
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट्स में जजों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर गहरी नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि आप पूरे संस्थान (न्यायपालिका) को जाम होने की स्थिति में नहीं ला सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये हालात तब हैं जबकि कोलेजियम की ओर से इस संदर्भ में सिफारिशें भेजी जा चुकी हैं.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, 'अदालतों पर ताले लगे हैं, क्या आप न्यायपालिका पर ताला लटकाना चाहते हैं."
चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि आप किसी पूरी संस्था को धीरे-धीरे जाम की स्थिति में नहीं ला सकते. चीफ जस्टिस ने कहा कि जजों की नियुक्ति से जुड़े मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) को अंतिम रूप नहीं दिए जाने की वजह से नियुक्ति की प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति को लेकर फाइलों के सुस्त रफ्तार से बढ़ने की आलोचना की.
सुप्रीम कोर्ट ने चेताया कि वो वास्तविक स्थिति जानने के लिए पीएमओ और कानून मंत्रालय के सचिवों को समन कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस एल नागेश्वर राव भी शामिल हैं.
बेंच ने कहा, "कोई डेडलॉक नहीं होना चाहिए. आप MoP को अंतिम रूप दिए बिना जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध हैं. MoP को अंतिम रूप देने का न्यायपालिका की नियुक्ति की प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न हाईकोर्ट्स में जजों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट में कई कोर्ट रूम्स में ताले लटकाने पड़े हैं क्योंकि वहां जज नहीं हैं.
केंद्र सरकार की ओर पैरवी कर रहे अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि MoP को अंतिम रूप ना दिए जाना एक मुद्दा है. रोहतगी ने बेंच को आश्वासन दिया कि जजों की नियुक्ति को लेकर निकट भविष्य में अधिक प्रगति देखी जा सकेगी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 11 नवंबर को तय की है. बता दें कि 14 सितंबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उच्च स्तर पर न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति को लेकर कोई 'ब्लेम गेम' या 'लॉगजाम' नहीं है. केंद्र ने साथ ही हाईकोर्ट्स में जजों की नियुक्ति की प्रकिया शुरू होने में 'काफी देर करने' के लिए हाईकोर्ट्स को ही जिम्मेदार ठहराया था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो जजों की नियुक्ति में 'लॉगजाम' बर्दाश्त नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे जवाबदेही में तेजी लाने के लिए दखल देना होगा क्योंकि न्याय का डिलिवरी सिस्टम चरमरा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार को जजों की नियुक्ति के संदर्भ में किसी नाम को लेकर आपत्ति है तो उसके पास कोलेजियम के पास दोबारा आने का विकल्प हमेशा खुला है.