
सुप्रीम कोर्ट में 40 साल बाद ही सही, एकल जज पीठ की परंपरा फिर से शुरू हो सकती है. उम्मीद है कि अगले महीने की शुरुआत नई व्यवस्था के साथ हो, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में अब जजों की संख्या भी पूरी हो गई है. हालांकि, इस नई व्यवस्था से सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का एक तबका नाराज दिख रहा है. उन्होंने इस बाबत अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई है.
सोमवार सुबह 4 नए जजों जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस हृषिकेश रॉय के शपथ ग्रहण के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में नई क्षमता तय होने के बाद पहली बार पूरे 34 जज हो जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट पर मुकदमे के बढ़ते बोझ को कम करने की गरज से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई एकल जज पीठ फिर से बहाल करना चाह रहे थे.
जस्टिस गोगोई पहले भी कह चुके हैं कि वो ऐसी व्यवस्था करेंगे कि 7 साल से कम सजा के प्रावधान वाले मुकदमों यानी भारतीय अपराधिक प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की धारा 437, 438 और 439 के तहत जमानत, अग्रिम जमानत और मुकदमे ट्रांसफर करने जैसे मामलों में एकल जज पीठ ही तय कर दे.
सिंगल बैंच ने दिया इंदिरा पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट में पहले भी एकल पीठ के जरिए मामलों का निपटारा होता था. 1980 के दशक तक सुप्रीम कोर्ट में एकल जज पीठ का प्रावधान था. लेकिन इमरजेंसी के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट से तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रायबरेली से चुनाव को चुनौती वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की एकल जज पीठ ने स्टे लगा दिया था.
तब एकल जज वाली पीठ पर जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर थे. हालांकि, इसके राजनीतिक परिणाम हुए. इसके बाद बने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने एकल जज पीठ समाप्त कर दी. यानी सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद सभी खंडपीठ बनाए गए. इनमें एक से ज्यादा यानी 2 या 3 जज होते हैं. संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 13 तक जज हुए हैं. इसके बाद तो पूर्ण पीठ यानी फुल कोर्ट का ही प्रावधान होता है.
चीफ जस्टिस जल्द करेंगे गठन
अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के विचार पर अमल करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए ये नई व्यवस्था की है. सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल ने अधिसूचना जारी कि है कि अब जल्दी ही चीफ जस्टिस कार्यकारी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए एकल पीठ का गठन करेंगे.
इस अधिसूचना के मुताबिक वो पीठ 7 साल से कम सजा वाले अपराध में अग्रिम जमानत, जमानत और मामलों का तबादला करने वाले मुकदमों के अलावा वो मुकदमे भी सुनेगी जो चीफ जस्टिस उनके पास भेजेंगे.