सिर्फ 40 फीसदी हिस्से पर ही होती थी. इसी बीच राजस्थान हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई और कोर्ट ने इसे 80 फीसदी करने को कहा. जिसपर स्वास्थ्य मंत्रालय ने 85 फीसदी कर दिया था. सिब्बल ने कहा कि अगर केंद्र सरकार चाहती है तो हम 50 फीसदी वैधानिक चेतावनी के नियम को लागू करने को तैयार हैं.