Advertisement

दिल्ली: कचरा प्रबंधन पर SC की केजरीवाल सरकार को फटकार

कूड़े से बदहाल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की दशा देखकर सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी जताई. साथ ही पूछा कि आखिर दिल्ली में कचरे के अंबार के लिए ज़िम्मेदार और जवाबदेह कौन है. उपराज्यपाल या फिर सीएम? शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी उस समय आई है, जब दिल्ली में केजरीवाल सरकार और उप राज्यपाल के बीच अधिकारों की जंग पर फैसला आया है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
राम कृष्ण/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

कूड़े से बदहाल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की दशा देखकर सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी जताई. साथ ही पूछा कि आखिर दिल्ली में कचरे के अंबार के लिए ज़िम्मेदार और जवाबदेह कौन है, उपराज्यपाल या फिर सीएम? शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी उस समय आई है, जब दिल्ली में केजरीवाल सरकार और उप राज्यपाल के बीच अधिकारों की जंग पर फैसला आया है.

Advertisement

जस्टिस मदन भीमराव लोकुर की अगुवाई वाली पीठ ने नाराज़गी भरे लहजे में कहा कि हर जगह बदइंतजामी है. मुंबई में पानी की बाढ़ है, तो दिल्ली में कूड़े की. तभी यहां दिल्ली में कूड़ा प्रबंधन में लापरवाही की वजह से डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया वगैरह फैलते हैं. दिल्ली में कूड़ा प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से पूछा कि आखिर राजधानी में कूड़ा प्रबंधन की जिम्मेदारी किसकी है, मुख्यमंत्री की या LG की या फिर केंद्र सरकार की?

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वो बुधवार तक हलफनामा दाखिल कर बताएं कि कूड़ा प्रबंधन को लेकर कौन जिम्मेदार है और अब जल्दी से क्या उपाय किए जा रहे हैं? कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को तय की है. कोर्ट ने इस बीच कई राज्यों द्वारा हलफनामा दाखिल न करने पर नाराजगी जाहिर करते हुए बड़ा जुर्माना भी लगाया है.

Advertisement

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है कि दिल्ली में कूड़े का पहाड़ बन गया है, लेकिन उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. शीर्ष अदालत ने कहा कि लोग डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया से मर रहे हैं, लेकिन कोई राज्य सरकार इसको लेकर गम्भीर नहीं है. जस्टिस लोकुर ने फटकार लगाते हुए कहा कि जब संसद द्वारा पारित कानून सही तरीके से लागू नहीं हो पाता, तो कोई भी नियम देश में कैसे लागू हो सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय, ओडिशा, केरल, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल, पश्चिम बंगाल और गोवा पर जुर्माना भी लगाया. यह जुर्माना सॉलिड वेस्ट मैनेजमेन्ट रूल को लेकर हलफनामा दाखिल न करने पर लगाया गया है. अब सुप्रीम कोर्ट सात अगस्त को मामले की सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा दाखिल 850 पेज के हलफ़नामे को देखकर कहा कि ये खुद में सॉलिड वेस्ट है और हम कचरा ढोने वाले नहीं है.

इसमें किसी भी चीज को सारणीबद्ध कर आंकड़ों के जरिए नहीं बताया गया है. जब महकमे के वकील अपने हलफनामे नहीं पढ़कर आते हैं, तो वो हमसे उम्मीद करते हैं कि हम उनका लाया कूड़ा पढ़ें. अगर दिल्ली को सफाई के मामले में रोल मॉडल मानेंगे, तो आप गलत है. ये प्रदूषण को लेकर भयावह हालात है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि ऐसे ऑफिसर भेजिए, जिसको वास्तविकता और तकनीक का पता हो.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement