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पूर्व सांसदों की पेंशन पर SC सख्त, कहा- पहले गरीबी में मरते थे सांसद

एनजीओ लोक प्रहरी के द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि कार्यकाल खत्म होने के बाद भी लगातार पेंशन जारी होना संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है. वहीं बिना संसद में कानून बनाये सांसदों को लाभ नहीं दिया जा सकता है.

SC ने फैसले पर खड़े किये सवाल SC ने फैसले पर खड़े किये सवाल
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 9:59 AM IST

सांसदों को मिलने वाली पेंशन और भत्तों से संबंधित एक याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी कर कहा कि हमनें वो जमाना भी देखा है, जब लंबे वक्त तक सांसद गरीबी में रहकर मर जाते थे. सुप्रीम कोर्ट ने इसके तहत केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भी भेजा है. जस्टिस जे चेलमेश्वर की अगुवाई वाली इस बेंच ने लोकसभा और राज्यसभा के सेकेट्री को भी नोटिस जारी किया है.

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एनजीओ लोक प्रहरी के द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि कार्यकाल खत्म होने के बाद भी लगातार पेंशन जारी होना संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है. वहीं बिना संसद में कानून बनाये सांसदों को लाभ नहीं दिया जा सकता है.

जस्टिस जे. चेलामेश्वर और जस्टिस ईएस. अब्दुल नजीर की बेंच अब इस मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद करेगी. सुनवाई में इस मामले को डिटेल में सुना जाएगा.

एनजीओ की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति एक दिन के लिए भी सांसद बनता है तो उसे जीवन भर पेंशन का लाभ मिलता है. वहीं उसके परिवार को भी इस बात का फायदा मिलता है. यह आम व्यक्ति पर बोझ की तरह है.

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